नई दिल्ली। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के परिवार समेत अयोध्या से लौटने के अगले दिन ही मुखपत्र ‘सामना’ के जरिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधा गया है. साथ ही अयोध्या में उद्धव के जोरदार स्वागत की भी तारीफ की गई है. मुखपत्र में कहा गया है कि उद्धव ठाकरे के अयोध्या दौरे से राम मंदिर को लेकर बीजेपी पर दबाव बना है. पहली बार प्रधानमंत्री तक ने राम मंदिर मुद्दे पर अपना बयान दिया है. शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना में लिखा है, ‘सकल मनोरथ होहिं तुम्हारे-राम लखन सुनि भए सुखारे…’ कहते हैं कि अयोध्या में जो आते हैं, उनके मनोरथ पूर्ण होते हैं. हम अयोध्या में व्यक्तिगत और राजनीतिक मनोरथ लेकर नहीं, बल्कि अपनी अयोध्या में ही वनवास भोगने वाले श्रीराम के अधिकार वाले मंदिर के लिए आए. अयोध्यावासियों ने हमारा प्रेम से स्वागत किया, ‘जिंदाबाद’ के नारे लगाए, फूल बरसाए. इससे हम अभिभूत हैं फिर भी राम जन्मस्थान पर वनवास भोगने वाले प्रभु श्रीराम की व्यथा लेकर हम महाराष्ट्र वापस लौटे हैं. हमारे अयोध्या दौरे से एक काम जरूर हुआ है कि राम मंदिर के सवाल पर जो सोए थे उन्होंने करवट नहीं बदली है लेकिन आंख खुल गई है.’
‘राम मंदिर बनवाना होगा, जुमलेबाजी नहीं चलेगी’
सामना में आगे लिखा गया है कि राम मंदिर के बारे में जुमलेबाजी और गपबाजी नहीं चलेगी, इसका अहसास सबको हो गया है. पता चला है कि प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान की प्रचार सभा में कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना है, लेकिन कांग्रेस पार्टी इस मामले में चल रही अदालती प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रही है.
कांग्रेस के इस अड़ियल रवैए के कारण राम मंदिर के मामले में विलंब हो रहा है, ऐसा भी मोदी ने कहा. मोदी को अब गांधी परिवार और कांग्रेस पर आरोप मढ़ना बंद करना होगा. इस तरह की रुकावटें तथा मुसीबतों का पहाड़ा पढ़ने के लिए आपको सत्ता नहीं सौंपी है. राम मंदिर में कांग्रेस का और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की रुकावटें थीं, इसीलिए तो लोगों ने उन्हें सत्ता से बेदखल कर भाजपा की सत्ता लाई गई. इसलिए अब कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ना बंद करो.
मंदिर निर्माण के लिए जो हिम्मत लगती है, वो न होने से ही लोगों ने कांग्रेस को धूल चटाई तथा हिम्मतबाज छप्पन इंच वाले के हाथों में कामकाज की चाबियां सौंप दीं. फिर भी उन्हें जल में, जमीन में, आसमान में… कांग्रेस ही दिखाई दे रही होगी तो आपके सीने का नाप जनता को फिर से लेना पड़ेगा.
राम ने आपका मनोरथ सफल किया. उसके बदले में राम अखंड वनवासी रहनेवाले होंगे तो राजनीतिक नौटंकी बंद करो. मोदी को मंदिर का निर्माण करना है पर कांग्रेस की रुकावट है. कांग्रेस की रुकावट रहते हुए भी नोटबंदी की बाबरी बनाई न? कांग्रेस की रुकावट होते हुए भी जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार की स्थापना की थी न? कई बार कांग्रेस को तोड़कर और सुलाकर रुकावटें दूर की गर्इं. फिर राम मंदिर में रुकावट क्या है? मंदिर सरकार को ही बनाना है और कानून के दायरे में रहकर बनाना है, ऐसा भाजपा ने अपने एजेंडा मतलब घोषणापत्र में कहा था. उस दायरे में राम मंदिर कब बैठेगा?
‘आप तीन तलाक पर बिल ले आए, पर राम मंदिर पर क्यों नहीं’
ट्रिपल तलाक जैसे विषय उस दायरे से बाहर निकले. फिर मंदिर क्यों अटका है? एक कानून ही तो राम मंदिर के लिए बनाना है. कानून के दायरे को क्या लेकर बैठे हो? आप सब-कुछ करते हो, लेकिन राम मंदिर का विषय निकालने पर बिच्छू काटने जैसा झटका लगा हो.
राम मंदिर का निर्माण आपको कड़वे और तेज जहर के समान लगता होगा, लेकिन इस हलाहल को पचाना ही पड़ेगा. राम मंदिर के मामले में कांग्रेस रुकावटें डाल रही होगी तो एक सर्वदलीय बैठक सबसे पहले बुलाओ और राम मंदिर के सवाल पर सरकार अध्यादेश निकालकर काम शुरू कर रही है. मंदिर मामले में विश्व हिंदू परिषद ने एक बहुत विशाल धर्मसभा की और प्रस्ताव पारित किया. उससे क्या होगा? हिन्दुस्तान की संसद के सामने अब धर्मसभा हो और उसमें मंदिर अध्यादेश का कागज लेकर ही प्रधानमंत्री मोदी को ही आमंत्रित करो. मंदिर मामले पर जो नकारात्मक भूमिका लेगा, वह राजनीति से हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा. राहुल गांधी को इसका अहसास है. राम मंदिर के मामले में सबसे बड़ी रुकावट कांग्रेस वगैरह की न होकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की है. राहुल गांधी का अस्तित्व ही कितना?
‘कांग्रेस को इतनी तवज्जो क्यों देते हैं’
कांग्रेस की जान भी तोला-माशा जितनी. फिर उन्हें इतना महत्व क्यों देते हो? राम मंदिर की घोषणा करो. कांग्रेस सूखे पत्ते की तरह उड़ जाएगी मगर कांग्रेस के कंधों पर मंदिर की बंदूक रखकर राजनीति करोगे तो खुद ही उड़ जाओगे. राम मंदिर निर्माण का वचन कांग्रेस का नहीं बल्कि भाजपा का है.
एक वचनी श्रीराम को भी यह पता है. अयोध्या को राजनीतिक अखाड़ा न बनने दें. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इस अखाड़े में शिला आए और राम का वनवास खत्म हो. इसके लिए और मंदिर निर्माण के वचन जो भूल गए हैं उनको उनका स्मरण कराने के लिए ही हम अयोध्या गए थे.
सामना में लिखा है कि अब हमारी अयोध्या की ललकार के बाद राजस्थान की प्रचार सभा में तो प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर का उल्लेख किया. चलो, इतने वर्षों बाद मोदी के मुंह से राम मंदिर का कम-से-कम उच्चार तो हुआ. हमारी अयोध्या यात्रा सफल हुई. वे उठ गए, वे जाग गए.