भूकंप से तुर्की और सीरिया में जलजला, पीछे छूटी फुकुशिमा त्रासदी, अब तक 19 हजार से ज्यादा की मौत

राहत और बचाव प्रयास के बीच गुरुवार को तुर्की और सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या 19,300 के पार हो गई है। तुर्की और सीरिया में आए भूकंप के तीन दिन बाद बेघर हो चुके हजारों लोग एक शिविरों में रहने को मजबूर हैं। लोग कड़ाके की ठंड में भोजन और पानी के लिए चिल्ला रहे हैं। इस बीच, राहतकर्मी मलबे के ढेर में दबी जिंदगी तलाशने में जुटे हैं। हादसे में जीवित बचे कई और लोगों को आज निकाल लिया गया।

तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप के कारण जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर 19,300 के पार हुई। यह संख्या जापान के फुकुशिमा में हुई त्रासदी के दौरान मरने वालों की संख्या से भी अधिक है। बता दें कि जापान में 11 मार्च 2011 को आए भूकंप के बाद उठी विनाशकारी सुनामी लहरों की चपेट में फुकुशिमा परमाणु ऊर्जा संयंत्र आ गया था। 11 मार्च 2011 को जापान के उत्तर-पूर्वी तट पर 9.0 तीव्रता का भूकंप आया था। इसके कुछ देर बाद भूकंप के चलते वहां 15 मीटर उंची सुनामी आई थी।

भूकंप के दौरान फुकुशिमा परमाणु संयंत्र का बैक-अप सिस्टम तो बच गया था लेकिन सुनामी में उसे बहुत नुकसान हुआ। कुछ दिनों बाद उसका कूलिंग सिस्टम विफल हो गया और इससे रिएक्टरों के पिघलने से कई टन रेडियोएक्टिव सामग्री बाहर आ गई। फुकुशिमा की यह घटना 1986 में चेरनोबिल में हुई दुर्घटना के बाद दूसरा सबसे भयानक दुर्घटना थी। भूकंप और सुनामी में करीब 18,500 लोग मारे गए या गायब हो गए। इस दौरान वहां के 1,60,000 से भी ज्यादा लोग अपने घरों से पलायन को मजबूर हो गए।

तुर्की में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप और उसके बाद महसूस किये गये झटकों में काफी संख्या में इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह गईं, जिसके चलते हजारों लोग बेघर हो गये। साथ ही, कड़ाके की सर्दी के कारण कई लोगों की मौत हो गयी है। वास्तुशिल्प इतिहास की विद्वान कुबरा हैलिसी ने इस्तांबुल से यह जानकारी दी। तुर्की की इस नागरिक ने बताया, ‘‘हालांकि, हमलोग भूकंप के केंद्र से बहुत दूर रह रहे हैं, लेकिन हमने भूकंप के बाद आये शक्तिशाली झटकों को महसूस किया है।’’

सोशल मीडिया के माध्यम से पीटीआई-भाषा ने हैलिसी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं और मेरे परिवार के लोग सुरक्षित हैं लेकिन मेरे देश के टुकड़े हो गये हैं।’’ हैलिसी ने कहा, ‘‘भूकंप के कारण दस प्रांत प्रभावित हुये हैं और हम लोग स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में केवल मौत और विनाश के दृश्य देख रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इमारतें ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह गईं। मलबे में दबे कुछ लोगों की मौत हाड़ कंपाने वाली सर्दी के कारण हो गयी। यहां तक कि ऐसे कई लोग, जो इस आपदा में बेघर हो गए थे, कड़ाके की सर्दी के कारण उनकी मौत हो गयी।’’

तुर्की एवं सीरिया में विनाशकारी भूकंप के कारण संकट में फंसे लोगों की मदद के लिये भारत समेत विश्व के विभिन्न देश मानवीय सहायता भेज रहे हैं। भारत ने मंगलवार को चार सी -17 ग्लोबमास्टर सैन्य परिवहन विमानों के जरिये राहत सामग्री तुर्किये को भेजी। भारत ने एक चलित अस्पताल और विशेष तलाश एवं बचाव दल भी वहां भेजा है। बुधवार को भारत ने भूकंप प्रभावित सीरिया को आवश्यक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों सहित छह टन राहत सामग्री सौंपी।