भारतीय क्रिकेट में चल रही स्टार वॉर अब पावर स्ट्रगल में तब्दील होती जा रही है। BCCI अध्यक्ष सौरव गांगुली ने टेस्ट कप्तान को बोर्ड की शक्ति का अहसास कराने की तैयारी कर ली है। इसका संकेत देते हुए उन्होंने कहा है कि बोर्ड विराट कोहली के मामले को अपने तरीके से हैंडल कर लेगा।
एक दिन पहले विराट कोहली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि BCCI ने उन्हें टी-20 की कप्तानी छोड़ने से मना नहीं किया था। यह दावा सीधे-सीधे बोर्ड प्रेसिडेंट सौरव गांगुली के बयान के उलट था। गांगुली ने कहा था कि विराट को कप्तानी छोड़ने से मना किया गया था।
माना जा रहा है कि गांगुली विराट के इस बयान से नाराज हैं। इसके संकेत गुरुवार को गांगुली के और भी कड़ा स्टेटमेंट जारी कर देने से भी मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि लोग विराट के मामले को BCCI पर छोड़ दें। बोर्ड इससे अपने तरीके से निपट लेगा।
अब तक हुआ क्या है?
BCCI की सीनियर सिलेक्शन कमेटी ने रोहित शर्मा को वनडे और टी-20 टीम का कप्तान बनाने की घोषणा की। विराट वनडे की कप्तानी नहीं छोड़ना चाहते थे। इस पर गांगुली ने कहा कि बोर्ड ने उनसे सितंबर में ही कहा था कि अगर वे टी-20 की कप्तानी छोड़ेंगे तो वनडे में उन्हें कप्तान बनाए रख पाना मुश्किल होगा।
इसलिए वे टी-20 में कप्तान बने रहें। गांगुली के मुताबिक, विराट ने ऐसा करने से मना कर दिया और फिर BCCI के पास विराट से वनडे कप्तानी लेने के अलावा कोई चारा नहीं रह गया था। बकौल गांगुली WHITE BALL क्रिकेट में दो कप्तान नहीं हो सकते हैं।
इसके बाद विराट ने बड़ा धमाका करते हुए यह कह दिया कि उन्हें टी-20 की कप्तानी छोड़ने से किसी ने नहीं रोका, बल्कि BCCI उनके इस फैसले से खुश था। विराट ने यह भी कहा कि साउथ अफ्रीका दौरे के लिए टेस्ट टीम की घोषणा से महज 90 मिनट पहले उन्हें बताया गया कि वे अब वनडे टीम के कप्तान नहीं हैं।
दादा ने गुरुवार को पहले किया सवालों को इग्नोर
गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गांगुली से विराट कोहली के मामले पर सवाल पूछे गए, लेकिन उन्होंने कहा, ‘मैं इस मामले में कोई कमेंट नहीं करूंगा। बोर्ड इस मामले से अपने तरीके से निपटेगा।’ बार-बार पत्रकार कोहली और गांगुली के विवाद के बारे में दादा से सवाल कर रहे थे, लेकिन वो सवाल को इग्नोर कर दे रहे थे। जब पत्रकार नहीं माने, तब गांगुली ने ये जवाब दिया।
गांगुली ने साफ किया- कप्तान चुनना बोर्ड का काम
गांगुली के बयान से साफ नजर आया कि बोर्ड इस मसले पर सख्ती दिखा सकता है। कप्तान चुनना बोर्ड का काम है। विराट कोहली से जुड़ा मामला ऐसा नहीं है, जो बोर्ड सुलझा न सके। एक बोर्ड अधिकारी ने पहले ही बोल रखा है कि वो साउथ अफ्रीका दौरे के बाद सब कुछ सही कर देंगे।
पहले भी कप्तानों को नापता रहा है BCCI
भारतीय क्रिकेट में बोर्ड अधिकारियों और कप्तानों के बीच टकराव होना कोई नई बात नहीं है। पहले भी इस तरह के मामले आए हैं और ज्यादातर मामलों में बोर्ड की बात ही रखी गई। कपिल देव 1983 में वर्ल्ड कप जीत कर आए थे। भारत पहली बार वर्ल्ड चैंपियन बना था, लेकिन इसके दो साल बाद ही कपिल से कप्तानी लेकर गावस्कर को दे दी गई।
1989 में श्रीकांत की कप्तानी में भारत ने पाकिस्तान में 4 टेस्ट मैचों की बेहद मुश्किल सीरीज को 0-0 से ड्रॉ कराया। इसके बावजूद श्रीकांत कप्तानी से हटा दिए गए। खुद सौरव गांगुली को तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल के साथ हुए विवाद के बाद कप्तानी छोड़नी पड़ी थी।