24 घंटे में 18 हत्याएं, बूथ कैप्चरिंग, बमबाजी और गोलीबारी, ऐसे रंक्तरंजित होता गया बंगाल का पंचायत चुनाव

उत्तर 24 परगना जिले के बारासात में सुरक्षाबलों के सामने इस तरह भिड़ते दिखे लोग. (फोटो-पीटीआई)पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में देश को वो सब देखने को मिला, जो पिछले कुछ दशकों में बीते जमाने की बात हो गई थी. वोटिंग से ठीक पहले दहशतगर्दी का ऐसा आलम शुरू हुआ, जो देर शाम बैलेट बॉक्स सील होने तक अनवरत बना रहा. राज्य में उत्तर से लेकर दक्षिण तक हिंसा, बमबाजी, गोलीबारी, चाकूबाजी और आगजनी से वोटर्स भी भय के साये में आ गए. कई इलाकों से तो वोटर्स तक को घर से नहीं निकलने दिया.

चुनाव में दिखा ‘गनतंत्र’ हावी 

बंगाल में लोकतंत्र के पर्व में ‘गनतंत्र’ हावी होने का यह सिलसिला तब रहा, जब पूरे राज्य में केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती किए जाने के आदेश दिए गए थे. केंद्र और राज्य के 1.35 लाख सुरक्षाबलों की तैनाती की गई थी. हालांकि, अच्छी खबर यह रही कि पूरे राज्य में शाम 5 बजे तक 66.28 प्रतिशत वोटिंग हुई. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में मतदान प्रभावित हुआ है. नतीजे 11 जुलाई को आएंगे.

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‘टीएमसी वर्कर्स ने बैलेट बॉक्स तोड़े’

शनिवार सुबह जैसे ही राज्य की 74 हजार पंचायतों के चुनाव में वोटिंग शुरू हुई, उससे पहले ही हिंसा का दौर शुरू हो गया था. पोलिंग बूथों पर मारपीट, बूथ लूटने और आगजनी करने की घटनाएं आईं. इसके साथ ही पार्टी कार्यकर्ताओं के आमने-सामने भिड़ने और बवाल का दौर भी चलता रहा. मुर्शिदाबाद, कूचबिहार, उत्तर और दक्षिण 24 परगना हिंसा के केंद्र बिंदु बने रहे. कूचबिहार में टीएमसी वर्कर्स ने बैलेट बॉक्स तोड़े, उनमें पानी डाला और आग लगा दी. उत्तर दिनाजपुर में कई जगहों पर बैलेट पेपर और चुनाव से जुड़ी सामग्री जलाई गई. दक्षिण दिनाजपुर में भी बैलेट बॉक्स में पानी डाल दिया गया.

वोटिंग के दौरान हुई ये बड़ी घटनाएं 

– उत्तर 24 परगना के बैरकपुर में हिंसा हुई. यहां मोहनपुर ग्राम पंचायत में बदमाशों ने खुलेआम बंदूक लहराई और एक निर्दलीय कैंडिडेट को जमकर पीटा. इसके अवाला पीरगाछा में एक निर्दलीय उम्मीदवार ने बूथ एजेंट अब्दुल्ला की हत्या कर दी.
– मुर्शिदाबाद में बैलेट बॉक्स तालाब में फेंक दिए. बैलेट पेपर पानी में तैरते मिले. पुलिस की गाड़ी में भी आग लगा दी गई. कई जगह पुलिस को बैलेट बॉक्स बरामद करते और उनमें से पानी निकालते देखा गया.
– मुर्शिदाबाद के समसेरगंज में शुलीतला इलाके में बूथ नंबर 16 पर एक टीएमसी कार्यकर्ता को गोली मार दी गई. वहीं हुगली के आरामबाग में निर्दलीय उम्मीदवार जहांआरा बेगम के एजेंट को कथित तौर पर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने गोली मार दी है.

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– कूचबिहार में एक युवक ने बैलेट बॉक्स ही लूट लिया. दिनहाटा के बारानाचिना में एक मतदान केंद्र पर फर्जी मतदान से नाराज मतदाताओं ने मतपेटी में आग लगा दी. दिनहाटा के इंद्रेश्वर प्राथमिक विद्यालय में मतपेटी में पानी फेंके जाने के बाद मतदान स्थगित कर दिया गया. तूफानगंज में टीएमसी कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई. इसके अलावा यहां फोलिमारी में जमकर हिंसा हुई. एक पोलिंग बूथ पर बम फेंके गए और गोलीबारी की गई है. वहीं, बीजेपी के पोलिंग एजेंट माधव विश्वास की गोली मारकर हत्या कर दी गई.

