पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के पाकिस्तान आने को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं। हाल के समय में यह खबर लगातार सुर्खियों में है कि नवाज शरीफ वतन वापसी हो सकती है। खुद पूर्व पीएम शहबाज शरीफ ने उनके पाकिस्तान आने के बारे में बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि नवाज शरीफ की वतन वापसी होगी और अगले चुनाव के जीतने के बाद नवाज शरीफ ही प्रधानमंत्री बनेंगे। इस संबंध में पीपीपी यानी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक सीनियर लीडर का बड़ा बयान आया है।
नवाज शरीफ के पाकिस्तान लौटने की चर्चा के बीच पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के वरिष्ठ नेता खुर्शीद शाह ने कहा कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सुप्रीमो नवाज शरीफ, जो स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों से जूझ रहे हैं, उनकी वापसी को लेकर कोई योजना नहीं है। स्थानीय समाचार एजेंसी जियो न्यूज के हवाले से इस खबर की जानकारी मिली है।
रविवार को स्थानीय मीडिया से बात करते हुए खुर्शीद शाह ने कहा, ‘नवाज शरीफ की तबीयत ठीक नहीं है, हो सकता है कि वह न आएं।’ एक सवाल के जवाब में पीपीपी नेता ने आगे कहा, ‘नवाज शरीफ की तबीयत बिगड़ सकती है।’ वहीं, पिछले महीने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ ने दावा किया था कि उनके भाई पाकिस्तान वापस आने वाले हैं।
इससे पहले, पिछले सप्ताह पाकिस्तान के पूर्व पीएम ने नवाज से मुलाकात के बाद लंदन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और अपने बड़े भाई की घर वापसी के तारीख की घोषणा भी की थी। शहबाज शरीफ ने घोषणा की थी, ‘नवाज शरीफ अक्टूबर, 2023 में पाकिस्तान लौटेंगे और चुनाव अभियान का नेतृत्व करेंगे।’ हालांकि, उन्होंने किसी विशेष तारीख की पुष्टि नहीं की।
भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद नवाज शरीफ इलाज के लिए नवंबर 2019 में पाकिस्तान से चले गए थे। तब से ही वे वापस नहीं लौटे हैं और पाकिस्तान में कई मामलों का सामना कर रहे हैं। पिछले साल फरवरी में नवाज शरीफ को भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। बाद में 2020 में अदालतों ने उसे भगोड़ा अपराधी घोषित कर दिया। हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वतन वापसी पर बड़ा पेंच फंस गया था। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज के भाई और प्रधानमंत्री रहे शहबाज शरीफ के उस कानून को रद्द कर दिया था, जिसमें राजनयिकों को दोबारा अपील का अधिकार देने के लिए संशोधन किया गया था। मगर सुप्रीम कोर्ट से इस कानून के रद्द होने के बाद एक बार दोषी करार होने के बाद किसी भी संवैधानिक पद पर कार्य करने के योग्य कोई नहीं रह जाता।