नई दिल्ली। लखीमपुर हिंसा के आरोपी और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 8 महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली या फिर यूपी में ना रहने की हिदायत दी गई है। जस्टिस सूर्यकांत और जेके माहेश्वरी की बेंच ने उनकी जमानत अर्जी पर फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई की निगरानी वह खुद करेगा।
बता दें कि आशीष मिश्रा पर किसानों को गाड़ी से कुचलकर मारने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ उन्हें आठ हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है। कोर्ट ने कहा है कि इस अवधि के दौरान उन्हें दिल्ली और यूपी से बाहर ही रहना होगा। इसके अलावा वह जहां भी रहें उसकी पूरी जानकारी देनी होगी। अगर वह गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं तो तत्काल उनकी जमानत खारिज कर दी जाएगी।
बता दें कि 19 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। वहीं उत्तर प्रदेश सरकार ने आशीष मिश्रा की जमानत का विरोध किया था। योगी सरकार का कहना था कि यह गंभीर मामला है और इसमें अगर आरोपी को जमानत दी जाती है तो गलत संदेश जाएगा। सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने भी कहा था कि यह हत्याकांड सोची समझी साजिश के तहत किया गया था। वहीं आशीष मिश्रा के पिता प्रभावशाली हैं। वहीं आशीष मिश्रा की तरफ से सीनियर ऐडवोकेट मुकुल रोहतगी पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि जमानत का आधार यह नहीं हो सकता कि कौन प्रभावशाली है और कौन नहीं।
रोहतगी ने कहा था कि मिश्रा एक साल से ज्यादा वक्त से जेल में हैं। वह कोई हिस्ट्री शीटर नहीं हैं। उनका आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के बयान पर केस दर्ज किया गया था जो कि घटना के जश्मदीद नहीं थे। बता दें कि 3 अक्टूबर 2021 को उपमुख्यमंत्री केपी मौर्य की रैली के विरोध में किसान लखीमपुर खीरी में जुटे थे। उसी वक्त थार एसयूवी ने चार किसानों को कुचल डाला। इसमें आशीष मिश्रा भी बैठे थे। इसके बाद किसानों ने भी कथित तौर पर एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला था। इसमें एक पत्रकार की भी जान चली गई थी। इसके बाद आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों पर दंगा, हत्या, हत्या के प्रयास और जानबूझकर चोट पहुंचाने का मुकदमा दर्ज किाय गया था।