उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 24 नवंबर 2023 को सरकारी बस कंडक्टर पर ‘चापड़’ से हमला करने वाला बी.टेक छात्र लारेब हाशमी (20) पाकिस्तान के कट्टरपंथी मौलवी खादिम हुसैन रिजवी का फैन निकला। पुलिस जाँच में सामने आया कि वो मौलवी खादिम हुसैन रिजवी की वीडियोज को सुनता था।
उसने हमले के बाद बनाए गए वीडियो में भी इस मौलवी का जिक्र किया था। उसका कहना था कि हरिकेश विश्वकर्मा ने इस्लाम का अपमान किया इसलिए उसने उसे मारा। हालाँकि प्रत्यक्षदर्शी ड्राइवर मंगल प्रसाद ने बताया था कि लारेब ने किराए को लेकर हुई बहस के बाद जानलेवा हमला किया।
Kanhaiyalal like incident in Prayagraj. Ashiq-e-Rasool Lareb Hashmi, a B. Tech. student after the attack 👇 pic.twitter.com/zQqbs9BkGc
— Sanjay Dixit ಸಂಜಯ್ ದೀಕ್ಷಿತ್ संजय दीक्षित (@Sanjay_Dixit) November 24, 2023
खादिम हुसैन रिजवी का दीवाना था लारेब हाशमी
प्रयागराज के यूनाइटेड कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड रिसर्च में हाशमी बीटेक छात्र था। अपनी वीडियो में लारेब ने बोला था, “वो (हरिकेश विश्वकर्मा) मुस्लिम को गाली दे रहा था। मैंने उसे मारा है इंशाअल्लाह वो बचेगा नहीं, ए खादिम हुसैन रिज़वी, आपने कहा था, अल्लाह के नाम पर निकलो, फरिश्ते आएँगे, इस्लाम के दुश्मनों की लाशों का ढेर लगा दो।”
रिजवी से प्रेरित लारेब कह रहा था, “आपने (रिज़वी) हमसे कहा था कि अगर हम अल्लाह के रास्ते पर चलेंगे तो फ़रिश्ते आएँगे। आपने कहा है कि न केवल एक शख्स को मार डालो बल्कि इस्लाम के दुश्मनों की लाशों का ढेर लगा दो।”
जिस मौलाना रिज़वी का ये लारेब हाशमी जिक्र कर रहा था। वो पाकिस्तान के कट्टर इस्लामिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (TLP) का संस्थापक था। इस कुख्यात इस्लामिक मौलवी की 1955 से लेकर 2020 तक पाकिस्तान में तूती बोलती थी।
इसने वहाँ सख्त ईशनिंदा कानूनों को संरक्षित करने के लिए एक अभियान चलाया था। वह वहाँ खासा मशहूर था खासकर पाकिस्तान के सबसे अधिक आबादी वाले प्रांत पंजाब में वो खासा सक्रिय था। रिज़वी 19वीं सदी के इस्लामिक उपदेशक, बरेलवी दीन की नींव रखने वाले इमाम अहमद रज़ा खान बरेलवी का चेला था।
‘ईशनिंदा’ के नाम पर काटा था खासा बवाल
रिजवी को पाकिस्तान में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है। साल 2017 में उनके किए प्रदर्शनों में कम से कम छह लोगों की जान गई और 200 लोग घायल हो गए थे।
ये प्रदर्शन महज इस बात पर किए गए थे कि पाकिस्तानी सरकार ने चुनावों में ली जाने वाली कसम में एक मामूली बदलाव किया था, जिसका संबंध पैगंबर मुहम्मद से जुड़ा था। इस बदलाव से अहमदी संप्रदाय को लाभ पहुँचने वाला था।
Khadim Hussain Rizvi has been taken into protective custody by police and shifted to a guest house.They insisted to come to Rwp refusing Governments proposal for alternative arrangements
It’s to safeguard public life, property and order and has to do nothing with Asia Bibi case— Ch Fawad Hussain (@fawadchaudhry) November 23, 2018
जनता के गुस्से को भाँपते हुए पाकिस्तानी सरकार ने इसे ‘क्लर्क की गलती’ मानते हुए तुरंत अपना फैसला रद्द कर दिया। इसके बाद भी विरोध जारी रहा और तत्कालीन कानून मंत्री के इस्तीफा सौंपने के बाद ही इसे बंद किया गया।
रिजवी की छत्रछाया में साल 2018 में टीएलपी ने पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के आसिया बीबी को बरी किए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। उन पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाया गया और उन्हें 8 साल मौत की सजा के इंतजार में जेल में बिताने पड़े।
