उत्तर प्रदेश के वाराणसी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने रविवार (6 अगस्त, 2023) को तीसरे दिन भी ज्ञानवापी विवादित परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण का काम कर रही है। आज भी सर्वे शाम 5 बजे तक चलेगा। इस बीच, मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण को लेकर झूठी खबरें प्रसारित किए जाने का आरोप लगाते हुए प्रक्रिया से अलग होने की धमकी दी है। इस मामले पर जहाँ ज्ञानवापी के जनरल सेक्रेटरी और मुख्य इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने औरंगजेब का बचाव करते हुए कहा है कि सर्वे में त्रिशूल या हिन्दू चिन्हों का मिलाना औरंगजेब के सेक्युलरिज्म की निशानी है। वहीं ओवैसी को दूसरी ‘बाबरी’ नजर आ रही है।
ज्ञानवापी सर्वेक्षण के इस पूरे मामले में जैसे-जैसे ASI को हिन्दू मंदिर होने के प्रमाण मिल रहे हैं वैसे-वैसे मुस्लिम पक्ष की तरफ से धमकी और तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं। ज्ञानवापी के जनरल सेक्रेटरी और मुख्य इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा, “वहाँ कई सालों से नमाज होती है। वह मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी।”
नोमानी का दावा है, “हमारे यहाँ इस्लाम धर्म में यह कानून बना हुआ है। किसी गैर के इबादतगाह को और इबादतगाह तो बहुत बड़ी चीज हो गई किसी गैर के मकान पर भी नाजायज जबरन कब्जा करके मस्जिद बना दी जाए तो उसे हम मस्जिद नहीं मानते और उसमें नमाज पढ़ना सही नहीं माना जाता है। वहाँ मंदिर होने का, ढाँचे को गिराकर मस्जिद बनाने का कोई सवाल ही नहीं है। अगर उनकी आशंका है तो सर्वे रिपोर्ट आने दीजिए।”
हिन्दुओं के वहाँ मंदिर होने और उसे तोड़कर ज्ञानवापी विवादित ढाँचा बनाने की बात पर नोमानी ने कहा, “उनका दावा है तो उन्होंने अपनी संतुष्टि के लिए एएसआई के सर्वे की बात की है। कोर्ट ने उनकी बात मानी है। ठीक है। हमारे हिसाब से तो वह मस्जिद है। कोई ऐसी चीज है तो देखते हैं कि एएसआई के रिपोर्ट में क्या आता है।”
वहीं जब पिछले दो दिन के सर्वेक्षण में मिले त्रिशूल, स्वास्तिक, घंटा और फूल के निशान पर बात की गई तो नोमानी ने कहा, “जिस किसी पत्थर में कुछ ऐसा निशान दिख रहा है। फोटोग्राफ में ऐसा लगता हो कि त्रिशूल का निशान बना हो या स्वास्तिक का निशान हो तो यह सबूत है कि उनके अंदर सेक्युलरिज्म था। वो अपने साथ हिंदू भाइयों के तमाम मजाहिब को साथ लेकर चलते थे। यही वजह है कि वो मुसलमान होकर भी इस मुल्क में आए और उन्होंने 800 साल तक इतने बड़े मुल्क में हुकूमत की।”
ओवैसी को सता रहा दूसरे ‘बाबरी’ का डर
ऑल इंडिया मजलिए-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) नेता असदुद्दीन ओवैसी ने भी ज्ञानवापी सर्वे को लेकर शनिवार (5 अगस्त, 2023) को कहा है कि उन्हें आशंका है कि कहीं दूसरा ‘बाबरी’ न हो जाए। ओवैसी ने कहा, एएसआई की सर्वे रिपोर्ट आने के बाद बीजेपी-आरएसएस नैरेटिव सेट करेंगे। फिर क्या होगा आप जानते हैं।
ओवैसी ने कहा कि 23 दिसम्बर, 1949 को जब बाबरी मस्जिद में मूर्तियाँ रखी गईं, तो नमाज बंद हो गई। हम मस्जिद से महरूम हो गए। 6 दिसम्बर, 1992 को शिलान्यास की अनुमति दी गई और मस्जिद चली गई। हमें डर है कि एएसआई की रिपोर्ट के आने के बाद दूसरा (बाबरी मस्जिद) न हो जाए।