नई दिल्ली। पाकिस्तान ने मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के फैसले के विरोध में भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते खत्म कर लिए थे. लेकिन अब भारत को अकड़ दिखाना पाकिस्तान को बहुत महंगा पड़ रहा है.
गेहूं, चीनी, घी आदि जरूरी चीजों की भारी किल्लत से जूझता पाकिस्तान भारी खर्च कर रूस, यूएई, मिस्र, ब्राजील, सिंगापुर आदि देशों से आयात कर रहा है. लेकिन अगर पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने रिश्ते ठीक रखे होते तो इस आयात खर्च में भारी कमी आती. दूर देशों से आयात करने में पाकिस्तान का शिपिंग चार्ज काफी बढ़ गया है और डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये के अवमूल्यन ने इस संकट को और गहरा कर दिया है. भारत कई देशों को जिस दर पर गेहूं बेच रहा है, पाकिस्तान को दूसरे देशों से गेहूं खरीद के लिए उससे कहीं अधिक पैसे देने पड़ रहे हैं.
अपनी झूठी अकड़ के लिए खुद का ही नुकसान कर रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान की सरकार गेहूं की किल्लत को पूरा करने के लिए कुल 75 लाख टन गेहूं का आयात कर रही है. पाकिस्तान रूस से सबसे अधिक गेहूं खरीद रहा है. सोमवार को ही रूस से गेहूं की एक बड़ी खेप कराची बंदरगाह पर पहुंची है. आने वाले दिनों में 4 लाख 50 हजार टन गेहूं रूस से पाकिस्तान पहुंचने वाला है.
पाकिस्तान सांख्यिकी ब्यूरो (पीबीएस) के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021 में पाकिस्तान ने 31 लाख टन से अधिक गेहूं का आयात किया था जिसके लिए उसने 98.3 करोड़ डॉलर का भुगतान किया था. वित्त वर्ष 2022 में 22 लाख टन से ज्यादा का गेहूं आयात किया गया था जिसके लिए पाकिस्तान को 79.5 करोड़ रुपये देना पड़ा था. वहीं वित्त वर्ष 2023 की पहली तिमाही में पाकिस्तान 856,813 टन अनाज आयात कर रहा है जिसके लिए उसने 40.8 करोड़ रुपये का भुगतान किया है.
पाकिस्तान, रूस और यूक्रेन आदि देशों से गेहूं का आयात करता है लेकिन दोनों देशों के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक गेहूं की कीमतों को बढ़ा दिया है. पाकिस्तान रूस से उस बढ़ी हुई कीमत पर ही गेहूं की खरीद कर रहा है. वहीं, भारत, यूएई, कतर, ओमान, श्रीलंका आदि देशों को रियायती दरों पर गेहूं बेच रहा है. पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को बीच में लाकर खुद अपना ही नुकसान कर रहा है.
भारत-पाक के बीच माल-ढुलाई का खर्च काफी कम
भारत-पाकिस्तान के बीच जब रिश्ते थोड़े बेहतर थे तब दोनों देशों के बीच अधिकतर व्यापार सड़क मार्ग से ट्रकों के माध्यम से होता था. इससे आयात का खर्च काफी कम आता था. लेकिन 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटाकर जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के राजनयिक, व्यापारिक रिश्तों में दूरी आ गई. द्विपक्षीय व्यापार लगभग नगण्य हो गया.
अगर पाकिस्तान बाद के समय में अपनी हरकतों से बाज आता और भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को ठीक करने की कोशिश करता तो उसका आयात खर्च काफी कम होता. पाकिस्तान को छोड़कर लगभग सभी पड़ोसी देश भारत से गेहूं, चीनी आदि वस्तुओं का आयात अपेक्षाकृत कम खर्च कर रहे हैं. व्यापारिक सूत्रों का कहना है कि बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका आदि देश भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं का आयात कर रहे हैं.
