उत्तरकाशी के सिलक्यारा स्थित सुरंग से 41 मजदूरों को बचा कर सुरक्षित निकाल लिया गया है। सुरंग ध्वस्त होने के कारण ये मजदूर 12 नवंबर, 2023 को सुरंग में फँसे थे, जिन्हें 28 नवंबर, 2023 को वापस निकाला गया। 17 दिनों तक ये मैराथन प्रयास चला। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल VK सिंह ने वहाँ कैंप किया। PMO के अधिकारी वहाँ मजजूद रहे। संसाधन की किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहने दी गई।
तभी तो अमेरिकी मशीन तक मँगाई गई। ये अलग बात है कि वो काम नहीं आई। अरनॉल्ड डिक्स के नेतृत्व में कई विदेशी विशेषज्ञ लगातार लगे रहे। बाबा बौखनाग का अस्थायी मंदिर बनाया गया और वहाँ पूजा-अर्चना चलती रही। कई मजदूर भी बचाव कार्य में लगे रहे। अंदर गब्बर सिंह नेगी फँसे हुए साथी मजदूरों का हौसला बढ़ाते रहे, उन्हें योग-व्यायाम कराते रहे। अंत में रैट माइनर्स की सहायता से पाइप डालने का काम हुआ और इसके सहारे सभी मजदूरों को वापस बुलाया गया।
वहीं सुरंग में ही एक अस्थायी अस्पताल भी बनवा दिया गया था। फँसे हुए मजदूरों को निकाले जाने के बाद चिन्यालसौड़ स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहाँ सीएम धामी भी पहुँचे। उत्तरकाशी के जिला अस्पताल ही नहीं, बल्कि उन्हें एयरलिफ्ट कर के ऋषिकेश स्थित एम्स में भी ले लाया गया जहाँ पहले से सारी तैयारियाँ कर के रखी गई थीं। हालाँकि, सभी श्रमिक स्वस्थ हैं। जिस तरीके से केंद्र एवं राज्य सरकार ने इस पूरे प्रकरण को सँभाला, उसके बाद उनकी तारीफ़ होनी स्वाभाविक है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव PK मिश्रा और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल इसमें सीधे तौर पर लगातार जुड़े रहे। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरंग ध्वस्त होने की खबर जैसे ही पता चली, पीके मिश्रा ने पीएम मोदी को इसके बारे में बताया। इसके बाद से ही प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी इस रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी में जुट गए। 27 नवंबर को तो PK मिश्रा खुद मौके पर पहुँचे और बचाव अभियान की समीक्षा की। अंदर फँसे मजदूरों से संपर्क के लिए संचार व्यवस्था भी बनाई गई थी।
इसी के जरिए पीके मिश्रा ने उन श्रमिकों से बात की और आश्वासन दिया कि उन्हें बाहर निकाल लिया जाएगा। जब तक ये ऑपरेशन सफल नहीं हो गया, मंगेश घिल्डियाल भी उत्तरकाशी में मौजूद रह कर इसकी निगरानी करते रहे। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे से भी निवेदन किया गया कि वो मौके पर जाएँ। वो वहाँ प्रतिदिन की व्यवस्थाओं व कामकाज की निगरानी कर रहे थे। कई प्राइवेट कंपनियों और स्टार्टअप्स की भी इसमें मदद लेने की तैयारी थी।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ये प्रधानमंत्री कार्यालय की ही सक्रियता का ही परिणाम था कि RVNL (रेल विकास निगम लिमिटेड), ONGC (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन), SJVNL, THDC, DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन), DST (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग), भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना (IAF), BRO (सीमा सड़क संगठन), NDRF (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल), NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण), उत्तरकाशी जिला प्रशासन और उत्तराखंड सरकार इसमें समन्वय बना कर काम करती रही।
इन सभी के विषेशज्ञ एवं उपकरण इस रस्के ऑपरेशन का या तो हिस्सा बने, या फिर ये तैयार थे। सलाह, मानव संसाधन और उपकरण – इन सभी का इस्तेमाल किया गया। जब जहाँ जिसकी जैसी ज़रूरत पड़ी, उनसे सेवा ली गई। इन सभी संस्थाओं के मुखियाओं के साथ 20 नवंबर को ही प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने बैठक ली थी और उन्हें हर घंटे अपडेट्स लेते रहने को कहा गया था। केंद्रीय गृह मंत्रायल और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को निर्देश दे दिया गया था कि वो मशीनों एवं विशेषज्ञों की आवाजाही के लिए ग्रीन कॉरिडोर की व्यवस्था बनाए रखें।
#WATCH | On the successful rescue of all 41 workers from the Silkyara tunnel, former advisor to PMO Bhaskar Khulbe says, "I will always wish that such a disaster doesn't strike again. The courage shown by the 41 workers demonstrates shows how one should never leave hope" pic.twitter.com/DpWUC7n1Pd
— ANI (@ANI) November 29, 2023
देश के विभिन्न हिस्सों से मशीनरी आ रही थी और विशेषज्ञ पहुँच रहे थे। NDMA को भी कहा गया था कि वो समय-समय पर सारी जानकारी देते रहें। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी कह चुके हैं कि सरकार इस घटना से सीखेगी और सुरंगों की सेफ्टी ऑडिट के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीकों का सहारा लिया जाएगा। खासकर हिमालय के पत्थर और मिट्टी को ध्यान में रखते हुए काम लिए जाएगा। ये बड़ी बात है। आगे इस तरह की घटना न हो, सरकार ने इसके लिए अभी से ही कमर कस ली है।
माँ पर आस्था रखने की बात करते हुए भास्कर खुल्बे ने कहा कि वो हमेशा देवी को प्रणाम कर के जाते थे और अंतिम दिन उन्होंने दण्डवत किया। उन्होंने ख़ुशी की आँसू को सफलता की सबसे बड़ी भावना करार दिया। साथ ही कहा कि ऐसी विपदा और न आए, वो चाहेंगे। उन्होंने 41 श्रमिकों द्वारा दिखाए गए हौसले और मेहनत को प्रेरणा बताते हुए कहा कि विपत्ति में हमें हौसला नहीं खोना चाहिए। उन्होंने कहा कि इनके हौसले की बदौलत ही बाहर रेस्क्यू अभियान चला रहे लोग भी प्रेरित होते रहे।
मेजर जनरल (रिटायर्ड) हर्ष काकर ने भी इसकी प्रशंसा करते हुए बताया कि कैसे PMO के 5 अधिकारी दिन-रात 15 दिनों तक मौके पर कैंप करते रहे और कंटेनर में रहे, CM धामी रोज 3-4 घंटे वहाँ पर रहे, जनरल वीके सिंह और नितिन गडकरी वहाँ पहुँचे, स्लोवेनिया से ऑगर मशीन लाने के लिए हैदराबाद से विशेष विमान भेजा गया, दुनिया के बेस्ट रेस्क्यू एक्सपर्ट को बुलाया गया, अमेरिका से विशेष प्लाजमा कटर लाया गया और नए हेलीपैड के अलावा वर्टिकल ऑक्सीजन जनरेटर प्लांट तक स्थापित किया गया।