नई दिल्ली। मानहानि के मामले में कोर्ट से सजा पाने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी खत्म हो गई है. केरल के वायनाड़ से सांसद राहुल को लोकसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. यह राहुल गांधी के लिए अब तक का सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है. राहुल को लोकसभा से इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन भी दे दिया गया है. गुरुवार को ही कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी. अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी 2024 में होने वाले लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे?
– जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में अयोग्यता के संबंध में प्रावधान है. आरपी अधिनियम की धारा 8 (3) में कहा गया है कि किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई जाने पर सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा.
– इसके अलावा, व्यक्ति अपनी सजा काटने के बाद छह साल की अवधि के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा.
– अधिनियम के तहत राहुल गांधी को सांसद के तौर अयोग्य ठहराया गया है लोकसभा सचिवालय नेअयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया है जिससे साफ हो गया है कि राहुल गांधी की सीट वायनाड अब रिक्त हो गई है.
वहीं कांग्रेस ने कहा है कि उन्हें इस बात का अहसास पहले से ही था. इसके लिए हमें लोकप्रतिनिधित्व कानून के बारे में जानना होगा, जिसके अनुसार, जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर सांसदों और विधायकों को किसी भी मामले में 2 साल से ज्यादा की सजा हुई है तो ऐसे में उनकी सदस्यता उनकी सदस्यता (संसद और विधानसभा से) रद्द हो जाएगी.
आठ साल तक नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
अब जब लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को खत्म करने की अधिसूचना जारी कर दी है तो साफ है कि वो अब 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. राहुल गांधी को दो साल की सजा हुई है, जिसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इस तरह से राहुल गांधी अब कुल आठ साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
जानिए किस मामले में राहुल को मिली सजा
राहुल गांधी ने कर्नाटक में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? इसके बाद बीजेपी विधायक ने मानहानि का केस करते हुए आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? उनके इस बयान से हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची. पूर्णेश भूपेंद्र पटेल सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री थे. वे दिसंबर में सूरत से दोबारा विधायक चुने गए हैं.