नई दिल्ली। भारत में चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक पार्टियां और प्रत्याशी पानी की तरह पैसा बहाते हैं. उम्मीदवारों के खर्च को लेकर तो चुनाव आयोग ने सीमा निर्धारित कर रखी है, लेकिन पार्टियां किसी न किसी रास्ते से वोट बटोरने के लिए नोट उड़ाने की जुगत तलाश ही लेती हैं.
चुनाव आयोग को सियासी दलों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, बीजेपी ने पांचों राज्यों में चुनाव प्रचार पर 344.27 करोड़ रुपये खर्च किए जबकि कांग्रेस ने 194.80 करोड़ रुपये खर्च किए. 2017 में इन्हीं राज्यों में बीजेपी ने 218 करोड़ तो कांग्रेस ने 108 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए थे.
गौरतलब है कि इस साल फरवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में विधानसभा चुनाव हुए थे. नियमों के मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों को चुनावी खर्च का हिसाब-किताब रखना होता है. पार्टी ने कहां कितना पैसा खर्च किया? कैश, चेक या ड्राफ्ट से कितनी पेमेंट की? ये सारा हिसाब-किताब रखने के बाद चुनाव आयोग को इसकी रिपोर्ट देनी होती है. अगर विधानसभा चुनाव हैं तो 75 दिन और लोकसभा चुनाव हैं तो 90 दिन के अंदर ये रिपोर्ट जमा करनी होती है.
बीजेपी ने कहां कितना किया खर्च?
हाल में हुए इन चुनावों में खर्च करने में बीजेपी सबसे आगे है. बीजेपी ने इस साल पांच राज्यों के चुनाव में 344 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए. पार्टी ने सबसे ज्यादा 221.31 करोड़ रुपये उत्तर प्रदेश के चुनाव में खर्च किए. यूपी में बीजेपी ने 255 सीटों पर जीत दर्ज की. इस हिसाब से उसे एक सीट लगभग 87 लाख रुपये की पड़ी.
2017 के चुनाव में बीजेपी ने यूपी में 175.10 करोड़ रुपये खर्च किए थे. तब उसे 312 सीटें मिली थीं. इस हिसाब से 2017 में बीजेपी को एक सीट 56 लाख रुपये के करीब पड़ी थी.
पंजाब में बीजेपी ने इस बार 36.69 करोड़ रुपये खर्च किए. जबकि, 2017 में पंजाब में बीजेपी ने 7.43 करोड़ रुपये खर्च किए थे. पिछली बार के मुकाबले इस बार 5 गुना ज्यादा खर्च करने के बावजूद पंजाब में बीजेपी महज 2 सीटें ही जीत सकी. यानी, यहां उसे एक सीट 18 करोड़ रुपये से ज्यादा की पड़ गई.
इसी तरह बीजेपी ने गोवा में चुनाव प्रचार पर 19.06 करोड़ रुपये खर्च किए. वहां उसने 20 सीटें जीतीं. इस हिसाब से गोवा में बीजेपी को एक सीट 95.33 लाख रुपये की पड़ी. उत्तराखंड में बीजेपी को एक सीट करीब 93 लाख रुपये की पड़ी. वहां पार्टी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी.
बीजेपी की तुलना में कांग्रेस का खर्च लगभग आधा है. कांग्रेस ने इस साल पांचों राज्यों में 194.80 करोड़ रुपये खर्च किए. यानी, जितना खर्च कांग्रेस ने पांचों राज्यों में मिलाकर किया, उससे ज्यादा तो बीजेपी ने अकेले उत्तर प्रदेश में ही कर दिया.
पिछले साल कांग्रेस ने पांच राज्यों (पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी) के चुनावों में लगभग 85 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
हालांकि, इस साल लगभग 195 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी कांग्रेस किसी राज्य में भी सरकार नहीं बना सकी. पांच राज्यों की 680 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ 56 सीटें ही जीत सकी. इस हिसाब से उसे एक सीट 3.47 करोड़ रुपये की पड़ी.
आम आदमी पार्टी ने इस साल हुए पांच राज्यों के चुनाव में से चार में अपने उम्मीदवार उतारे थे. हालांकि, पार्टी को पंजाब में ही फायदा हुआ. पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटों पर जीत दर्ज की और सरकार बनाई. गोवा में पार्टी ने 2 सीटों पर चुनाव जीता. वहीं, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में वो एक भी सीट नहीं जीत सकी.
इस साल पांच राज्यों के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 11.32 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए. सबसे ज्यादा उसने पंजाब और गोवा में खर्च किया.
पंजाब में पार्टी ने 6.23 करोड़ रुपये खर्च किए. यहां उसने 92 सीटें जीतीं. इस हिसाब से पंजाब में आम आदमी पार्टी को एक सीट लगभग 6.78 लाख रुपये की पड़ी. वहीं, गोवा में उसने 3.49 करोड़ रुपये खर्च किए और 2 ही सीट जीत सकी. इस हिसाब से गोवा में उसे एक सीट 1.74 करोड़ रुपये से ज्यादा की पड़ी.
चुनावी खर्चे की बात तो हो गई, अब जरा राजनीतिक पार्टियों की कमाई भी देख लेते हैं. राजनीतिक पार्टियों की कमाई का सबसे बड़ा सोर्स चुनावी बॉन्ड होता है. ये बैंकों से मिलता है. इसे ऐसे समझिए कि किसी व्यक्ति ने SBI से चुनावी बॉन्ड खरीदा और उसे किसी पार्टी को दे दिया. ये बॉन्ड 1 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक का हो सकता है.
इसके अलावा राजनीतिक पार्टियों की कमाई चंदे और सदस्यता से भी होती है. चुनाव आयोग में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में बीजेपी ने 752.33 करोड़ रुपये जुटाए थे और 620.39 करोड़ रुपये खर्च किए थे. 2019-20 की तुलना में ये कमाई बहुत कम थी. 2020-21 में बीजेपी ने 3,623.28 करोड़ रुपये कमाए थे और 1,651 करोड़ रुपये खर्च किए थे.
2020-21 में बीजेपी को 477.54 करोड़ और कांग्रेस को 74.50 करोड़ रुपये का चंदा मिला था. दोनों ही पार्टियों के चंदे में भारी कमी आई थी. 2019-20 में बीजेपी को 786 करोड़ और कांग्रेस को 139 करोड़ रुपये का चंदा आया था. इसकी वजह कोरोना महामारी भी हो सकती है. 2020-21 में कोरोना अपने पीक पर था. इस वजह से पार्टियों को मिलने वाले चंदे और कमाई में कमी आई.