नई दिल्ली। देश का नाम भारत करने को लेकर कयास तेज हैं और विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमला बोल रहा है। वहीं भाजपा सरकार का कहना है कि यह तो हमारी संस्कृति का हिस्सा है। भारत और INDIA को लेकर छिड़ी यह डिबेट नई नहीं है। यहां तक कि भारत का संविधान बनने के दौरान भी इसे लेकर लंबी बहस हुई थी। इसकी वजह यह थी कि संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन भीमराव आंबेडकर ने जो पहला खाका पेश किया था, उसमें भारत नाम ही नहीं था। उन्होंने संविधान में INDIA नाम ही लिखा था, जिस पर सभा के कई सदस्यों ने आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि देश का मूल नाम ही ‘भारत’ है। ऐसे में उसको जगह न देना गलत है। फिर लंबी बहस हुई और एक साल बाद जब फाइनल ड्राफ्ट आया तो उसमें भारत नाम को जगह दी गई।
भारत पहले न लिखने पर भी भड़के थे संविधान सभा के सदस्य
भारत नाम रखने के समर्थकों का कहना था कि वेदों, उपनिषदों, ब्राह्मण ग्रंथों, महाभारत और पुराणों में भी भारत का ही जिक्र मिलता है। इसके अलावा चीनी यात्री ह्वेन सांग ने भी अपने यात्रा संस्मरण में भारत ही लिखा था। इसी डिबेट को आगे बढ़ाते हुए के. सुब्बाराव ने कहा था कि सिंधु और इंडस नदी की वजह से INDIA नाम सामने आया। उन्होंने तो यह भी कहा था कि देश का हिन्दुस्तान नाम भी पाकिस्तान के दावे को मजबूत करता है क्योंकि अब सिंधु नदी उसके हिस्से में है। इसलिए हिन्दुस्तान नाम भी नहीं होना चाहिए। नाम भारत होना चाहिए। उन्होंने तो हिंदी भाषा को भी ‘भारती’ कहे जाने की वकालत की थी।