लखनऊ। साल 1979 की बात है. प्रयागराज तब इलाहाबाद हुआ करता था. यहां चाकिया नाम का मोहल्ला था. यहीं फिरोज अहमद रहा करते थे, जो तांगा चलाकर परिवार का गुजर-बसर करते थे. इन्हीं फिरोज का लड़का हाईस्कूल में फेल हो गया. उसे अमीर बनने का चस्का लग गया. इसलिए वो गलत काम में पड़ गया, रंगदारी वसूलने लगा. महज 17 साल की उम्र में हत्या का पहला आरोप लगा. उस लड़के का नाम था- अतीक अहमद.
अतीक अहमद का नाम एक बार फिर से हत्या के मामले में जुड़ा है. अब उसका नाम उमेश पाल की हत्या में सामने आया है. उमेश पाल की हत्या बीते शुक्रवार को हो गई थी. उमेश पाल 19 साल पहले हुए राजू पाल हत्याकांड का मुख्य गवाह था.
25 जनवरी 2005 को राजू पाल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव की भी मौत हो गई थी. इस हत्याकांड में सीधे तौर पर तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था. राजू पाल बहुजन समाज पार्टी के विधायक थे.
बहरहाल, उमेश पाल हत्याकांड में केस दर्ज कर लिया गया है. उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने अतीक अहमद, उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन, अतीक के भाई अशरफ, अतीक के दो बेटों और करीबी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम समेत नौ के खिलाफ केस दर्ज करवाया है. इस मामले में प्रयागराज पुलिस ने अतीक अहमद के दोनों बेटों समेत 14 संदिग्धों को हिरासत में ले लिया है.
चार लोग पहले ही जेल में
– उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और उसके परिवार के जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है, उनमें से चार जेल में बंद हैं.
– अतीक अहमद साबरमती जेल में हैं. भाई अशरफ बरेली जेल में बंद है. अतीक का बड़ा बेटा मोहम्मद उमर लखनऊ जेल तो छोटा बेटा अली अहमद प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद है.
– उसके दो और बेटे अहजम और आबान भी पुलिस हिरासत में हैं. अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन बहुजन समाज पार्टी में हैं.
तांगेवाला का लड़का कैसे बना ‘डॉन’
– जैसा हम पहले ही बता चुके हैं अतीक अहमद के पिता फिरोज अहमद प्रयागराज में तांगा चलाया करते थे. 10वीं में फेल होने के बाद अतीक अपराध की दुनिया में आ गया.
– उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था. पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे. लिहाजा, अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला. लेकिन आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक हो गया.
– हालांकि, इसके बाद भी अतीक अहमद की मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ती ही गई. उसके पास बचने का तरीका सियासत ही था. 1989 में अतीक अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत गया.
– अतीक अहमद ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी. बाद में समाजवादी पार्टी ज्वॉइन कर ली. फिर अपना दल में आ गया. अतीक पांच बार विधायक और एक बार फूलपुर से लोकसभा सांसद चुना गया.
10 जजों ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया
– अतीक अहमद पर 100 से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, किडनैपिंग, रंगदारी जैसे केस हैं.
– उसके ऊपर 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी बीजेपी नेता अशरफ की हत्या, 2005 में राजू पाल की हत्या का आरोप है.
– 2012 में उसने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी. लेकिन हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से ही खुद को अलग कर लिया. 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक अहमद को जमानत मिल गई.
– हालांकि, उस चुनाव में अतीक अहमद जीत नहीं पाया. उसे राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उसने समाजवादी पार्टी के टिकट पर श्रावस्ती सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के दद्दन मिश्रा से हार गया.
बेटों का भी आपराधिक रिकॉर्ड
– अतीक अहमद ने 1996 में शाइस्ता परवीन से निकाह किया. दोनों के पांच बेटे हैं- मोहम्मद उमर, मोहम्मद अली, मोहम्मद असद, मोहम्मद अहजम और मोहम्मद आबाम.
– मोहम्मद उमर पर रंगदारी का आरोप है. उस पर दो लाख रुपये का इनाम था. पिछले साल अगस्त में उसने सीबीआई के सामने सरेंडर कर दिया था.
– वहीं, मोहम्मद अली पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज है. हाल ही में उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिली है. हालांकि, अली के खिलाफ एक और क्रिमिनल केस है, इसलिए वो जेल से बाहर नहीं आ सका. जबकि, दो बेटों को उमेश पाल हत्याकांड के मामले में पुलिस ने हिरासत में लिया है.
उमेश पाल हत्याकांड में कैसे फंसा अतीक अहमद?
– इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाना होगा. 19 साल पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में बाहुबली नेता अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर यूपी की फूलपुर सीट से चुनाव जीता. उस समय अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम सीट से विधायक भी थे.
– अतीक अहमद सांसद बने तो विधायकी छोड़नी पड़ी. उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को उम्मीदवार बनाया, जबकि बसपा की ओर से राजू पाल मैदान में थे. उपचुनावों में राजू पाल की जीत हुई.
– राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल थे. उन्हें धमकियां भी मिलती थीं. जिसके बाद अदालत के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा के लिए दो गनर मिले थे.
– उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने आरोप लगाया है कि 2006 में अतीक अहमद और उसके साथियों ने उनके पति को अदालत में उनके पक्ष में गवाही देने के लिए धमकाया था.
– बीते शुक्रवार को राजू पाल हत्याकांड की सुनवाई से जब उमेश पाल और उनके दो गनर घर लौटे, तभी उन पर ये हमला हुआ. हमलावरों ने पहले बम फेंका और फिर कई राउंड फायरिंग की.