मुंबई। शिवसेना का नाम और निशान शिंदे गुट के पास आने के बाद महाराष्ट्र में सियासी खींचतान बढ़ गई है। शिवसेना का नाम और निशान गंवाने के बाद उद्धव ठाकरे के पास क्या बचेगा, यह एक बड़ा सवाल है। जो आसार बन रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे को खाली हाथ करके ही छोड़ेंगे। असल में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के पार्टी फंड के साथ-साथ ऑफिस और कार्यकर्ताओं पर भी दावा ठोंक दिया है। बता दें कि पिछले साल शिवसेना के 56 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे के साथ उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर चले गए थे। बाद में शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली थी। इसके बाद शिंदे और उद्धव गुट में असली शिवसेना को लेकर खींचतान मची हुई थी।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में 2024 में विधानसभा चुनाव होने वाला है। वहीं, बीएमसी समेत विभिन्न स्थानीय निकायों के चुनाव भी होने वाले हैं। इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को शिवसेना की वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई है। इसे शिंदे के शिवसेना पर पूरा वर्चस्व स्थापित करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को शिवसेना नाम और चुनाव निशान धनुष-बाण एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया था। इसके साथ ही शिंदे गुट महाराष्ट्र में संगठन को चलाने का अधिकारी हो गया है।
शिंदे गुट बोला-हम असली शिवसेना
गौरतलब है कि शुरुआत में शिंदे गुट के नेता किरण पावसकर ने कहा था कि वह पार्टी फंड और बैंक अकाउंट पर दावा नहीं करने जा रहे हैं। वहीं, सोमवार को शिवसेना ने राज्य विधानसभा में पार्टी ऑफिस का चार्ज ले लिया। इस दौरान शिंदे गुट के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हम सबकुछ संविधान और नियम-कानून के दायरे में रहकर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले दिन से ही हम कह रहे हैं कि हम ही असली शिवसेना हैं। हम पार्टी छोड़कर कहीं नहीं गए थे। चुनाव आयोग के फैसले ने हमारे कदम को सही साबित कर दिया।
उधर, शिंदे गुट द्वारा पार्टी वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाने और पार्टी फंड पर दावे ने उद्धव ठाकरे गुट की कड़ी प्रतिक्रिया आई है। उद्धव गुट के प्रवक्ता हर्षल प्रधान ने कहा कि यह ठाकरे और उनके समर्थकों को परेशान करने का मामला है। आखिर उन्हें शिवसेना कार्यकर्ताओं की मीटिंग बुलाने का क्या हक है? वह पार्टी फंड पर भी कैसे दावा कर सकते हैं? बता दें कि इससे पहले शिंदे गुट को बालासाहेब की शिवसेना नाम दिया गया था और सिंबल के तौर पर उन्हें तलवार ढाल का निशान दिया गया था।