देहरादून। अंकिता भंडारी की मौत की वजह जितनी पेचीदा है, उससे भी ज्यादा पेचीदा ये सवाल है कि पुलकित आर्य के रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने का हुक्म किसने दिया था? आप शायद यकीन ना करें मगर राज्य का कोई भी ऐसा मंत्री या अफसर नहीं है, जिसे इस बात की जानकारी हो कि बुलडोज़र चलाने का फरमान कहां से आया था? इलाके के डीएम से लेकर एसपी तक को इस बात की जानकारी नहीं. ऐसे में ये सवाल उठना लाजमी है कि बुलडोज़र चलवाने वाला कौन था? और उसकी मंशा क्या थी?
उत्तराखंड के यमकेश्वर में मौजूद पुलकित आर्य के वनंतरा रिजॉर्ट में बुलडोज़र आखिर किसके हुक्म से चलाया गया? आखिर कौन था जिसने रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने के लिए पीडबल्यूडी यानी पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट के इंजीनियर को आदेश दिया? आखिर रातों-रात रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चला कर कोई क्या हासिल करना चाहता था? कहीं ऐसा करके रिजॉर्ट में जुर्म के सबूत मिटाने की तो कोशिश नहीं की गई? रिजॉर्ट पर बुलडोज़र के सवाल पर क्यों पौड़ी के शासन-प्रशासन ने खामोशी ओढ़ ली है?
मामले में आया जिला पंचायत सदस्य का नाम
अंकिता भंडारी मर्डर केस की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, अंकिता के आरोपी कातिल पुलकित आर्य के रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने को लेकर बवाल भी बढ़ता जा रहा है. और इस नए बवाल के बीच जो सबसे बड़ा सवाल है, वो यही है कि आखिर रिजॉर्ट पर रातों-रात किसके कहने पर और क्यों बुलडोज़र चला दिया गया? इस पूरे बवाल को समझने के लिए एक मोबाइल फोन की कॉल रिकॉर्डिंग का जिक्र करना ज़रूरी है, जिसमें बुलडोज़र चलाने को लेकर जिला पंचायत सदस्य आरती गौड़ और पीडब्ल्यूडी के असिस्टेंट इंजीनियर सत्यपकाश के बीच तीखी नोंक-झोंक हो रही है.
23 सितंबर को चला था बुलडोजर
अंकिता की मौत के बाद जब पौड़ी पुलिस ने वनंतरा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य और उसके दो कर्मचारियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया, तो सिर्फ़ उत्तराखंड में ही नहीं पूरे देश में बवाल मच चुका था. ऐसी भयानक और दहलाने वाली वारदात को अंजाम देने के लिए लोग आरोपियों की जबरदस्त लानत-मलामत कर रहे थे और इसी बीच 23 सितंबर की रात को वो मंजर देखने को मिला, जो आम तौर पर उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में अक्सर देखने को मिलता है.
क्राइम सीन पर क्यों हुई कार्रवाई?
ये मंज़र था आरोपी की प्रॉपर्टी यानी वनंतरा रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चलाने का. उत्तराखंड से जब ये तस्वीरें सामने आई, तो ज्यादातर लोगों ने इसका स्वागत किया, लेकिन जैसे ही ये सवाल उठा कि पुलिस की सीन ऑफ क्राइम यानी वनंतरा रिजॉर्ट में जांच पूरी करने से पहले ही ये कार्रवाई कैसे कर दी गई, तो फिर बुलडोज़र चलाने को लेकर क्रेडिट लेनेवाले सारे सियासी किरदार बगले झांकने लगे और हालत ये हुई कि शासन प्रशासन से लेकर नेताओं तक ने इस पर चुप्पी साध ली.
CM ने किया था बुलडोज़र चला देने का दावा
ऐसे में मामले की तह तक जाने के लिए हमने एक-एक कर पौड़ी पुलिस से लेकर जिला प्रशासन और स्थानीय नेताओं तक से बात की, लेकिन इस तमाम कोशिश के बावजूद ये साफ नहीं हो सका कि आखिर इस कार्रवाई के पीछे किसका हाथ है? ऐसा तब है जब 23 सितंबर की रात को हुई बुलडोज़र चला देने का दावा वाली कार्रवाई के बाद उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने खुद ट्वीट कर पुलकित के रिजॉर्ट पर बुलडोज़र चला देने का दावा किया था, जबकि यमकेश्वर की विधायक रेणु बिष्ट बुलडोज़र चला देने का दावा वाली कार्रवाई की अगुवाई करते हए इसके लिए सीएम को शुक्रिया कह रही थीं.
