डॉ विकास दिव्यकीर्ति किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, यूपीएससी की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों के लिये वो कोचिंग मंडियों से लेकर यू-ट्यूब तक मास्टरों के मास्टर कहलाते हैं। उनके पढाने और समझाने का सरल, सहज और हल्का-फुल्का मजाकिया अंदाज इन्हें बाकी शिक्षकों से अलग करता है, शायद यही वजह है कि छात्र इनके तौर-तरीकों के मुरीद हो जाते हैं, आइये विकास दिव्यकीर्ति के बारे में जानते हैं।
एजुकेटर-टीचर डॉ. विकास दिव्यकीर्ति प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले दृष्टि आईएएस कोचिंग संस्थान के एमडी हैं, आर्य समाज तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ताल्लुक रखने वाला उनका परिवार मूल रुप से पंजाब से है, लेकिन उनकी पढाई-लिखाई हरियाणा से हुई है, वहां के भिवानी में स्कूली शिक्षा हासिल की, पिता हरियाणा के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और मां भिवानी के एक स्कूल में टीचर थी।
भाइयों में सबसे छोटे विकास स्कूल के दिनों से राजनीति में सक्रिय थे, उन्होने डीयू से ग्रेजुएशन किया है, कॉलेज के दिनों में उन्होने आरक्षण के विरोध में आंदोलन में भी हिस्सा लिया था, पुलिस ने पिटाई भी की थी, उनके पिता की चाहत थी कि बेटा बड़ा होकर नेता बने, लेकिन समय तथा किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था, नतीजा विकास जब करीब 24 साल के थे, तब से आईएएस और आईपीएस वालों के गुरु बन गये।
विकास दिव्यकीर्ति जबरदस्त डिबेटर रहे हैं, डीयू में हिस्ट्री ऑनर्स का पहला साल खत्म हुआ, जिसके बाद वो सेल्समैन की नौकरी करने लगे, हालांकि इस नौकरी में उनका ज्यादा दिन मन नहीं लगा, इससे आगे बढते हुए छोटे उद्यम की ओर बढे, डिबेटिंग से छिट-पुट खर्चा निकालते हुए उन्होने भाई के साथ मिलकर प्रिटिंग का काम शुरु किया, वो इस काम में सफल भी रहे, बाद में मजा ना आया, तो अध्यापन की ओर बढ गये। विकास ने 1996 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का पहला अटेंप्ट दिया, जिसमें पास हो गये, गृह मंत्रालय में नौकरी मिली, हालांकि उन्होने नौकरी छोड़ दी, बाद में डीयू के कॉलेज में पढाया, फिर दृष्टि की स्थापना की।
पिता को खुद बताई अफेयर की बात
कम ही लोगों को पता है कि हरियाणा में पले-बढे डॉ. विकास दिव्यकीर्ति ने अपने अफेयर के कुछ दिनों बाद ही पिता को सबकुछ बता दिया था, दोनों डीयू में मिले थे, पिता भी तुरंत राजी हो गये, साल 1997 में तरुणा से विकास दिव्यकीर्ति ने शादी कर ली, तरुणा मूल रुप से बिहार की रहने वाली हैं।