अमेरिकी दबाव के आगे झुका पाकिस्तान! ईरान के साथ इस समझौते पर लगाई रोक

अमेरिकी दबाव में पाकिस्तान ने ईरान के साथ गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को रोक दिया है (Photo- Reuters/ FB)विदेशों से सस्ती ऊर्जा आयात करने की पाकिस्तान की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है. अमेरिका के दबाव में आकर उसे अपने पड़ोसी देश ईरान के साथ अरबों डॉलर की गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट से निकलना पड़ा है. अमेरिका ने ईरान पर उसके परमाणु प्रोग्राम को देखते हुए कई प्रतिबंध लगाए हैं और इन्हीं प्रतिबंधों को मानने के लिए पाकिस्तान पर अमेरिका का दबाव है जिसे देखते हुए उसने ईरान पाकिस्तान गैस पाइलपाइन (IP) को अस्थायी तौर पर रोक दिया है.

पाकिस्तान के अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने समझौते से अस्थायी रूप से निकलने की घोषणा करते हुए ईरान को एक नोटिस जारी किया है जिसमें उसकी तरफ से कहा गया कि वो अपने नियंत्रण से बाहर, बाहरी कारकों की वजह से अरबों डॉलर के गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट से बाहर निकल रहा है.

पाकिस्तान ने इस प्रोजेक्ट से तब तक बाहर रहने का फैसला किया है जब तक ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू रहेंगे. पाकिस्तान ने यह भी कहा है कि अगर अमेरिका उसे प्रतिबंधों के बावजूद भी प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए हरी झंडी दे देता है तो वो प्रोजेक्ट में शामिल हो जाएगा.

गंभीर ऊर्जा संकट से जूझते पाकिस्तान ने ईरान से यह समझौता लगभग एक दशक पहले किया था लेकिन अब तक यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ा है. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट में ईरान पाकिस्तान के साथ भारत भी शामिल था लेकिन बाद में जाकर भारत इससे अलग हो गया था और यह ईरान-पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय परियोजना बन रह गई थी.

प्रोजेक्ट पर रोक को लेकर क्या बोले पाकिस्तान के मंत्री?

ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर रोक को लेकर पाकिस्तान के पेट्रोलियम राज्य मंत्री मुसादिक मलिक की तरफ से पाकिस्तानी संसद नेशनल असेंबली को एक लिखित नोटिस जारी किया है.

निचले सदन में पेश नोटिस में कहा गया, ‘पाकिस्तान ने गैस बिक्री और खरीद समझौते (GSPA) के तहत ईरान को नोटिस जारी किया है. इसके तहत गैस पाइपलाइन में पाकिस्तान के दायित्व निलंबित हो गए हैं.’

नोटिस में पाकिस्तानी मंत्री ने यह भी कहा कि ईरान ने पाकिस्तान के प्रोजेक्ट पर रोक के फैसले का विरोध किया है.

पाकिस्तानी मंत्री ने यह बयान मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल पार्टी के विधायक मुहम्मद जमाल-उद-दीन के सवाल के जबाव में दिया. विधायक ने सवाल किया था कि कि इस विदेशी प्रोजेक्ट का लक्ष्य पूरा होने की तारीख क्या है और क्या देरी होने पर पाकिस्तान को जुर्माना भी देना होगा. विधायक ने सवाल किया था कि क्षेत्र के बाकी देश संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से जब व्यापारिक संबंध बढ़ा रहे हैं तब पाकिस्तान को ये दिक्कतें क्यों हो रही है.

जबाव में पाकिस्तानी मंत्री ने कहा, ‘ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना रुकी हुई है. ईरान पर प्रतिबंध हटने के बाद परियोजना की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी. ऐसे में, ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के पूरा होने के लिए कोई तारीख और समय  सीमा नहीं दी जा सकती है.’

मलिक ने नेशनल असेंबली को यह भी बताया कि पाकिस्तान में स्वदेशी गैस की आपूर्ति तेजी से कम हो रही है, जबकि गैस की मांग हर साल बढ़ रही है, जिससे मांग-आपूर्ति का अंतर बढ़ रहा है.

ईरान के विरोध पर क्या बोले पाक मंत्री

पाकिस्तान के पेट्रोलियम राज्य मंत्री ने कहा कि ईरान प्रोजेक्ट को रोकने के पाकिस्तान के फैसले के विरोध में है. इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से ही निपटाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अब यह ईरान के ऊपर है कि वो इस विवाद में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता चाहता है या नहीं.

उन्होंने आगे कहा, ‘अगर ईरान मध्यस्थता के लिए राजी होता है तो देरी के लिए जुर्माने की सही राशि मध्यस्थों की तरफ से निर्धारित की जाएगी.’

‘अमेरिका के कारण प्रोजेक्ट पर लगी रोक’

पाकिस्तानी मंत्री मुसादिक मलिक ने अपने हालिया बयान में कहा है कि पाकिस्तान गैसपाइन में अपने दायित्वों को लेकर प्रतिबद्ध है, बावजूद इसके पाकिस्तान सरकार ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण पाइपलाइन का निर्माण शुरू करने में असमर्थ रही है.

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान सरकार प्रोजेक्ट पर छूट पाने के लिए राजनयिक चैनलों के माध्यम से अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही है. जल्द से जल्द गैस पाइपलाइन के निर्माण के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.’

अधिकारियों ने कहा कि पाकिस्तान ने इस साल की शुरुआत में अमेरिका से ऊर्जा की कमी को दूर करने के लिए कोई रास्ता निकालने का अनुरोध किया था, लेकिन अभी तक उसकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

पिछले हफ्ते ही ईरानी विदेश मंत्री पहुंचे थे पाकिस्तान

पिछले हफ्ते ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियन तीन दिवसीय पाकिस्तान दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने प्रोजेक्ट को पूरा करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा था कि यह निश्चित रूप से दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाएगा. ईरान का दावा है कि उसने अपने हिस्से के 1,150 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का निर्माण पूरा कर लिया है.

प्रोजेक्ट की शुरुआत मार्च 2013 में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री आसिफ अली जरदारी और ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने मिलकर ईरान के राज्य गब्द में एक समारोह के दौरान किया था. तब प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 7.5 अरब डॉलर थी.

पाकिस्तान ने जनवरी 2015 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की प्रतिबद्धता जताई थी. हालांकि, फरवरी 2014 में, तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री शाहिद खाकन अब्बासी ने पाकिस्तानी संसद को बताया कि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण ईरान-पाकिस्तान परियोजना पर काम नहीं हो पा रहा है.

पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन का लक्ष्य प्रतिदिन 75 करोड़ क्यूबिक फीट गैस की आपूर्ति करना था. अमेरिकी अधिकारी हमेशा से इस गैस पाइपलाइन के विरोध में रहे हैं और अब अमेरिका के कारण ही पाकिस्तान को इस प्रोजेक्ट को रोकना पड़ा है.