नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को कथित शराब घोटाले में एक बार फिर सीबीआई के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। मनीष सिसोदिया के सीबीआई दफ्तर पहुंचने से पहले ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपने ‘दाएं हाथ’ की गिरफ्तारी का डर सताने लगा। उन्होंने यहां तक कहा कि वह उनके जल्द जेल से लौटने का इंतजार करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि देश, समाज के लिए जेल जाना दूषण नहीं भूषण होता है। खुद सिसोदिया ने भी राजघाट पर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के बाद कहा कि उन्हें 8-10 महीने जेल में बिताना पड़ सकता है।
मनीष सिसोदिया दिल्ली सरकार में शिक्षा,वित्त, बिजली, रोजगार, बिजली समेत डेढ़ दर्जन विभागों का कामकाज संभालते हैं। पिछले साल मई में सत्येंद्र जैन के जेल चले जाने के बाद से स्वास्थ्य मंत्रालय का काम भी सिसोदिया ही देख रहे हैं। ऐसे में यदि उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है तो केजरीवाल सरकार की पहली चिंता इन विभागों के कामकाज को लेकर होगी। सभी महत्वपूर्ण विभागों का कामकाज प्रभावित हो सकता है।
सिसोदिया को यदि गिरफ्तार करके जेल भेजा जाता है तो ‘आप’ के कामकाज पर भी इसका असर होना तय है। यह जगजाहिर है कि सिसोदिया पार्टी संयोजक केजरीवाल के सबसे बड़े विश्वासपात्र हैं। पार्टी में सिसोदिया का कद केजरीवाल के बाद सबसे बड़ा है। दिल्ली में गढ़ को बचाए रखने का काम हो या विस्तार योजना को अंजाम देना, सिसोदिया रणनीति बनाने से उसे अंजाम देने तक में जुटे रहते हैं। ऐसे में यदि सिसोदिया जेल गए तो पार्टी को कामकाज पर सीधा असर हो सकता है।
पार्टी की छवि पर असर
एक दशक पहले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से निकली पार्टी खुद को ‘कट्टर ईमानदार’ के रूप में प्रचारित करती है। लेकिन पिछले एक साल में एक के बाद भ्रष्टाचार के कई आरोप पार्टी नेताओं पर लगे हैं। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले में आरोपी बनाया गया तो पार्टी पर विपक्ष को आक्रामक होने का मौका मिल गया। अब खुद अरविंद केजरीवाल के पीए से भी पूछताछ हुई है। ऐसे में पार्टी के सर्वोच्च नेताओं तक जांच एजेंसियों के पहुंचने से पार्टी की छवि प्रभावित हो सकती है।