गढ़वा। हेमंत सरकार उर्दू की उपेक्षा करना बंद करे अन्यथा यह निर्णय सरकार को भारी पड़ सकती है। अल्पसंख्यक यदि सरकार को गद्दी पर बैठाना जानते हैं तो उतारने से भी परहेज नहीं करेंगे। यदि राज्य सरकार उर्दू शिक्षकों की बहाली सुनिश्चित नहीं करती है तो आंदोलन किया जाएगा। विधानसभा का घेराव किया जाएगा।
उर्दू शिक्षकों के 4401 पद में से 689 पदों पर ही हुई नियुक्ति
राज्य गठन के बाद राज्य के अंदर उर्दू शिक्षकों के 4401 पद थे, जिसमें अब तक 689 पदों पर ही नियुक्ति हुई है। सरकार खाली पड़े 3712 पदों पर नियुक्ति करने के बदले पदो को ही समाप्त कर देना चाहती है। यह अल्पसंख्यको के साथ घिनौना मजाक है।
वहीं, बिहार राज्य में उर्दू दूसरी भाषा का दर्जा रहा है और राज्य अलग होने के बाद भी इसकी पुष्टि की गई है। फिर भी इस तरह का फैसला लेना काफी दुर्भाग्य है। हेमंत सोरेन की सरकार तुरंत इस फैसले को वापस ले अन्यथा अल्पसंख्यक समाज राजगद्दी से उतार देगी।
मौके पर जिला अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार रजक, अवध किशोर मेहता, कामेश कुमार रवि, सुदामा रवि, हाजी नसीरुद्दीन, इफ्तिखार अहमद आदि उपस्थित थे।