– मालदा के गोपालपुर पंचायत के बालूटोला में कांग्रेस और टीएमसी कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए. उन्होंने एक-दूसरे पर बम चलाए. बीजेपी का आरोप है कि तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उनके उम्मीदवारों को निशाना बनाया है.
– नादिया जिले में टीएमसी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई और कम से कम 11 अन्य घायल हो गए.

तो क्या बीएसएफ इसलिए नहीं रोक पाई हिंसा? 

बीएसएफ के सूत्रों के मुताबिक उन्हें राज्य चुनाव आयोग की ओर से संवेदनशील बूथ की लिस्ट नहीं दी गई. बीएसएफ का कहना है कि बूथ पर सुरक्षा बलों की तैनाती की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग की है. ऐसे में हर जिले के डीएम की ओर से ही सुरक्षा बलों को तैनात किया गया. जिन जगहों पर बीएसएफ को तैनात किया गया वहां कोई हिंसा नहीं हुई है.

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गरमाई राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप भी हुए…

गरीबों को मारा जा रहा है: राज्यपाल 

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा- मैंने जमीन पर जो देखा वह बहुत परेशान करने वाला है, वहां हिंसा और हत्या हो रही हैं. एक बात जो मैंने देखी है- वह यह है कि गरीब लोग ही मारे जाते हैं, हत्यारे भी गरीब हैं… हमें गरीबी को खत्म करना चाहिए लेकिन इसके बजाय हम गरीबों को मार रहे हैं. बंगाल इसका हकदार नहीं है.

आयोग ने ममता के साथ मिलकर चुनाव को नष्ट कर दिया: शुभेंदु

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि वो मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से शिकायत करेंगे. उन्होंने कहा- बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो गई है. इस चुनाव को आयोग ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर नष्ट कर दिया है. बीजेपी बंगाल में लोकतंत्र की बहाली चाहती है. कलकत्ता HC ने केंद्रीय बल की तैनाती का आदेश दिया था. राज्य सरकार इसे चुनौती देते हुए SC चली गई लेकिन कोर्ट ने इस पर कड़ी टिप्पणी दी. गृह मंत्रालय ने बिना लागत के अर्धसैनिक बल भेजा लेकिन राज्य सरकार ने उनका उपयोग तक नहीं किया. राज्य सरकार ने वास्तव में केंद्रीय बलों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. केंद्रीय बलों को साजोसामान, समर्थन नहीं दिया गया. उन्होंने इस चुनाव का मजाक उड़ा दिया.

हिंसक घटनाओं के लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार: राजीव सिन्हा

बंगाल चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने हिंसा की घटनाओं के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्रीय पुलिस बल समय पर पहुंच गई होती तो राज्य में हिंसक घटनाएं नहीं होतीं. उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा.

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पुनर्मतदान पर आज होगा फैसला

चुनाव आयोग ने कहा, मतदान के दौरान हिंसा की घटनाओं की सबसे ज्यादा शिकायतें चार जिलों से आईं. इनमें उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद जैसे जिले शामिल हैं. पर्यवेक्षक और रिटर्निंग अधिकारी मतदान प्रक्रिया की जांच और समीक्षा करेंगे. पुनर्मतदान पर रविवार को निर्णय लिया जाएगा. SEC ने शनिवार सुबह से चुनाव संबंधी हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा 3 बताया है. वहीं, राजनीतिक दलों ने मुर्शिदाबाद, नादिया और कूचबिहार, दक्षिण 24 परगना के भांगर और पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम जैसे इलाकों में हिंसा होने की जानकारी दी. हालांकि, सीमा सुरक्षा बल ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है.

16 जिलों में नहीं हुई हिंसा की घटनाएं: टीएमसी

ममता बनर्जी सरकार में मंत्री शशि पंजा ने एक बयान में कहा, पंचायत चुनावों में 22 जिलों में से 16 में हिंसा की कोई घटना दर्ज नहीं की गई. करीब 61,000 बूथों में से सिर्फ 60 में घटनाएं दर्ज की गईं. यह एक प्रतिशत से भी कम है. मरने वालों में सबसे ज्यादा टीएमसी वर्कर्स हैं.