इसके बाद ही रिज़वी को लेकर पाकिस्तानी सरकार हरकत में आई और उसे हिरासत में लिया गया। उस पर देशद्रोह और राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया। इसी इस्लामिक मौलवी रिजवी ने ‘पैगंबर मुहम्मद कार्टून प्रतियोगिता’ का ऐलान करने वाले डच राजनेता गीर्ट वाइल्डर्स के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
तब उसने डच राजदूत को देश से निष्कासित करने और नीदरलैंड के साथ सभी राजनयिक संबंधों को खत्म करने की भी माँग की थी। यही नहीं 2020 में फ्रांसीसी स्टायरिकल मैग्जीन शार्ली एब्दो के पैगंबर मोहम्मद के कार्टून छापने पर फ्राँस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में रिज़वी सबसे आगे रहा था।
Eminent Pakistani Islamic preacher Khadim Rizvi threatens to nuke France.Wants Pak to do an atom bomb strike on France (educated Pakistani ISI agents like David Headley have plotted terror attacks in Europe in the past. World needs to crack down on global epicentre of terror Pak) https://t.co/RI0D2kNswy
— GAURAV C SAWANT (@gauravcsawant) October 28, 2020
तब रिजवी ने फ्राँसीसी उत्पादों के बहिष्कार का भी आह्वान किया था। इसके अलावा उसने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से इस्लामाबाद से फ्राँसीसी राजदूत को वापस भेजने की माँग भी की थी।
इन विरोध प्रदर्शनों के दौरान यूरोपीय देश ने कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद से लड़ने की कसम खाई थी। इसके बाद रिज़वी ने पाकिस्तान को ‘इस्लामोफोबिया’ के कथित कृत्य के लिए फ्रांस के खिलाफ परमाणु हमले शुरू करने को कहा था।
उसकी मौत के बाद भी टीएलपी ने ईशनिंदा के नाम पर खादिम रिज़वी की हिंसा की विरासत को संभाल के रखा है। अब उसका बेटा साद हुसैन रिज़वी कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी का नेतृत्व कर रहा है और मुल्क को अंधकार युग में धकेल रहा है।
गैर-मुस्लिम रिजवी नजर में इंसान नहीं
कट्टरपंथी रिजवी ने अपने जिंदा रहते क्रूर हिन्दू और सिख विरोधी बयानबाजी को खासा बढ़ावा दिया था। इस वजह से पाकिस्तान में इन मजहबी समुदायों को हाशिए पर धकेल कर उनका बहिष्कार किया गया।
एक बगैर तारीख के वीडियो में खादिम हुसैन रिज़वी को ‘काफ़िरों’ की तुलना (गैर- मुस्लिमों के लिए बेइज्जती भरा लफ्ज) लैट्रिन से करते देखा गया था। उसने कहा था, “एक मुस्लिम का काफिर से रिश्ता लैट्रिन की तरह ही एक दायित्व है। जैसे आप लैट्रिन में जाते हैं क्योंकि आपको इसकी जरूरत है। आप वहाँ दुर्गंध सूंघने के लिए नहीं जाते हैं।”
एक अन्य वीडियो में रिजवी को सोमनाथ मंदिर लूटने वाले महमूद गजनवी की तारीफ करते सुना जा सकता। उसने यह भी दावा किया था कि इस्लामिक आक्रमणकारी के घोड़ों की टापों को सुनकर हिन्दू महिलाओं का गर्भपात हो जाता था।
पाकिस्तान अनटोल्ड के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में खादिम हुसैन रिज़वी को हिंदुओं पर हमलों, मंदिरों और मूर्तियों के अपमान को जायज ठहराते हुए देखा गया था।
उसने कहा था, “महमूद गजनवी ने जब सोमनाथ की मूर्ति को तोड़ना शुरू कर दिया। हिन्दू उसके पास गए और इसरार किया- हे महमूद! हमारे भगवान को मत तोड़ो। हम आपको इस मूर्ति के भार से भी अधिक सोना देंगे। महमूद ने जवाब दिया था, मेरे पैगम्बर ने मुझे मूर्तियाँ तोड़ना सिखाया। उन्होंने मुझे उन्हें बचाना नहीं सिखाया।”
उसे पाकिस्तान में सिख तीर्थस्थल ‘करतारपुर साहिब’ को ‘गंदा’ करार देते और सिख समुदाय के खिलाफ नफरत भरा भाषण देते हुए भी देखा गया था। ऐसे में हैरानी की बात नहीं कि प्रयागराज का हमलावर लारेब हाशमी खादिम हुसैन रिज़वी का मुरीद था।
ईशनिंदा हत्याओं को ठहराया जायज
बता दें कि खादिम हुसैन रिज़वी ने पाकिस्तान के प्रमुख राजनेता और पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर के हत्यारे के समर्थन में रैली की थी। तासीर ने ईशनिंदा के झूठे केस में फँसाई गई आसिया बीबी को सार्वजनिक तौर से अपना समर्थन दिया था।