दूसरे का अधिकार क्षेत्र बताकर नहीं दिया जवाब
लेकिन क्या ये सबकुछ बिना पुलिस प्रशासन की जानकारी के ही हो गया? सबसे बड़ा सवाल यही है. क्योंकि जब बुलडोज़र चला देने का दावा वाली कार्रवाई को लेकर सवाल उठा तो पौड़ी के डीएम ने खुद इस मामले की जांच करवाने की बात कही थी. हमने इस मामले पर सबसे पहले पौड़ी के एसएसपी यशवंत सिंह से बात की, लेकिन उन्होंने इसे अपने ज्यूरिशडिक्शन से बाहर की बात बताते हुए इस बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया.
डीएम ने साध ली चुप्पी
यानी ये साफ हो गया कि उन्हें बुलडोज़र चला देने का दावा वाली कार्रवाई की खबर नहीं थी. सच जानने के लिए हमने डीएम से कई बार बात करने की कोशिश की, उन्हें फोन किया, व्हाट्स एप मैसेज भेजे, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. जबकि पहले वो मामले की जांच करवाने की बात कह रहे थे. इसके बाद पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर अनुज कुमार से बात की गई. लेकिन उन्हें बुलडोज़र वाली आदेश की जानकारी नहीं थी.
इंजीनियर ने किया आरती गौड के नाम का जिक्र
लेकिन जेई अनुज कुमार ने इतना जरूर बताया कि उस रात करीब डेढ़ बजे जिला पंचायत मेंबर आरती गौड ने इसके बारे में पूछा जरूर था। जबकि आरती गौड़ से बात करने पर उन्होंने कहा कि उस रोज आधी रात को जब उन्हें बुल्डोजर वाली कार्रवाई की खबर मिली, तो उन्होंने असिस्टेंट इंजीनियर सत्यपकाश से इसके बारे में पूछा था. तब इंजीनियर ने एसडीएम और विधायक का नाम लिया था, लेकिन बाद में बयान बदलने लगा और इसी मसले पर जिला पंचायत मेंबर आरती गौड़ और असिस्टेंट इंजीनियर सत्यपकाश के बीच झड़प हो गई.
अंकिता के कमरे पर ही क्यों चला बुलडोज़र?
वैसे अब पौड़ी के डीएम ने प्रशासन के आदेश पर बुलडोज़र चलाने की बात कही है. लेकिन सवाल ये है कि अगर ये कार्रवाई प्रशासन के आदेश पर ही हुई, तो फिर पहले खुद डीएम साहब ने ही मामले की जांच करवाने की बात क्यों कही थी? और अगर कार्रवाई प्रशासन के आदेश पर हुई, तो फिर पुलिस को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी गई? क्यों पुलिस ने मौका-ए-वारदात से सबूत सुरक्षित रखना सुनिश्चित नहीं किया? क्योंकि बुलडोजर की कार्रवाई भी रिजॉर्ट के गेट के अलावा अगर किसी और हिस्से में हुई, तो वो अंकिता का कमरा ही था. जबकि यही वो हिस्सा था, जिसे सुरक्षित रखना चाहिए था. प्रशासन को इन सवालों का जवाब भी देना पड़ेगा.
आरोपियों के साथ-साथ पुष्प से भी की गई पूछताछ
बहरहाल, बुलडोज़र वाली कार्रवाई से अलग पुलिस ने इस मामले की जांच करते हुए गुरुवार को अंकिता के जम्मू में रहनेवाले दोस्त पुष्प दीप से पूछताछ की. पुलिस ने पुष्प दीप को पूछताछ के लिए पौड़ी बुलाया था. ये पुष्प दीप ही था, जिसने अंकिता को वनंतरा में नौकरी दिलाने में मदद की थी और उसकी गुमशुदगी के पहले उससे बात करता रहा था. गुमशुदगी के बाद भी उसने अंकिता को ढूंढने की कोशिश की थी और इस दौरान आरोपी पुलकित, सौरभ और अंकित से भी उसने फोन पर बातचीत की थी लेकिन सभी उसे झूठ बोल कर बरगलाने की कोशिश कर रहे थे.