आगामी जी20 शिखर सम्मेलन से पहले चीन की नापाक हरकत सामने आई है। चीन पड़ोसी देश नेपाल को भारत के खिलाफ भड़काने में जुटा है। यही नहीं, अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज को दबाने के लिए चीन लोगों पर जानलेवा हमले भी करवा रहा है। बुधवार को ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला देखने को मिला। भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले चीनी राजदूत के कथित इशारों पर एक पूर्व नेपाली मंत्री पर जानलेवा हमला हुआ है। दरअसल चीनी राजदूत के खिलाफ बोलते ही नेपाल के पूर्व मंत्री व सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के सह महासचिव महेंद्र यादव पर जानलेवा हमला हुआ। महेंद्र यादव की गर्दन पर धारदार खुकुरी से प्रहार किया गया। खून से लथपथ पूर्व मंत्री को तत्काल ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालत गंभीर बताई गई है।
काठमांडू: चीनी राजदूत के खिलाफ बोलते ही नेपाल के पूर्व मंत्री, सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस के सह महासचिव मंत्री महेन्द्र यादव पर जानलेवा हमला। यादव की गर्दन पर धारदार खुकुरी से प्रहार किया गया। खून से लथपथ यादव को तत्काल ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया जहां उनकी हालत गंभीर है।… pic.twitter.com/4FBOQOSm19
— Sanjay Bragta (@SanjayBragta) September 6, 2023
क्या जहर उगल रहे थे चीनी राजदूत?
नेपाल में चीनी राजदूत चेन सोंग ने नेपाल को भारत के बजाय चीन से सहयोग की नसीहत दी थी। चीनी राजदूत चेन सोंग ने भारत के खिलाफ बोलते हुए भारत को एक ऐसे देश के रूप में पेश किया है जो अपने पड़ोसियों, खासकर नेपाल के प्रति मित्रतापूर्ण नहीं है। काठमांडू में एक कार्यक्रम में बोलते हुए सोंग ने नेपाल को भारत के साथ सावधानी से चलने की सलाह दी। इस कार्यक्रम में प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष देवराज घिमिरे भी शामिल थे। राजदूत सोंग ने चीन और नेपाल के बीच बेहतर संबंधों की वकालत की और ‘नेपाल में भारत के प्रभाव’ के बारे में अपमानजनक बातें कहीं।
नेपाल में चीनी दूत ने कहा, “दुर्भाग्य और सौभाग्य से आपके पास भारत जैसा पड़ोसी है। भारत एक बहुत बड़ा बाजार है, बड़ी संभावनाएं हैं जिनका आप लाभ उठा सकते हैं। लेकिन साथ ही, नेपाल और अन्य पड़ोसियों के प्रति भारत की नीति इतनी अनुकूल नहीं है और नेपाल के लिए इतनी फायदेमंद नहीं है। तो इसे हम नीतिगत बाधाएं मानते हैं। उन्होंने कहा, “चीन की ग्रोथ देखिए, हमारा भविष्य उज्ज्वल है। हम सभी विकासशील देशों, विशेषकर हमारे नेपाली मित्रों को लाभान्वित करना चाहते हैं। इसलिए नेपाली मित्रों को मेरा सुझाव है कि आपके आर्थिक ढांचे को पुनर्गठन की आवश्यकता है।”