द हिंदू से बातचीत में MEIR Commodities India के प्रमुख राहिल शेख कहते हैं, ‘पाकिस्तान भारत से कई टन चीनी खरीद सकता था. हम उन्हें सड़क के रास्ते ट्रकों से चीनी भेज देते. लेकिन पाकिस्तान दुबई के किसी रिफाइनरी से चीनी खरीद रहा है.’
आसमान छू रही आटे की कीमत
पिछले साल पाकिस्तान में आई बाढ़ ने गेहूं की फसलों को तबाह कर दिया था. पाकिस्तान में गेहूं का घरेलू उत्पाद बिल्कुल घट गया जिसके बाद उसे आयात पर निर्भर होना पड़ा है. एक किलो चक्की आटे के लिए लोगों को 160 रुपये देना पड़ रहा है. सरकार सब्सिडी पर गरीब लोगों को 10 किलो गेहूं का पैकेट दे रही है जिसकी कीमत 650 रुपये रखी गई है लेकिन बाजार से सब्सिडी वाला ये आटा भी गायब हो गया है. पाकिस्तान में 100 किलो गेहूं की बोरी की कीमत 12,500 रुपये हो गई है.
पाकिस्तान में चीनी की मिठास भी हुई कम
पाकिस्तान भारत के रिश्ते अगर अच्छे होते तो उसे चीनी की खरीद के लिए भी अधिक पैसे नहीं देने पड़ते क्योंकि भारत रियायती दरों पर चीनी का आयात कर रहा है. पाकिस्तान फिलहाल अपनी चीनी आपूर्ति के लिए यूएई, ब्राजील, मिस्र और अल्जीरिया जैसे देशों पर निर्भर है. पिछले सालों में पाकिस्तान के चीनी उत्पादन क्षमता में भारी गिरावट आई है. वो चीनी के लिए आयात पर निर्भर हो गया है लेकिन पाकिस्तानी रुपये की कमजोरी के कारण पर्याप्त मात्रा में चीनी आयात नहीं हो पा रहा.
वैश्विक बाजार में चीनी की बढ़ी कीमतों के कारण भी पाकिस्तान को चीनी आयात पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है. लोग चीनी और उससे बनी चीजों की कमी का सामना कर रहे हैं. पाकिस्तान में एक किलो चीनी लगभग 100 रुपये में मिल रही है.
वहीं, पाकिस्तान घी के लिए भी विदेशी आयात पर निर्भर हो गया है. भारत विश्व का सबसे बड़ा घी का उत्पादक है लेकिन पाकिस्तान अपनी दुश्मनी के कारण इसका लाभ उठाने से वंचित रह जा रहा है. वो सिंगापुर और यूएई जैसे दूर देशों से घी खरीद रहा है.
आयात पर निर्भर पाकिस्तान के पास नहीं बचा पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार
पाकिस्तान सभी जरूरी सामानों के लिए आयात पर निर्भर है लेकिन जल्द ही उसका विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने वाला है. पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स में यह बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास करीब पांच अरब डॉलर ही बचा है. इतने पैसे में पाकिस्तान बस तीन हफ्ते ही आयात कर पाएगा.
पाकिस्तान पर चीन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक का भारी कर्ज है. आने वाले समय में विदेशी कर्ज न चुका पाने के कारण पाकिस्तान पर डिफॉल्टर साबित होने का खतरा मंडरा रहा है. इस बीच पाकिस्तान को मित्र देश सऊदी अरब की तरफ से थोड़ी राहत मिली है. हाल ही में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान में अपना निवेश 10 अरब डॉलर तक बढ़ाने की घोषणा की है. पाकिस्तान को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से आपातकालीन लोन की अगली किस्त मिलने की भी उम्मीद है. हालांकि, आईएमएफ का कहना है कि पाकिस्तान को अपना आयात घटाकर निर्यात बढ़ाना होगा और अपने खर्चे कम करके आय के स्रोत बढ़ाने होंगे, तभी वह कर्ज दे सकेगा.