एकनाथ शिंदे के आगे उद्धव ठाकरे का सरेंडर! बीच का रास्ता निकाल दे सकते हैं CM पद; भाजपा को रोकने की तैयारी

महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच उद्धव ठाकरे ने अपने फेसबुक संबोधन में इमोशनल अपील के साथ भाजपा को सत्ता में रोकने के लिए बड़ा दांव चला है। माना जा रहा है एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ एक घंटे चली वार्ता में एकनाथ शिंदे को सीएम बनाने पर विचार किया जा रहा है। इस वक्त ठाकरे पर सिर्फ सीएम पद नहीं शिवसेना का अस्तित्व भी खतरे में है। सूत्र बताते हैं कि एकनाथ शिंदे के साथ बड़े पैमाने पर विधायकों के जाने के पीछे कारण शिवसेना के कामकाज, विधायकों की फंडिग से असंतुष्टता है। इसके अलावा आदित्य ठाकरे के सरकार में ज्यादा दखलअंदाजी से भी शिंदे नाराज चल रहे थे।

उद्धव ने की इमोशनल अपील
शिंदे के लगातार बगावती तेवर के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के जरिए जनता को संबोधित भी किया और शिंदे समेत सभी बागी विधायकों से सामने आकर बात करने की बात कही। ठाकरे ने कहा कि उन्हें खुशी होगी कि अगर कोई शिवसैनिक सीएम बनता है तो उन्हें खुशी होगी। उद्धव ने कहा कि वो शिवसेना प्रमुख और सीएम पद भी छोड़ने को तैयार हैं।

इस बीच शरद पवार और उद्धव ठाकरे के बीच सीएम आवास में एक घंटे की वार्ता भी हुई। सूत्रों के मुताबिक एनसीपी प्रमुख शरद पवार और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के बीच हुई बैठक के दौरान एमवीए सरकार को बचाने के लिए सभी विकल्पों पर चर्चा हुई। इस बात पर चर्चा हुई कि शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को कैसे शांत किया जाए और क्या उन्हें सीएम पद दिया जा सकता है। कैबिनेट विभागों में फेरबदल के मुद्दे पर भी चर्चा हुई।

क्यों असंतुष्ट हैं एकनाथ शिंदे और विधायक
सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे के साथ बड़े पैमाने पर विधायकों के जाने के पीछे कारण शिवसेना के कामकाज, विधायकों की फंडिग से असंतुष्टता है। इसके अलावा आदित्य ठाकरे के सरकार में ज्यादा दखलअंदाजी से भी शिंदे नाराज चल रहे थे। इसीलिए काफी समय से शिंदे और शिवसेना विधायकों में असंतोष पनप रहा था। इसलिए बड़े पैमाने पर विधायकों को शिंदे को समर्थन मिला और उद्धव ठाकरे लगातार कमजोर होते गए।

सूत्रों के अनुसार, एकनाथ शिंदे आदित्य ठाकरे और सीएम उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे की दखलअंदाजी से भी परेशान थे। सूत्र बताते हैं कि शिंदे दोनों की सरकार में लगातार हस्तक्षेप और बढ़ते कद को लेकर रोष में थे। इसके अलावा शिंदे समर्थक कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार में कांग्रेस और एनसीपी नेताओं के बढ़ते कद को लेकर शिवसेना विधायकों में नाराजगी थी।