नई दिल्ली। 26 नवंबर को भारत सरकार की ओर से करतारपुर कॉरिडोर साहिब गलियारे की आधारशिला रखी जाएगी. पंजाब के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक से इंटरनेशनल बॉर्डर तक करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा. यह कॉरिडोर सिख समुदाय के लोगों के लिए काफी खास है. सिख समुदाय के लोगों की धार्मिक भावनाएं इस गुरुद्वारे से जुड़ी हुई है.
इसलिए खास है करतारपुर साहिब गुरुद्वारा
करतारपुर साहिब गुरुद्वारा पाकिस्तान में भारत-पाक सीमा से लगभग तीन से चार किलोमीटर दूर स्थित है. पाकिस्तान में करतारपुर साहिब, भारत के पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक पूजास्थल से करीब चार किलोमीटर दूर रावी नदी के पार स्थित है. यह सिख गुरुद्वारा 1522 में सिख गुरु ने स्थापित किया था. करतारपुर साहिब सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव का निवास स्थान था. कहा जाता है कि अपने जीवनकाल में गुरु नानक देव ने इसी स्थान पर 17 साल 5 महीने 9 दिन गुजारे थे.
यहीं हुआ था गुरु नानक के माता-पिता का निधन
करतारपुर साहिब में ना सिर्फ गुरु नानक देव बल्कि उनके माता-पिता का इतिहास भी जुड़ा हुआ है. गुरु नानक के निवास के दौरान करतारपुर साहिब में ही उनका परिवार निवास करने लगा था. उनके माता-पिता और उनका देहांत भी यहीं पर हुआ था. गुरु नानक देव और उनकी यादों को संजोया जा सके इसके लिए सिखों द्वारा इसी स्थान पर गुरुद्वारा बनाया गया. यह पाकिस्तान के नारोवाला जिले में स्थित है.
‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’
रावी नदी के किनारे शीतल स्थान पर बनाए गए इस गुरुद्वारे के लिए ‘नाम जपो, किरत करो और वंड छको’ (नाम जपें, मेहनत करें और बांट कर खाएं) का उपदेश दिया था.
कुएं का विशेष महत्व
करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के अंदर एक कुआं स्थित है. कहा जाता है कि यह कुआं गुरु नानक देव जी के जमाने से स्थित है. इस कुएं के पानी को लेकर सिख धर्म के लोगों में काफी मान्यता है. कुएं के पास ही एक बम के टुकड़े को प्रशासन द्वारा शीशे में जड़वाकर रखा गया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बम का टुकड़ा 1971 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान गिरा था.