‘जारा’ को बताया ब्रह्मोस का राज, ‘अदिति’ को दी BSF की जानकारी… रुपयों के बदले ऐसे देश की सुरक्षा बेच रहे ‘गद्दार’

सांकेतिक तस्वीरनई दिल्ली। फेसबुक, WhatsApp या कभी Twitter पर एक प्राइवेट मैसेज आता है. जिसमें भारत के वैज्ञानिकों या डिफेंस से जुड़े सुरक्षाकर्मियों से संपर्क किया जाता है. प्यार भरी बातें करके या पैसों का लालच देकर उनसे खुफिया जानकारी हासिल करने की कोशिश होती है.

पहला केस महाराष्ट्र के पुणे शहर का है. यहां महाराष्ट्र एटीएस ने DRDO के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को पुणे से गिरफ्तार किया. कुरुलकर डीआरडोओ में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत हैं. आरोप है कि उन्होंने हनी ट्रैप में फंसकर पाकिस्तान को खुफिया जानकारी दी. इस मामले में ATS की चार्जशीट के मुताबित प्रदीप पाकिस्तानी महिला एजेंट के प्रति आकर्षित हो गए थे. महिला एजेंट ने अपना नाम ‘जारा दासगुप्ता’ बताया था. पाकिस्तान की एजेंट ने प्रदीप से डिफेंस प्रोजेक्ट के अलावा भारतीय मिसाइल सिस्टम के बारे में बात की थी.

कैसे पकड़ा गया DRDO का वैज्ञानिक?

जारा दासगुप्ता नाम बताने वाली पाकिस्तानी एजेंट ने खुद को ब्रिटेन में सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताया था. उसने अश्लील मैसेज और VIDEO भेजकर वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर से दोस्ती की. इन बातों का पता चलने पर जब महाराष्ट्र ATS ने जांच की तो ‘जारा जासगुप्ता’ का IP एड्रेस पाकिस्तान का मिला. आगे की जांच में यह भी पता चला कि पाकिस्तानी एजेंट ने वैज्ञानिक से ब्रह्मोस लॉन्चर, ड्रोन, यूसीवी, अग्नि मिसाइल लॉन्चर और मिलिट्री ब्रिजिंग सिस्टम के बारे में क्लासीफाइड जानकारी हासिल की.

शक होने पर ब्लॉक कर दिया नंबर

ATS के मुताबिक जारा और प्रदीप जून 2022 से दिसंबर 2022 तक एक दूसरे के कॉन्टेक्ट में रहे. एटीएस को शक होने और जांच शुरू होने से पहले वैज्ञानिक ने फरवरी 2023 में जारा का नंबर ब्लॉक कर दिया. इसके बाद प्रदीप के पास जल्द ही एक अनजान भारतीय नंबर से व्हाट्सऐप मैसेज आया. इस मैसेज में पूछा गया,’आपने मेरा नंबर ब्लॉक क्यों कर दिया.’ वैज्ञानिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में है.

DRDO वैज्ञानिक और PAK एजेंट के बीच हुई बातचीत

जारा: ‘रुस्तम’ को प्रोटोकॉल मिल गया.कुरुलकर: यह पहले से तय होता है. आपने कितने रुस्तम बनाए. मुझे लगता है सिर्फ एक के लिए तो इतनी मेहनत नहीं को होगी?
कुरुलकर: नहीं, हमने कुछ दर्जनों के लिए कोशिश की.
जारा: हम कह सकते हैं कि हैदराबाद में टेस्ट सफल रहा?
कुरुलकर: कोई परीक्षण नहीं हुआ था (स्थान साझा नहीं किया जा सकता) मैंने हैदराबाद से इसकी निगरानी की और हमने सामूहिक रूप से परिणामों का विश्लेषण किया और फिर इसे सफल घोषित किया गया.
जारा: मुझे लगता है कि आपका टेस्ट सफल रहा? रुस्तम 2 के लिए
कुरुलकर: अरे, ऐसा कोई प्रोजेक्ट नहीं है और काम जारी है.

