नई दिल्ली। दशकों तक गांधी परिवार के वफादार रहे अशोक गहलोत क्या अब बागी जी-23 का हिस्सा होंगे? गुरुवार को जो घटनाक्रम हुआ है, उससे यही कयास लगाए जा रहे हैं। अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद एक तरफ साफ किया कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव अब नहीं लड़ेंगे। इसके अलावा सीएम पद को लेकर भी संशय की बात कह गए कि इस पर भी फैसला सोनिया गांधी को ही लेना है। केसी वेणुगोपाल का भी कहना है कि अगले कुछ दिनों में सीएम पद को लेकर फैसला हो जाएगा। यही नहीं राजस्थान में एक बार फिर से अध्यक्ष पद पर चुनाव के बाद विधायक दल की मीटिंग बुलाए जाने की तैयारी है। इसमें नए सीएम को लेकर फैसला हो सकता है।
वहीं इस बीच गुरुवार शाम को जी-23 के नेताओं की बैठक हुई। इसके बाद इस समूह के नेता आनंद शर्मा ने अशोक गहलोत से मुलाकात की। जी-23 नेताओं का कहना है कि यदि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के लिए अंतिम प्रत्याशी सही नहीं होता है तो फिर उनकी ओर से टक्कर दी जा सकती है। किसी नए उम्मीदवार को मैदान में उतारा जा सकता है। फिलहाल यही खबर है कि दिग्विजय सिंह और शशि थरूर नामांकन दाखिल करेंगे। इसके अलावा गांधी परिवार से मंजूरी के आधार पर मल्लिकार्जुन खड़गे भी मैदान में उतरने वाले हैं। आज दोपहर को ही नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
खड़गे आज दाखिल कर सकते हैं चुनाव के लिए नामांकन
फिलहाल मध्य प्रदेश के करीब एक दर्जन विधायक दिग्विजय सिंह के समर्थन में दिल्ली पहुंच रहे हैं और उनके नामांकन में मौजूद रह सकते हैं। इसके अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे भी आज नामांकन करने वाले हैं। माना जा रहा है कि वह गांधी परिवार की पसंद के तौर पर उतर रहे हैं और उन्हें ही यह अहम पद मिल सकता है। इन नेताओं के अलावा मीरा कुमार, केसी वेणुगोपा, पवन बंसल और अंबिका सोनी भी हैं, जिनके नाम अध्यक्ष पद की रेस को लेकर चर्चा में हैं। फिलहाल कांग्रेस नेताओं का कहना है कि शुक्रवार शाम तक ही असली तस्वीर सामने आएगी यानी अंत तक उलटफेर की संभावना बनी हुई है।
गहलोत को सीएम पद का भी करना ही होगा त्याग
गौरतलब है कि अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर पहले अशोक गहलोत के नामांकन भरने की चर्चा थी। लेकिन रविवार को विधायक दल की मीटिंग से अलग बैठक करने को लेकर बवाल मचा था। इसे लेकर चर्चा थी कि अशोक गहलोत सीएम पद के मोह में फंसे हैं और सचिन पायलट को इस जिम्मेदारी पर नहीं देखना चाहते। सोनिया गांधी भी उनसे इस कदर नाराज थीं कि लंबा इंतजार कराने के बाद मिलने का टाइम दिया। यहां अशोक गहलोत मिले भी तो सरेंडर कर दिया और मीडिया के सामने भी सोनिया गांधी से माफी की बात कही। हालांकि अब भी हाईकमान और अशोक गहलोत के बीच मतभेद सुझलते नहीं दिख रहे हैं। अशोक गहलोत को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है और वह जी-23 का हिस्सा बन सकते हैं।