देवरिया/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक ही परिवार के 5 लोगों की हत्या कर दी गई, जिनमें 3 बच्चे थे। एक व्यक्ति की हत्या का बदला लेने के लिए ये सब किया गया। प्रेम यादव का शव मिलने के बाद उसके परिजनों समर्थकों ने मिल कर सत्य प्रकाश दुबे के घर पर हमला कर दिया गया। सत्य प्रकाश दुबे, उनकी पत्नी, 2 बेटियाँ और एक बेटे को मार डाला गया। अब देवरिया के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि ये भू-माफिया बनाम एक गरीब परिवार की लड़ाई है। उन्होंने इसके सबूत के रूप में स्थानीय अख़बारों की कतरनें भी शेयर की।
सत्यप्रकाश दुबे के बेटे ने बताया है कि प्रेम यादव उनके घर आकर धमकी दे रहा था, फिर वो मारपीट करने लगा। उसने ये भी बताया कि प्रेम यादव ने उसकी बहन के साथ भी बदतमीजी की। वो थप्पड़ चलने लगे। उसने बताया कि उनके पिता को भीड़ ने घेर लिया और फिर हत्या की गई। प्रेम यादव के ज़िंदा बचे 2 बेटों में से बड़े वाले ने अपना दुःख बयाँ करते हुए कहा कि भीड़ ने सबके सामने उनके पिता को मार डाला। सोशल मीडिया में भी इस घटना को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है।
जर्जर घर, ऊपर से मुकदमे: सत्यप्रकाश दुबे का परिवार था गरीब
सत्यप्रकाश दुबे का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था। सत्यप्रकाश दुबे परिवार के भरण-पोषण के लिए प्राइवेट वाहन चलाया करते थे। उनकी बेटी प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी, ताकि परिवार के खर्चों में पिता का सहयोग कर सके। वहीं एक बेटा एक दुकान में काम करता था। दूसरा बेटा देवरिया में शास्त्री की पढ़ाई के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठान कर के अपना खर्च चलाता था। ऊपर से मुकदमों के कारण परिवार परेशान रहता था।
गरीबी का आलम ये था कि दुबे परिवार का घर भी जर्जर स्थिति में था। घर में से जब एक के बाद एक कर के 5 शव निकाले गए, तो लोगों ने घर की हालत देखी। सत्यप्रकाश दुबे और उनकी पत्नी किरण के 6 बच्चे थे – शोभिता, देवेश, सलोनी, नंदिनी, गाँधी और अनमोल थे। इनमें से सलोनी, नंदिनी और गाँधी को मार डाला गया। गाँधी जयंती के दिन जन्म होने के कारण एक बेटे का नाम गाँधी रखा गया था, और उसकी हत्या भी गाँधी जयंती के दिन ही कर दी गई।
सत्यप्रकाश दुबे के घर की ये स्थिति थी कि बरसात में सिर ढँकने के लिए भी आफत आ जाती थी। एक शेड में पूरा परिवार रहता था। शोभिता की जहाँ शादी हो गई थी, वहीं देवेश सबसे बड़ा बेटा था जो शास्त्री की पढ़ाई कर रहा था। सलोनी गाँव में ही एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी। गाँधी पकड़ी बाजार स्थित इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान में काम करता था। देवेश इसीलिए बच गए, क्योंकि हमले के वक्त वो एक अनुष्ठान कार्यक्रम के लिए बलिया गए हुए थे।
प्रेम यादव का सपा कनेक्शन, भू-माफिया होने के आरोप
वहीं एक अन्य अख़बार के स्थानीय संस्करण में प्रेम यादव के बारे में भी बताया गया है कि कैसे उसका समाजवादी पार्टी से कनेक्शन था। जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर प्रेम यादव अक्सर विवादों में रहता था। जमीं पर कब्जे के लिए वो धन और सियासी बल का इस्तेमाल करता था। कई महँगी जमीनों को दबंगई के जरिए कम दाम में खरीदने के आरोप उस पर लगे हैं। रुद्रपुर मोड़ पर उसने 3 कट्ठा विवादित जमीन खरीदी थी, उसे लेकर भी पंचायत बैठी थी।
ग्रामीणों के हवाले से बताया गया है कि प्रेम यादव ने एक सरकारी शिक्षण संस्थान और ग्राम सभा की जमीन तक कब्जा ली और उस पर आलीशान भवन खड़ा कर दिया। जिला पंचायत सदस्य रहते उसने गाँव की एक एकड़ जमीन कब्जा ली थी। गाँव में एक ऐसी जमीन है जो मानस विद्यालय नाम से दर्ज है, लेकिन उस पर कब्ज़ा प्रेम यादव का है। GS स्कूल और खलिहान के नाम से दर्ज जमीन पर भी उसका कब्ज़ा है। वन विभाग, स्कूल और गाँव – तीनों की जमीन पर उसने कब्जे किए।
ये भी आरोप लगा है कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से वो इन करतूतों को अंजाम देता था। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामाशीष निषाद ने कहा कि राजस्व विभाग में कई बार आवेदन दिए जाने के बावजूद कब्जा हटाने की कार्रवाई नहीं हुई। फतेहपुर गाँव में रहने वाले प्रेम यादव की माँ भी ग्राम प्रधान रह चुकी थीं। सत्यप्रकाश दुबे के भाई ज्ञानप्रकाश का कोई परिवार नहीं था, ऐसे में उन्हें अपने साथ रख कर उसने उनकी जमीन भी अपने नाम करा ली थी।
ग्राउंड ज़ीरो से सैकड़ों मील दूर बैठे जो लोग देवरिया की घटना का आँकलन अपने अपने हिसाब से कर रहे, उनके लिए प्रस्तुत है स्थानीय अखबारो की ये खबरें,ये जंग भूमाफ़िया बनाम एक बेहद गरीब परिवार की है, लिहाज़ा इंसाफ की जंग हर हाल में लड़ी जाएगी !! pic.twitter.com/Ys4k243irx
— Dr. Shalabh Mani Tripathi (@shalabhmani) October 4, 2023
इन खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा, “ग्राउंड ज़ीरो से सैकड़ों मील दूर बैठे जो लोग देवरिया की घटना का आकलन अपने अपने हिसाब से कर रहे है, उनके लिए प्रस्तुत है स्थानीय अखबारो की ये खबरें। ये जंग भूमाफ़िया बनाम एक बेहद गरीब परिवार की है, लिहाज़ा इंसाफ की जंग हर हाल में लड़ी जाएगी।” उन्होंने सत्यप्रकाश दुबे के घर जाकर उनके बेटे से मुलाकात की और स्थानीय लोगों से इस घटना के बारे में जाना, साथ ही सहयोग का आश्वासन दिया।