राजधानी दिल्ली में आयोजित होने जा रहे जी20 सम्मेलन में दुनियाभर के बड़े देशों को राष्ट्राध्यक्ष हिस्सा लेने आ रहे हैं। हालांकि चीन अपनी ही दिक्कतों से परेशान है और वह जी20 सम्मेलन से किनारा कर रहा है। चीन इस समय आर्थिक मंदी का भी सामना कर रहा है। न्यूयॉर्क टाइम्स की मानें तो चीन अपने देश में ही समस्याओं से घिरा हुआ है। घबराहट की इस स्थिति में वह जासूसों पर ज्यादा भरोसा कर रहा है। देश में विद्रोह और आर्थिक अस्थिरता का पता लगाने के लिए वह जासूसों को निर्देश दे रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। शी जिनपिंग भी यहां मौजूद थे। सूत्रों का कहना है कि वह ASEAN और ईस्ट एशिया सम्मेलनों में भी हिस्सा नहीं लेंगे। चीनी राष्ट्रपति के इस तरह नदारद रहने से दुनियाभर में उसके खिलाफ गलत संदेश भी जा रहा है। चुनौतियों का सामान कर रहे चीन में इस समय राजनीतिक अस्थिरता का डर भी व्याप्त है। पश्चिमी देशों के साथ बिगड़ रहे संबंधों को लेकर भी शी जिनपिंग असमंजस की स्थिति में हैं। उन्हें इस बात का भी डर है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कहीं उनकी फजीहद ना हो जिसका असर उनके घर में भी देखने को मिले और सत्ता उनके हाथ से सरक जाए।
शी जिनपिंग को सबसे बड़ा डर सत्ता जाने का है। वह किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए विदेश जाने से बच रहे हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक इस बात को लेकर भी चीन में सवाल खड़े हो रहे हैं। बता दें कि चीन की सरकार ने हाल ही में अपने विदेश मंत्री और दो सीनियर जनरलों को पद से हटा दिया था। यह भी राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति में ही हुआ है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने अधिकारियों को पहले ही अगाह कर दिया है कि उन्हें बुरी से बुरी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
जासूसों से डर रहे शी जिनपिंग
शी जिनपिंग अपने ही घर में अस्थिरता और चुनौतियों के बीच विदेशी जासूसों से डर रहे हैं। यह भी एक वजह है कि वह विदेश दौरे पर नहीं जाना चाहते। हाल ही में चीन में जासूसी विरोधी कानून में बदलाव भी किया गया है। चीन में जासूसों की जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए इनाम की भी घोषणा की गई है। चीन सबसे ज्यादा अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी सीआईए के जासूसों को चुनौती मानता है। चीन में एक अमेरिकी नागरिक को जासूसी के ही मामले में उम्र्कैद की सजा सुना दी गई थी।
भारत के साथ सीमा विवाद भी शी जिनपिंग के भारत ना आने की एक वजह हो सकता है। एलएसी पर चीन की हरकतों का भारत की तरफ से करारा जवाब मिलता है। दोनों देशों के बीच कई राउंड की सैन्य वार्ता के बाद भारत किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं है। इसके चलते ही अब तक कोई पुख्ता समाधान भी नहीं निकला है। वहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी चीन की विस्तारवादी नीति और अड़ियल रवैये का जिक्र करने से कतराते नहीं हैं।