नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए निकले हैं। इसके लिए उन्होंने हाल के दिनों में कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi), वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal), पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित विपक्ष के तमाम नेताओं के साथ मुलाकात की थी और ‘एक सीट, एक उम्मीदवार’ पर बात की थी। तमाम नेताओं से मुलाकात के बाद उन्होंने 12 जून को पटना में विपक्ष की एक बड़ी बैठक बुलाई है, जिसमें कांग्रेस के दोनों कद्दावर नेताओं के शामिल होने की चर्चा थी। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर ऐसी किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है।
कर्नाटक में मिली जीत से कांग्रेस उत्साहित
नीतीश कुमार ने जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी, तब कर्नाटक चुनाव के नतीजे सामने नहीं आए थे। इस चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद कांग्रेस के तेवर अचानक बदल गए हैं। पार्टी के अधिकांश नेता फिर एकबार राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। उनकी दलील है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के कारण राहुल गांधी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है और कर्नाटक में मिली जीत इसी का परिणाम है।
कांग्रेस नहीं करना चाहती है जल्दबाजी
नीतीश कुमार विपक्षी एकता को लेकर जितनी जल्दबाजी में हैं, कांग्रेस उतनी ही इस मुद्दे पर शांत है। वह फिलहाल ना तो सीट शेयरिंग पर बात करने के मूड में है और ना ही प्रधानमंत्री पद के कैंडिडेट को लेकर किसी दूसरे नेता के नाम पर मुहर लगाना चाहती है। कांग्रेस सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
नीतीश को PM कैंडिडेट घोषित करना चाहती है JDU
वहीं, नीतीश कुमार भले ही कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी के तमाम नेता अक्सर उन्हें पीएम कैंडिडेट बनाने की बात कह रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि पटना में 12 जून को होने वाली बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की गौरमौजूदगी में हो रही विपक्षी एकता की पहली बैठक के मायने क्या रह जाएंगे। कहीं, इसका हश्र थर्ड फ्रंट जैसा तो नहीं हो जाएग।