नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पांच महीने के भीतर रेपो रेट (Repo Rate) में जोरदार इजाफा किया है. महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक इस साल मई से लेकर अब तक चार बार रेपो रेट में इजाफा कर चुका है. रिजर्व बैंक ने आज चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान करते हुए 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर दिया. इस तरह अगस्त महीने के बाद सितंबर में भी रेपो रेट 0.50 फीसदी बढ़ गया है.
ऐसे बढ़ा रेपो रेट
कोरोना महामारी के चलते रेपो रेट में लगातार दो साल तक बढ़ोतरी नहीं हुई थी. लेकिन जैसे-जैसे देश में महंगाई दर के आंकड़े बढ़ने शुरू हुए रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में इजाफा शुरू कर दिया. इस साल रेपो रेट बढ़ने की शुरुआत मई के महीने से हुई, जब बिना किसी पूर्व सूचना के आरबीआई ने आनन-फानन में एमपीसी की बैठक बुलाई और रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी. इसके बाद यह बढ़कर 4.40 फीसदी हो गया.
इसके अगले महीने जून में हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने दूसरा झटका देते हुए रेपो रेट में 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी. इससे रेपो रेट बढ़कर 4.90 फीसदी हो गया. जबकि, अगस्त में आरबीआई ने तीसरा झटका देते हुए फिर रेपो रेट में 0.50 फीसदी का और इजाफा कर दिया. इससे ब्याज दर बढ़कर 5.40 पर पहुंच गया. अब आरबीआई गवर्नर ने रेपो दर में एक बार फिर से 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए चौथा बड़ा झटका दिया है. मई से से लेकर अब तक रेपो रेट में कुल 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है.
कितनी बढ़ जाएगी EMI?
इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट से लिंक्ड लोन महंगे हो जाएंगे और आपकी EMI बढ़ जाएगी. रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंक भी अपने कर्ज की दरों में इजाफा करने को तैयार रहते है. ऐसे में अगर आपका बैंक लोन की ब्याज दर में भी 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करता है, तो फिर आपको लोन की ज्यादा EMI चुकानी होगी.
मान लीजिए कि आपने 20 लाख रुपये का होम लोन 20 साल की अवधि के लिए 8.65 पर लिया है. मतलब कि आप 8.65 फीसदी की दर से हर महीने EMI भर रहे हैं. इस दर से आपको 17,547 रुपये EMI चुकानी पड़ रही है. अब जब रेपो रेट में 0.50 फीसदी का इजाफा हुआ है, तो आपका ब्याज दर बढ़कर 9.15 फीसदी हो जाएगा और आपको 18,188 रुपये की EMI चुकानी पड़ेगी. इस तरह आप पर हर महीने 641 रुपये का भार बढ़ जाएगा.
RBI के लक्ष्य से ऊपर महंगाई
बात करें देश में महंगाई की, तो Retail Inflation लगतार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तय लक्ष्य सीमा से ऊपर बनी हुई है. बीते दिनों जारी किए गए खुदरा महंगाई के आंकड़ों को देखें तो अगस्त में यह एक बार फिर से 7 फीसदी पर पहुंच गई है. इससे पहले जुलाई महीने में खुदरा महंगाई में कमी दर्ज की गई थी और यह 6.71 फीसदी पर आ गई थी.
वहीं जून में यह 7.01 फीसदी, मई में 7.04 फीसदी और अप्रैल में 7.79 फीसदी रही थी. सरकार ने महंगाई दर को दो से 6 फीसदी के दायरे में रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी महंगाई इससे ऊपर बनी हुई है.