आजमगढ़/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में मदरसों के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहाँ बिना मानकों चल रहे 313 मदरसों की जाँच की गई थी। इनमें से 219 कागजों पर चल रहे थे। मामले की जाँच कर रही SIT ने 7 लोगों पर केस दर्ज करवाया है। इनमें अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के रजिस्ट्रार, तीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, लिपिक और वक्फ निरीक्षक शामिल हैं। इन सभी पर धोखाधड़ी, गबन, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश का आरोप है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2017 में मदरसा पोर्टल प्रणाली लागू की थी। इस पोर्टल पर सभी मदरसों को अपनी जानकारी भेज कर खुद को सत्यापित करवाना था। जानकारी फीड होने के बाद जिले के अधिकारियों ने जाँच में 313 मदरसों को बिना मानकों के चलते पाया। साल 2018 में आजमगढ़ के जिलाधिकारी ने अपनी जाँच में पाया कि इन मदरसों को मानदेय भी मिल रहा था। इसके बाद तत्कालीन DM ने मदरसों को मान्यता देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की सिफारिश शासन से की थी।
जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर दिसंबर 2020 में SIT का गठन हुआ। जाँच दल ने 19 दिसंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी। रिपोर्ट में जिलाधिकारी के आरोपों को सही पाया गया था। तब से ही ऐसे मदरसों को मान्यता देने और उन्हें चलाने वाले तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही थी। जिन अधिकारियों पर FIR दर्ज हुई है वे हैं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के तत्कालीन रजिस्ट्रार जावेद असलम, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी लालमन, अकील अहमद और प्रभात कुमार, लिपिक सरफराज, वक्फ निरीक्षक मुन्नर राम, लिपिक वक्फ ओमप्रकाश पांडेय। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग आजमगढ़ में तैनात वरिष्ठ लिपिक मनोज राय के मुताबिक आरोपितों पर केस लखनऊ में दर्ज हुआ है।
बताया जा रहा है कि इन 7 आरोपित अधिकारियों में से एक अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, जबकि एक अन्य की मृत्यु हो चुकी है। ये अधिकारी अलग-अलग समय में आजमगढ़ जिले में पोस्टेड रहे थे। इसमें से कुछ की अभी भी तैनाती अलग-अलग जिलों में है। 313 मदरसों में 39 ऐसे भी पाए गए जो सरकार द्वारा लागू मदरसा आधुनिकीकरण योजना का भी लाभ ले रहे थे। अब अल्पसंख्यक कल्याण विभाग इन 219 मदरसों के संचालकों पर भी FIR दर्ज करवाने जा रहा है। आजमगढ़ की जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अधिकारी वर्षा अग्रवाल ने इसकी पुष्टि की है।