चंद्रयान-1, चांद की ओर बढ़ा भारत का पहला कदम था। 2008 में इसकी मदद से भारत ने पहली बार चांद पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। चंद्रयान-1 को PSLV-C11 से लॉन्च किया गया था। बेहद कंट्रोल्ड तरीके से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों से इसकी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से टक्कर कराई। भारत तब दुनिया का चौथा देश बन गया था जिसने चांद पर अपना झंडा बुलंद किया। जिस जगह चंद्रयान-1 का मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) टकराया था, उसे ‘जवाहर पॉइंट’ नाम दिया गया। करीब 15 साल बाद, चंद्रयान-3 मिशन के जरिए ISRO ने चांद के उसी दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने में सफलता पाई है। चंद्रयान-3 की सफलता के जश्न के बीच चंद्रयान-1 मिशन के बारे में जानना जरूरी है। साथ ही जानिए ‘जवाहर पॉइंट’ के बारे में, जो चंद्रमा से भारत की पहली मुलाकात का गवाह है।
- 1999 में, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्र अभियान को मंजूरी दी थी। उन्होंने ही मिशन का नाम ‘सोमयान’ से बदलकर ‘चंद्रयान’ किया। नवंबर 2003 में चांद पर पहला स्पेसक्राफ्ट भेजने को मंजूरी दी गई।
- चंद्रयान-1 मिशन में एक ऑर्बिटर और मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) शामिल थे। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के कार्यकाल में, भारत ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से 22 अक्टूबर 2008 को PSLV रॉकेट से चंद्रयान-1 को लॉन्च किया था।
- चंद्रयान-1 मिशन पर लगभग 386 करोड़ रुपये (88.73 मिलियन डॉलर) का खर्च आया था। मिशन को दो साल तक चांद की सतह का सर्वे करना था।
- चंद्रयान-1 प्रोजेक्ट का मुख्य लक्ष्य चांद की सतह के केमिकल कम्पोजीशन का मैप बनाना था। चांद पर पानी की तलाश भी मिशन का अहम लक्ष्य थी।
चंद्रयान-1: धरती से चांद का सफर
- 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 को लॉन्च किया गया।
- अगले कुछ दिन, ऑर्बिट मैनूवर्स करते हुए यह धरती की कक्षा से बाहर निकला।
- 8 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 को चांद की कक्षा में प्रवेश कराया गया।
- फिर यह धीरे-धीरे कक्षा कम करते हुए 12 नवंबर 2008 को चांद से करीब 100 किलोमीटर दूर पहुंच गया।
जवाहर पॉइंट: जहां चांद से टकराया चंद्रयान-1
- चंद्रयान-1 में लगे NASA के मून मिनरलोजी मैपर ने कंफर्म किया कि चांद कभी पूरी तरह से पिघला हुआ था। इसने अपोलो-15 की लैंडिंग साइट की तस्वीरें भी उतारी।
- ISRO के दो पेलोड्स ने चांद की सतह का करीब 70% हिस्सा कवर किया।
- चंद्रयान-1 ने चांद पर कैल्शियम होने की पुष्टि की। इसके अलावा मैग्नीशियम, एल्युमिनियम और लोहे की मौजूदगी के बारे में भी जानकारी मिली।
- 18 नवंबर 2008 की चंद्रयान-1 एक प्रोब ने पानी की मौजूदगी के सबूत इकट्ठा किए। 2009 में ‘साइंस’ जर्नल में भी यह रिपोर्ट छपी।
- चंद्रयान-1 ने चांद पर एक गुफानुमा सुरंग का भी पता लगाा।