महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जरांगे पाटिल की मांग स्वीकार कर ली है। सरकार ने मराठा कार्यकर्ता जरांगे की उस मांग पर सहमति जताई, जिसमें उन्होंने निजाम शासन के वक्त के दस्तावेज पेश करने पर मराठों को कुनबी के रूप में सर्टिफिकेट देने की बात कही थी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को खुद इसकी घोषणा की। वहीं, मराठा कार्यकर्ता जरांगे गुरुवार सुबह 11 बजे अपनी भूख हड़ताल वापस लेने पर फैसला करेंगे। माना जा रहा है कि सरकार कल सुबह अपने फैसलों पर जीआर जारी कर सकती है।
जरांगे की भूख हड़ताल का नौवां दिन
मनोज जरांगे की भूख हड़ताल का आज नौवां दिन रहा। महाराष्ट्र के जालना जिले में कार्यकर्ता की स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी कर रहे डॉक्टरों ने कहा कि उनके शरीर में पानी की कमी हो गई है और उन्हें अब नसों के जरिए तरल पदार्थ दिया जा रहा है। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सुबह उनका ब्लड प्रेशर भी कम था। करीब 40 वर्षीय जरांगे 29 अगस्त से जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में भूख हड़ताल पर हैं। कार्यकर्ता ने मंगलवार को कहा कि अगर आरक्षण पर अनुकूल निर्णय नहीं लिया गया तो वह 4 दिनों के बाद पानी और तरल पदार्थ पीना बंद कर देंगे।
सरकार इससे पहले जरांगे से 2 बार संपर्क कर उनसे अनशन वापस लेने का आग्रह कर चुकी थी, लेकिन उन्होंने पीछे हटने से इनकार कर दिया। डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी स्वास्थ्य स्थिति की निगरानी कर रही है। 1 सितंबर को अधिकारियों ने जारांगे को अस्पताल ले जाने का प्रयास किया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने ऐसा नहीं करने दिया। इसके बाद पुलिस ने अंतरवाली सरती गांव में हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए थे और 15 से अधिक राज्य परिवहन बसों को आग के हवाले कर दिया गया था।