‘मस्जिद के पास भीड़ मत लगाओ’: मथुरा में मुस्लिमों ने हिन्दू महिलाओं को शीतला माता की पूजा से रोका, सालों से होती रही है ‘बसौड़ा पूजा’

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा में बुधवार (23 मार्च, 2022) को मुस्लिमों ने हिंदू महिलाओं को ‘बासौड़ा पूजा’ करने से रोक दिया। करीब 20-25 हिंदू महिलाएँ रीति-रिवाज के साथ शीतला माता की पूजा करने के लिए ईदगाह मस्जिद के पास कुएँ के के पास आई थीं, लेकिन हिंदू महिलाओं को वहाँ देख मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मस्जिद के पास भीड़ लगाने के आरोप लगाकर बवाल खड़ा कर दिया। इसके बाद हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच झड़पें भी हुईं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बुधवार को सुबह के करीब पाँच बजे थे और हिंदू महिलाएँ ईदगाह मस्जिद के ही पास स्थित कुएँ पर बसौड़ा पूजा करने के लिए गईं। लेकिन जैसे ही वहाँ पर महिलाएँ पहुँचीं तो कट्टरपंथी मुस्लिमों ने उन्हें वहाँ पर पूजा करने देने से मना कर दिया। विवाद बढ़ने पर मौके पर गोविंदनगर पुलिस पहुँची और मामले को शांत कराने की कोशिश की।

पुलिस ने मुस्लिमों को इस पूजा के बारे में बताया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मुस्लिम मानने को तैयार ही नहीं थे। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने प्रांतीय सशस्त्र बल को इसकी जानकारी दी। भारी संख्या में फोर्स की तैनाती के बीच महिलाओं ने शीतला माता की पूजा-अर्चना की। महिलाएँ बीते कई सालों से इसी कुएँ में बसौड़ा पूजा करती थी और दूसरे अनुष्ठान भी यहाँ किए जाते रहे हैं।

जबकि मुस्लिमों का कहना है कि इससे पहले वहाँ पर ऐसी कोई भी पूजा नहीं होती थी। सीओ अभिषेक मिश्रा अभिषेक तिवारी के मुताबिक, ये पूजा यहाँ की स्थानीय परंपरा है और इसे होने देना चाहिए। ‘अमर उजाला’ के मुताबिक, स्थानीय लोग इलाके में अपने बच्चों के लिए ‘मुंडन’ भी करते हैं।

बसौड़ा पूजा में शीतला माता को कराते हैं बासी भोजन

ये पूजा देश के कई हिस्सों में होती है। बसौड़ा पूजा के दिन भक्तों को गर्मी और गर्म पदार्थों से दूर रहना चाहिए। इसमें बासी ठंडे भोजन, ठंडे पेय जैसे दही दूध, या ‘राब’ (दही, बाजरा के आटे और जीरा का उपयोग करके बनाया गया पारंपरिक पेय) का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा घरेलू काम में ठंडे पानी का इस्तेमाल करना चाहिए। 24 घंटे के बाद फिर से गर्म चीजों का सेवन किया जा सकता है।

बसौदा पूजन को ‘शीतला सप्तमी’ या ‘शीतला अष्टमी’ भी कहा जाता है और यह हर साल हिंदू कैलेंडर के चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के आसपास मनाया जाता है।