अमेरिका

सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के बारे में

जारा: बेब मैंने अभी इसे देखा, क्या आप इस पर काम कर रहे हैं?
कुरुलकर: हां, मैं SAM पर भी काम करता हूं
जारा: कब तक पूरा होगा बेब?
कुरुलकर: अगले कुछ हफ्तों में.
जारा: आर्मी को दोगे या एयरफोर्स को?.
कुरुलकर: सेना और वायु सेना दोनों.
जारा: तो टेस्टिंग और ट्रायल पूरे हो गए?
कुरुलकर: कल रात धमाका हुआ.
जारा: आप सफल हो गए?
कुरुलकर: हां
कुरुलकर ने जारा के साथ भारत में निर्मित ड्रोन का लिंक साझा किया.
जारा: वाओ, नया प्रोजेक्ट है? (इमेज) बेब मैंने ये देखा, क्या तुम इस पर काम कर रहे हो?
कुरुलकर: नहीं देखिए टेस्टिंग और फिर मीटिंग.
जारा: किस बात की टेस्टिंग? आपने जो लिंक भेजा है?
कुरुलकर: कुछ सिस्टम. कुछ अलग.
जारा: आप मुझे दिखाएंगे कि आपके ड्रोन की पिक्चर क्वालिटी कितनी है? मैं देखना चाहती हूं, मेरा मतलब है कि उनकी उम्र एक बार सामान्य से अलग होती है?
कुरुलकर: हां

जारा: ब्रह्मोस भी तो आपने ही बनाई थी बेब? ये तो खतरनाक है
कुरुलकर: मेरे पास शुरुआती डिजाइन रिपोर्ट हैं (ब्रह्मोस की कुछ संवेदनशील जानकारी प्रकाशित नहीं की जा सकती)
जारा: बेबीईईई, ये एयर लॉन्च वर्जन है ना, हमने पहले भी बात की है?
कुरुलकर: हां (विशिष्ट विवरण).
जारा: कितने एयरक्राफ्ट मॉडिफाई किए गए हैं? मुझे लगता है कि बहुत बड़ी संख्या में… बेब तुमने मेरा मैसेज इग्नोर कर दिया.
कुरुलकर: बेब, मैं उस रिपोर्ट की प्रति WA पर नहीं भेज सकता या मेल नहीं कर सकता, क्योंकि यह अत्यधिक क्लासीफाइड है. जब तुम यहां आओगी तो मैं इसका पता लगा लूंगा और इसे तैयार रखूंगा. कोशिश करूंगा और आपको यहां दिखाऊंगा. 

पैसे का लालच देकर BSF कर्मचारी को फंसाया

ये तो थी पुणे के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर की कहानी. इससे मिलता-जुलता एक मामला गुजरात के भुज में भी सामने आया. यहां सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए काम करने वाले एक संविदाकर्मी को पाकिस्तान की एक महिला एजेंट के साथ संवेदनशील जानकारी साझा करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

आरोपी नीलेश बलिया 12वीं पास है और पिछले 5 साल से भुज के BSF मुख्यालय में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के विद्युत विभाग कार्यालय में चपरासी है. नीलेश जनवरी 2023 में पाकिस्तानी एजेंट के संपर्क में आया. उसने निर्माणाधीन और मौजूदा BSF भवनों में बिजली संबंधित कार्य के बारे में कई संवेदनशील दस्तावेज साझा किए.

पैसे देकर हासिल कर ली खुफिया जानकारी

महिला ने व्हाट्सऐप के जरिए नीलेश से संपर्क किया और उसे ‘हनी ट्रैप’ में फंसाया. नीरज को पैसे के बदले संवेदनशील जानकारी साझा करने के लिए राजी किया गया. एजेंट ने अपनी पहचान अदिति तिवारी के रूप में बताई और एक निजी फर्म में काम करने का दावा किया. उसने बलिया को बताया कि उसे अपनी नौकरी के लिए जानकारी की आवश्यकता है और उसे इसके लिए भुगतान किया जाएगा. ‘प्रेम प्रसंग’ के चलते आरोपी ने महिला को बताया कि वह कंप्यूटर ऑपरेटर है और उसने पैसे लेकर संवेदनशील जानकारी साझा की.यूपीआई लेनदेन से नीलेश को 28,800 रुपये का भुगतान किया गया.