उनके ‘मुर्तद’ होने का ऐलान कर उनके अंगरक्षक मुमताज कादरी ने उन्हें गोली मार दी। रिज़वी और उसके समर्थकों ने कादरी का समर्थन किया और उसे ‘हीरो’ कहा। दिलचस्प बात यह है कि कादरी की फाँसी के बाद ही इस्लामी उपदेशक रिजवी टीएलपी की नींव रखी थी।
इतना ही नहीं खादिम रिज़वी ने तनवीर अहमद नामक पाकिस्तानी को भी अपना समर्थन दिया था। अहमद ने स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में ईशनिंदा के आरोप में एक अहमदी दुकानदार की हत्या कर दी थी।
अहमद को 27 साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद रिजवी ने कहा, “मुझे इस बात पर फख्र है कि हम संपर्क में हैं और यह फख्र फैसले के दिन और उससे आगे तक बना रहेगा।”
This religious leader wanted to kill me and he inspired millions of Pakistani extremists to kill me in the name of Islam. He claimed he read my book, but of course, he didn't. He lied. https://t.co/7aH93QINXW
— taslima nasreen (@taslimanasreen) August 17, 2022
बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने बताया था कि कैसे खादिम रिज़वी उनकी किताब ‘लज्जा’ के जरिए ईशनिंदा करने के लिए उन्हें फाँसी पर चढ़ाना चाहते थे। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “यह मजहबी नेता मुझे मारना चाहता था और उसने इस्लाम के नाम पर लाखों पाकिस्तानी आंतकवादियों को मुझे मारने के लिए उकसाया है। उसने दावा किया कि उसने मेरी किताब पढ़ी, लेकिन पक्के तौर पर उसने ऐसा नहीं किया। उसने झूठ बोला।”
ईशनिंदा के हत्यारों के लिए प्रेरणा
कथित ईशनिंदा करने वालों की हत्याएँ करने वाले कई अपराधियों के लिए खादिम हुसैन रिज़वी प्रेरणा रहा। खतीब हुसैन नाम के एक मुस्लिम छात्र ने मार्च 2019 में पाकिस्तान के बहावलपुर शहर में अपने अंग्रेजी प्रोफेसर पर ईशनिंदा का झूठा आरोप लगाने के बाद उसे चाकू मार दिया था। ये भी रिज़वी के वीडियो से प्रेरित था और शायद सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथी बना।
इससे पहले पाकिस्तान के चारसद्दा शहर में 2018 में अन्य छात्र ने अपने स्कूल के प्रिंसिपल पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर गोली मारकर उसकी हत्या कर दी।
इस अनाम छात्र ने कबूला था “मैंने यह हत्या की और मैंने इसे स्वीकार कर लिया। यह अल्लाह का दिया आदेश था।” इस छात्र नें 2017 में टीएलपी की बैठकों में शिरकत की थी।
ईशनिंदा, STSJ नारेबाजी और पाकिस्तानी
गौर देने वाली बात यह है कि ‘सर तन से जुदा (STSJ)‘ का जानलेवा नारा खादिम हुसैन रिज़वी की देन है। इसे भारत में इस्लामवादियों ने कमलेश तिवारी, यति नरसिघानंद सरस्वती और नूपुर शर्मा जैसे हिंदुओं के खिलाफ हथियार बनाया।
जब कादरी ने पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की हत्या की थी। इसके बाद 2011 में रिज़वी ने हत्यारे के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक मार्च निकाला था। इस जुलूस के दौरान दो नारे जमकर लगाए गए थे। एक था ‘रसूल अल्लाह, रसूल अल्लाह’ और दूसरा था, ‘गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सज़ा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा।’
रिज़वी सामूहिक प्रदर्शनों के दौरान लोगों से जब पूछता था, ‘गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सज़ा?’ तब जवाब में प्रदर्शनकारी ‘सर तन से जुदा, सर तन से जुदा’ कहकर जवाब देते थे।
रिज़वी की 2020 में मौत गई, लेकिन उसके नारे पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में हत्यारे इस्लामवादियों के बीच आज भी जिंदा है। ये लोग लगातार ईशनिंदा करने वाले लोगों के सिर काटने की माँग करते हैं। इसके अलावा कई तो खुद ईशनिंदा करने वालों की हत्या पर मुहर लगाते हैं।