नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो चुके अशोक गहलोत ने अपने उन समर्थक नेताओं को सीख दी है, जिन्होंने अपने बड़बोले बयानों और उग्र रुख से कांग्रेस नेतृत्व को नाराज कर दिया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लटकी तलवार के बीच गहलोत ने कहा कि वह अपने साथियों को समझाते हैं कि कांग्रेस प्रेजिडेंट की अथॉरिटी कमजोर नहीं होनी चाहिए। मीडिया में इस तरह के बयान ना दें।
गहलोत ने शुक्रवार को मल्लिकार्जुन खड़ंगे को कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनाव में समर्थन का ऐलान किया। दिल्ली में मीडियाकर्मियों ने जब उनसे पूछा कि पर्यवेक्षक बनकर जयपुर गए और वहां से बैरंग लौटे मल्लिकार्जुन खड़गे अब कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे तो गहलोत ने कहा कि यह अलग मामला है। उन्होंने कहा, ”वहां जो घटना हुई वह किसी कारण से हुई हो, मैं वहां सीएलपी लीडर हूं तो मेरी नैतिक जिम्मेदारी थी कि किसी तरह एक लाइन का प्रस्ताव पास करवाता।”
गहलोत ने आगे कहा, ”50 साल मैं राजनीति मे हूं। इस दौरान कई बार ऐसे मौके आए हैं कि पर्यवेक्षक आते हैं और एक लाइन का प्रस्ताव पास किया जाता है। कभी ऐसा मौका नहीं आया कि एक लाइन का प्रस्ताव आया हो और उसे ना पास करवा पाएं हो। बहुत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण था। जिन्होंने बायकॉट किया उन मेरे मित्रों को मालूम है कि मेरी भावना क्या है। जो मुझे समझाना था मैंने समझाया। एक माहौल वहां बन गया कि आज प्रस्ताव पास हो गया तो कल क्या होगा।”
राजस्थान के सीएम ने कहा कि राजस्थान में जो कुछ हुआ वह उनकी प्रकृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा, ”मेरे रहते राजस्थान में विरोध हो सकता है क्या। मैं पूरे देश में क्या जवाब दूंगा। देश में किस किस को समझाएंगे कि क्या ब्रैकग्राऊंड था।” मीडिया में बेलगाम होकर बोल रहे अपने नेताओं से गहलोत ने कहा, ”कांग्रेस प्रेजिडेंट की अथॉरिटी यदि कमजोर होते हैं तो हम कहां रहेंगे। हम चाहें डैमेज हो जाएं, व्यक्ति के तौर पर मैं हमेशा समझाता हूं कि मीडिया को ऐसे कॉमेंट करो, खुद डैमेज हो जाओ तो परवाह मत करो, हाईकमान भरपाई कर देगा। आपको ड्यू (बकाया) मिल जाएगा। लेकिन ऐसे अगर कॉमेंट करोगे जिससे पूरी कांग्रेस नीचे जाए तो कोई भरपाई नहीं करेगा।”