नई दिल्ली। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला है। एक दिन पहले अखिलेश द्वारा दिए गए सच्चे हिंदुत्व को बचाने की जरूरत वाले बयान पर ओवैसी ने दो टूक कहा है कि वह सिर्फ मुस्लिमों को बेवकूफ बना रहे और धोखा दे रहे। सोशल मीडिया पर अखिलेश द्वारा पिछले कुछ समय में डाले गए सड़क पर भिड़ते सांड के वीडियो पर भी ओवैसी ने चुटकी ली है। उन्होंने कहा है कि अखिलेश सिर्फ सांड समाचार ही कर रहे हैं।
बीते दिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर समाज को ”बांटने” और सत्ता हथियाने के लिए ”हिंदुत्व” अपने संस्करण का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था और कहा कि ”सच्चे हिंदुत्व” को बचाने की जरूरत है। सपा प्रमुख ने यह भी दावा किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ उत्तर प्रदेश में पीडीए (पिचाडे, दलित, अल्पसंख्याक) के समर्थन से 2024 में ”विभाजनकारी” भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकेगा।
‘सिर्फ सांड समाचार करते हैं अखिलेश’
उन्होंने आगे कहा, ”अखिलेश सिर्फ सांड समाचार करते हैं। तमाम मिडिलमेन हैं, जो मुस्लिमों को धोखा देते हैं यूपी में यह कहकर कि बीजेपी को हराना है। उन्हें पूरे वोट मिल गए, लेकिन फिर भी बीजेपी जीत गई। अखिलेश कह रहे हैं कि असली हिंदुत्व को बचाना है? क्या बचाएंगे आप। क्या आप सेक्युलरिज्म, संविधान को नहीं बचाएंगे? हम शुरू से कह रहे हैं कि अखिलेश यूपी में मुस्लिमों के साथ जो राजनीति कर रहे हैं, वह धोखा देने की सियासत है। यूपी के मुस्लिमों को समझना चाहिए कि उन्हें अपनी सियासी आवाज की जरूरत है, तभी उनके मुद्दे हल हो सकते हैं। कब तक ऐसे ढोंगियों का साथ देंगे जो असली हिंदुत्व को बचाने की बात कर रहे हैं।”
इससे पहले पीटीआई को दिए इंटरव्यू में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने संचार माध्यमों का “दुरुपयोग” किया और हर दिन “नए झूठ” गढ़ती रही। डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान को बचाने के लिए यह जरूरी है कि भाजपा सत्ता में न आए। उन्होंने कहा कि उनका (भाजपा) ‘हिंदुत्व’ समाज को बांटना है और सच्चे हिंदुओं को ‘सच्चे हिंदुत्व’ को बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें लोगों को ‘फर्जी हिंदुओं’ से बचाना है, जिन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए हिंदुत्व का दुरुपयोग किया।” उनसे जब पूछा गया कि सच्चा हिंदुत्व क्या हैं, इस पर अखिलेश ने कहा, ”सच्चा हिंदुत्व चीर को बढ़ाने में हैं, नारी का सम्मान करने करने में हैं। बिना भेदभाव के शबरी के बेर खाने में हैं, केवट को गले लगाने में हैं। बांसुरी पर प्रेम की धुन बजाने में हैं, सहनशीलता का दायरा बढ़ाने में हैं।”