पटना। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से पहले आए एग्जिट पोल के नतीजों ने बिहार की सियासत को भी गर्म कर दिया है. सभी सियासी दल चुनाव परिणाम के दूरगामी नतीजों पर चर्चा करने लगे हैं. आरजेडी का दावा है कि पांच राज्यों के चुनाव परिणाम का मनोवैज्ञानिक असर 2019 के चुनाव पर भी देखने को मिलेगा. वहीं जेडीयू ने राजस्थान में खराब प्रदर्शन के लिए बीजेपी के प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेवार ठहराकर संभलने के संकेत दे दिये हैं. इधर बीजेपी नेता तीन राज्यों में सरकार बनाने का दावा कर चुनाव परिणाम के पहले बने खराब माहौल को थोडा ठीक करने की कोशिश जरुर कर रहे हैं.
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम से पहले एग्जिट पोल के नतीजों ने विपक्ष को 2019 चुनाव के लिए उम्मीद कि किरण दिखा दी है. विपक्षी खेमा एग्जिट पोल के नतीजों से खासा उत्साहित है. आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का दावा है कि पांच राज्यों का चुनाव परिणाम 2019 आम चुनाव के लिए मनोवैज्ञानिक असर का काम करेगा. जिसका फायदा विपक्ष को मिलेगा.
शिवानंद तिवारी ने कहा है कि राजस्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कहीं मुकाबला नहीं था. न ही मनी के मामले में और न ही पावर के मामले में. दोनों दलों के बीच 15 – 20 का मुकाबला था. जो सूचनाएं आ रहीं थीं उसके मुताबिक कांग्रेस का खजाना ठन ठन था. और कांग्रेस के पास चेहरे के नाम पर सिर्फ राहुल गांधी थे. उसके बावजूद कांग्रेस ने बढिया प्रदर्शन किया जो बेहतर संकेत हैं.
वहीं जेडीयू ने भी ये मान लिया है कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार जानी तय है. पार्टी के एमएलसी दिलीप चौधरी ने कहा है कि राजस्थान प्रदेश नेतृत्व को लेकर जनता के बीच नाराजगी की खबर पहले से आ रही थी. हालंकि पीएम मोदी ने हालात को संभालने की कोशिश जरुर की लेकिन हालात नहीं संभले. मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ में भी लडाई नेक टू नेक है. जेडीयू नेता ने कहा कि राज्यों का चुनाव स्थानीय स्तर पर होता है जिसका असर 2019 में होने वाले आम चुनाव पर नहीं पडेगा. क्योंकि आम चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लडा जाएगा.
इधर बीजेपी के नेता भी ये मान रहे हैं कि पांच राज्यों के चुनाव में केवल तीन राज्यों में ही उनकी सरकार बन पाएगी. पार्टी के नेता बिहार सरकार में मंत्री प्रेम कुमार ने अपने सहयोगी और विपक्ष के दावों को सिरे से खारिज किया है. प्रेम कुमार ने कहा है कि राजस्थान समेत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ में भी उनके पार्टी की सरकार बनेगी. अगर कहीं कुछ कमी रह जाती है तो पार्टी समीक्षा भी करेगी.
चुनाव परिणाम को लेकर सियासी मंथन का दौरा शुरु है. लेकिन किसके दावे में कितना दम है ये तो ग्यारह दिसंबर को आनेवाले चुनाव परिणाम के बाद ही पता चल पाएगा.