नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र शुरू होने से पहले उसके एजेंडा को लेकर कयासबाजी जारी है। इस बीच देश के नाम को लेकर एक सियासी विवाद खड़ा हो गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के द्वारा जी20 शिखर सम्मेलन के डिनर के लिए भेजे गए निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा हुआ है। इसके अलावा 20वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 18वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की इंडोनेशिया यात्रा से संबंधिक एक सरकारी बुकलेट में नरेंद्र मोदी को “भारत के प्रधानमंत्री” के रूप में लिखा गया है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने उसकी तस्वीर ट्वीट किया है।
अनुराग ठाकुर ने कहा, ”मैं भारत सरकार में मंत्री हूं। इसमें नया कुछ भी नहीं है। G20 2023 के ब्रांडिंग लोगो पर भारत और इंडिया दोनों लिखा होगा। तो फिर भारत नाम पर आपत्ति क्यों? भारत से किसी को आपत्ति क्यों है? इससे उनकी मानसिकता का पता चलता है कि वे दिल से इंडिया या भारत के खिलाफ हैं। विलायत में जाते हैं तो भारत की निंदा करते हैं। जब वे भारत में होते हैं तो उन्हें भारत के नाम पर आपत्ति होती है।”
भाजपा नेताओं ने जी-20 रात्रिभोज के निमंत्रण में राष्ट्रपति को प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत के नाम से संबोधित किए जाने के कदम की सराहना की है। पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि देश के लिए हिंदी नाम का इस्तेमाल उसकी सभ्यता की यात्रा को बताता है। हमारी सभ्यता अमृत काल की ओर बढ़ रही है। केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने इस बारे में विपक्ष की आपत्तियों को भी खारिज कर दिया।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, रिपब्लिक ऑफ भारत-खुशी और गर्व है कि हमारी सभ्यता अमृत काल की ओर मजबूती से बढ़ रही है। इसके करीब, डेढ़ घंटे बाद एक्स पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के एक पोस्ट का जवाब देते हुए सरमा ने कहा, अब मेरी आशंका सही साबित हो गई है। ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी की भारत के प्रति घोर नापसंदगी है। ऐसा प्रतीत होता है कि भारत को शिकस्त देने के लिए आई.एन.डी.आई. गठबंधन (इंडिया) नाम इरादतन चुना गया। कांग्रेस, इंडिया का हिस्सा है।
VHP ने भी किया स्वागत
विश्व हिंदू परिषद ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जी20 रात्रिभोज निमंत्रण में भारत शब्द के इस्तेमाल की सराहना की। संगठन ने कहा, आइए इंडिया शब्द को भूल जाएं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गत एक सितंबर को कहा था कि इंडिया के बजाय भारत शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से इसकी आदत डालने का आग्रह किया। भागवत ने कहा था कि भारत नाम प्राचीन समय से चला आ रहा है और इसे आगे भी जारी रखना चाहिए।