ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट के साथ वीडियो और फोटोग्राफ सौंपा गया, शपथपत्र के साथ मिली सीडी

वाराणसी/लखनऊ । वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में सोमवार को दो अदालतों में सुनवाई हुई। जिला जज और सिविल जज की फास्ट ट्रैक कोर्ट में दो अलग-अलग मुकदमों में सुनवाई के बाद गर्मी की छुट्टी तक के लिए मामला टाल दिया गया है। मस्जिद के सर्वे की वीडियो फुटेज और फोटोग्राफ भी सौंप दिया गया है। अदालत ने सर्वे रिपोर्ट और वीडियो-फोटो देने से पहले शपथ पत्र भी जमा कराया। इसके बाद रिपोर्ट की सीडी दी गई। शपथपत्र में इस बात का जिक्र है कि वीडियो और फोटो को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

कोर्ट में मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के दावे पर आपत्तियां दर्ज कराईं।  आज केवल 13 से 39 पैरा तक पर ही बहस हो सकी। मां शृंगार गौरी से संबंधित मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है, इस दावे के साथ मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने अपनी दलीलें पेश कीं। मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कथित तौर पर पाए गए शिवलिंग और उनकी पूजा करने के दावे पर आपत्ति जताई।

मुस्लिम पक्ष ने 1937 के दीन मोहम्मद बनाम राज्य सचिव के मुकदमे का फैसला पढ़ा। कहा कि अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों के आधार पर फैसला किया था कि यह पूरा परिसर (ज्ञानवापी मस्जिद परिसर) मुस्लिम वक्फ का है और मुसलमानों को इसमें नमाज अदा करने का अधिकार है। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि मां शृंगार गौरी का मुकदमा प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट-1991 का उल्लंघन है।

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने संवाददाताओं को बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत में केस के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का समय समाप्त हो गया। इसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को एक जून से शुरू होने वाली गर्मियों की छुट्टी के बाद चार जुलाई को सुनेगी। जैन ने बताया कि अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे की रिपोर्ट मामले के सभी पक्षों को उपलब्ध कराई जाएगी। मगर इसके लिए क्या शर्ते होंगी वह अदालत ही बताएगी।

इसी बीच उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष की एक याचिका पर मामले को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में अर्जी देकर कहा था कि यह मामला उपासना स्थल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है लिहाजा यह सुनवाई किए जाने योग्य ही नहीं है। अदालत ने सोमवार को इसी मामले पर सुनवाई की।

मुस्लिमों का प्रवेश रोकने पर सुनवाई आठ जुलाई तक टली
ज्ञानवापी में मुस्लिमों का प्रवेश रोकने और हिन्दुओं को पूजा का अधिकार देने के मामले में दायर याचिका पर भी सुनवाई टल गई है। अब इस याचिका पर भी सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद 8 जुलाई को होगी। किरण सिंह बिसेन की याचिका पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में पहले सोमवार की सुबह सुनवाई हुई। अदालत ने पहले शाम 4 बजे तक के लिए मामले को टाल दिया। चार बजे अदालत फिर बैठी और आठ जुलाई तक सुनवाई टाल दी गई।

वादी पक्ष के अधिवक्ता शिवम गौड़ ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में अपनी दलीलें पेश कीं। वहीं, मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता ने अपना वकालतनामा दायर किया। अदालत ने हिंदू पक्ष को प्रतिवादियों को मुकदमे की प्रति उपलब्ध कराने को कहा है। हिंदू पक्ष ने अदालत से सनातन धर्मियों को ज्ञानवापी मस्जिद में प्रवेश करने और वहां मौजूद आदि विश्वेश्वर की पूजा करने की अनुमति देने की मांग करते हुए अंतरिम राहत की मांग की है।

तीन और लोगों ने दी याचिका

ज्ञानवापी से जुड़े मामले में सोमवार को तीन और लोगों ने याचिका दी है। प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लॉर्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है। उनकी मांग है कि मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले से संबंधित मुकदमे में उन्हें भी पक्षकार बनाया जाए।

वहीं, निर्मोही अखाड़े ने भी याचिका दी है। ज्ञानवापी में दर्शन-पूजन और हिंदुओं के अधिकार को लेकर यह याचिका दी गई है। इसमें निर्मोही अखाड़े को पक्षकार बनाए जाने की मांग की गई है। उधर, केंद्रीय ब्राह्मण महासभा की ओर से फास्ट ट्रैक कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दिया गया है। इसमें ज्ञानवापी में पाए गए कथित शिवलिंग की पूजा करने का अधिकार मांगा गया है।