मुजफ्फरनगर/लखनऊ। मुजफ्फरनगर में कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक युवक की हत्या के मामले में 7 हत्यारों को फांसी की सजा सुनाई है. गौरतलब है कि थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव हरसौली में वर्ष 2010 में वालीबॉल खेलने को लेकर दो पक्षों में हुए संघर्ष के चलते गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई थी जबकि 3 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घटना में दोनों पक्षों की ओर से थाने में मुकदमा लिखवाये गए थे. मामला कोर्ट में चल रहा था, जिसकी सुनवाई के बाद एडीजे 11 कोर्ट ने घटना में शामिल साथ हत्यारों को फांसी की सजा सुनाई है.
दरअसल थाना शाहपुर क्षेत्र के गांव हरसौली में 25 फरवरी 2010 को वालीबॉल खेलने को लेकर दो पक्षों में संघर्ष हो गया था इस संघर्ष में नसीम पुत्र समसुदीन की गोली लगने से मौत हो गई थी जबकि दोनों पक्षों के अन्य कई लोग लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे इस मामले में मृतक नसीम के भाई इरफान द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया था. जिसमे कोर्ट में चल रहे मुकदमे में मंगलवार को एडीजे 11 राजेश भारद्वाज द्वारा फैसला सुनाते हुए आरोपी सादिक, शाहिद, अरशद, राशिद, सरफराज, फारुख तथा मुमताज को दोषी मानते हुए उन्हें फांसी की सजा सुनाई है जिसमें (सरकारी अधिवक्ता) एडीजीसी कमल कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि शाहपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत दो पक्षो में संघर्ष हुआ था जिसमे एक युवक नसीम की हत्या कर दी गयी थी जबकि इसमे 3 लोग घायल हो गए थे जिनमें कोर्ट ने सुनवाई करते हुए हत्या के मामले में 7 लोगो को फंसी की सजा और हत्या के प्रयास में उम्रकैद की सजा सुनाई है
वहीं इसी गांव हरसौली निवासी दूसरे पक्ष को अदालत ने सोमवार को युवक पर जानलेवा हमला करने वाले तीन लोगों को दस-दस वर्ष का कारावास व जुर्माना की सजा सुनाई थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार थाना शाहपुर पर गांव हरसौली निवासी शौकत पुत्र अलमुद्दीन ने 2 मार्च 2010 को इसी 25 फरवरी 2010 के झगडे को लेकर मृतक नसीम पक्ष के 4लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था.जिसमे बताया था कि उसका पुत्र सरफराज गांव में मेडिकल स्टोर पर दवा लेने गया था. तभी गांव के नसीम, खलील, रेयान व शाकिर उर्फ शाकिल ने एक राय होकर उस पर हमला कर दिया. इसमें उसका पुत्र गंभीर घायल हो गया.
इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश 11 की कोर्ट में हुई थी जसमे जज ने दोनों पक्षों को सुनते हुए अभियुक्त खलील, रेयान व शाकिर को जान लेवा हमला करने का दोषी करार देते हुए धारा 307 /34 के तहत 10-10 वर्ष का कारावास और 5-5 हजार रुपया का जुर्माना, धारा 504 के तहत 2-2 वर्ष का कारावास, धारा 506 के तहत 5-5 वर्ष का कारावास की सजा सुनाई है. सह अभियुक्त नसीम की हत्या हो जाने के कारण उसकी फाइल बंद कर दी गई.