टीएमसी ने आतंक की बारिश शुरू कर दी: अधीर रंजन 

पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने आतंक की बारिश शुरू कर दी है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. राजनीतिक और बंगाल में चुनावी माहौल हिंसा का रहा है. यह पंचायत चुनावों का मजाक है और वस्तुतः यह चुनावी लूट-खसोट का एक उदाहरण है.

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‘बीजेपी ने लोगों के अधिकारों पर हमला किया’

टीएमसी ने एक वीडियो ट्वीट कर बीजेपी पर आरोप लगाया कि कूचबिहार के हल्दीबाड़ी ब्लॉक के दीवानगंज ग्राम पंचायत में बंगाल बीजेपी के समर्थकों ने बूथ पर कब्जा कर लिया और मतपेटी फेंक दी. आज एक बार फिर बीजेपी ने लोगों के अधिकारों पर हमला किया है. एक बार फिर, बंगाल के लोग ऐसी दमनकारी ताकत को दृढ़ता से खारिज कर देंगे और अपनी असली ताकत का दावा करेंगे, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी वास्तव में कहां है!

ना कैमरे थे, ना पुलिस: बीजेपी विधायक

बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा, बूथों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, राज्य पुलिस भी मौजूद नहीं थी. आज 18 लोगों की हत्या कर दी गई है. हमने घटना के संबंध में राज्य चुनाव आयोग को लिखा है. बीजेपी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और राज्य में लोकतंत्र बहाल करने में उनके हस्तक्षेप की मांग की.

इस बार चुनाव में महीनेभर में 36 की मौत

हालांकि, पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. साल 2003 के पंचायत चुनाव के दौरान 76 लोगों की मौत हुई थी. चुनाव के दिन 40 से ज्यादा लोग मारे गए थे. 2018 के पंचायत चुनाव में भी हिंसा का यही पैटर्न देखने को मिला था. तब चुनाव में 10 मौतें हुई थीं. इस साल एक बार फिर हिंसा की घटनाओं ने पुराने दौर को याद दिला दिया. इतना ही नहीं, शनिवार की हिंसा ने पिछले चुनाव के आंकड़े को भी पीछे छोड़ दिया है. 8 जून 2023 को पंचायत चुनाव की घोषणा के दिन से ही राज्य के कई हिस्सों से लगातार हिंसा की खबरें आईं. पिछले 30 दिन में हुईं हिंसक झड़पों में 36 लोगों की मौत हो चुकी है. वोटिंग के दिन ही 18 की जान गई है.

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लिटमस टेस्ट के रूप में देखा रहा था पंचायत चुनाव

बंगाल में जिस इलेक्शन को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा था, उसमें मतपेटियों की चोरी, उन्हें जलाए जाने और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के खिलाफ जनता के गुस्से ने काफी बड़ा संदेश दिया है. राज्य के ग्रामीण इलाकों की 73,887 सीटों पर सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ था. 5.67 करोड़ लोगों ने लगभग 2.06 लाख उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला किया. शाम पांच बजे तक 66.28 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया.

दमखम के साथ मैदान में उतरे थे राजनीतिक दल

चुनाव में करीब 70,000 राज्य पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय बलों की लगभग 600 कंपनियां तैनात की गई थीं. 22 जिलों में 63,229 ग्राम पंचायत सीटें और 9,730 पंचायत समिति सीटें हैं, जबकि 20 जिलों में 928 जिला परिषद सीटें हैं. सत्तारूढ़ टीएमसी ने जिला परिषदों की सभी 928 सीटों, पंचायत समितियों की 9,419 सीटों और ग्राम पंचायतों की 61,591 सीटों पर चुनाव लड़ा. बीजेपी ने 897 जिला परिषद सीटों, 7,032 पंचायत समिति सीटों और ग्राम पंचायतों की 38,475 सीटों पर उम्मीदवार उतारे. सीपीआई (एम) 747 जिला परिषद सीटों, 6,752 पंचायत समिति सीटों और 35,411 ग्राम पंचायत सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने 644 जिला परिषद सीटों, 2,197 पंचायत समिति सीटों और 11,774 ग्राम पंचायत सीटों पर चुनाव लड़ा.

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