ब्यूनर्स आयर्स। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनर्स आयर्स पहुंच चुके हैं. कहा जा रहा है कि जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर वह दुनियाभर के कई नेताओं के साथ द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय बैठकों में भी शामिल होंगे. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ गुरुवार को मुलाकात कर सकते हैं.
UN के महासचिव गुटेरेस के साथ जलवायु परिवर्तन पर होगी चर्चा
हाल के कुछ वर्षों में सऊदी अरब भारत का एक मूल्यवान सहयोगी बनकर उभरा है. वहीं, यूएन के महासचिव गुटेरेस के साथ दो महीनों के अंदर पीएम मोदी की यह दूसरी मुलाकात होगी. बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और यूएन के महासचिव गुटेरेस के बीच जलवायु परिवर्तन (क्लाइमेट चेंज) को लेकर वार्ता हो सकती है. गौरतलब है कि दोनों ही नेता जलवायु परिवर्तन के मामले को काफी महत्व देते हैं.
ट्रंप और आबे के साथ करेंगे त्रिपक्षीय बैठक
इसके साथ ही पीएम मोदी दो महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय बैठकों में भाग लेंगे. इन बैठकों में प्रमुख वैश्विक चुनौतियों और घटनाक्रमों पर विचार विमर्श किया जाएगा. वह जापान, अमेरिका और भारत के बीच पहली बार आयोजित की जा रही त्रिपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे. इसके अलावा रूस, भारत और चीन के बीच दूसरी बार आयोजित की जा रही त्रिपक्षीय बैठक में भाग लेंगे. यह बैठक शुक्रवार को 12 साल के अंतराल के बाद आयोजित हो रही है. साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जापान के प्रधानमंत्री शिन्जो आबे से मुलाकात करेंगे. उसके बाद दोनों नेता संयुक्त रूप से मोदी के साथ बैठक करेंगे.
पुतिन और जिनपिंग के साथ दक्षिण चीन सागर पर हो सकती है चर्चा
ट्रंप, आबे और मोदी के बीच यह बैठक ऐसे समय हो रही है जबकि चीन दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद में उलझा हुआ है. इसके अलावा वह पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ विवाद में उलझा हुआ है. दोनों ही क्षेत्रों को खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों में संपन्न माना जाता है. रूस, भारत और चीन (आरआईसी) की त्रिपक्षीय बैठक में मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन भाग लेंगे.
पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है चीन
गौरतलब है कि चीन करीब करीब पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है जबकि वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान इसके जलमार्गों पर अपना दावा करते हैं. इसमें प्रमुख समुद्री मार्ग भी शामिल हैं जिनसे होकर हर साल 3,000 अरब डालर के वैश्विक व्यापार का परिवहन होता है.