पांच भारत रत्न… पांच दांव और मोदी सरकार का चुनावी ब्लूप्रिंट तैयार
कर्पूरी ठाकुर… चौधरी चरण सिंह…नरसिम्हा राव, MS स्वामीनाथन और आडवाणी…. मोदी सरकार के एक फैसले से… ये सभी भारत के अभूतपूर्व रत्न बन चुके हैं। भारत रत्न से इन्हें जो सम्मानित किया गया है, ये सिर्फ एक अवॉर्ड, पुरुस्कार या अच्छे काम के लिए प्रोत्साहन मात्र नहीं है, इसके पीछे एक गहरी सियासत छिपी है…सियासत मोदी की…सियासत शाह की और सियासत 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने की। ये टाइमिंग का ही खेल है कि नीतीश की एनडीए में एंट्री से मिले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया गया, अब जयंत चौधरी को पाले में लाने के लिए चौधरी चरण सिंह को सर्वोच्च सम्मान दिया जा रहा है।
पीएम मोदी की विजयश्री वाली स्क्रिप्ट
आम आदमी के चश्मे से देखेंगे तो सिर्फ ऐलान मात्र है, लेकिन इसकी राजनीति को समझने की कोशिश करेंगे तो मोदी का पूरा प्लान डीकोड कर लेंगे। चौधरी चरण सिंह से किसानों और जाटों को मोदी ने साधा, नरसिम्हा राव का सम्मान कर कांग्रेस को अपमान का घूट फिर पिलाया, कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च सम्मान देकर पिछड़ों में पैठ को मजबूत किया और कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन को भारत रत्न देकर कमजोर पड़े दक्षिण दुर्ग को दुरुस्त करने का काम हुआ। इसके साथ अडवाणी के जरिए राम लहर को भुनाने की कवायद हुई, यानी कि पीएम मोदी ने पांच भारत रत्न से पांच बड़े सियासी दांव चले और उन सियासी दांव ने 2024 की विजयश्री वाली स्क्रिप्ट लिख दी।
इस स्क्रिप्ट के पांच किरदार हैं- किसान, जाट, ओबीसी, हिंदू और कांग्रेस। बात सबसे पहले किसानों की करते हैं, इस मोदी सरकार ने पिछले 10 सालों में कई बार दावा किया- आजाद भारत में किसानों के लिए सबसे ज्यादा काम अब हुआ… अपनी किसान निधि योजना का हर जगह ढिंढोरा पीटा… लेकिन अगर किसान इतने खुश हैं तो नोएडा में क्यों चक्का जाम लगा दिया गया? अगर किसान इतना संतुष्ट है तो MSP को लेकर वो सड़कों पर क्यों उतर रहा है? अब सरकार के पास इन सवालों का जवाब शायद अभी ना हो, लेकिन उन्हीं किसानों का दिल जीतने के लिए चौधरी चरण सिंह का साथ है।
जाट-किसानों को साधने का प्लान
चौधरी चरण सिंह… किसानों के सबसे बड़े नेता, जाटों के मसीहा और पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब में गजब की लोकप्रियता। देश के इकलौते प्रधानमंत्री रहे जो इस क्षेत्र से निकले थे, ऐसे में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर इस पूरी किसान बेल्ट, पूरी जाट बेल्ट को स्वीप करने का इरादा बनाया गया है।आंकड़ो में अगर समझने की कोशिश करें तो पश्चिमी यूपी की 22 सीटें जाट बाहुल हैं। हरियाणा में उनका 22 फीसदी के करीब वोट है और पंजाब में भी कई सीटों पर निर्णायक भूमिका, यानी कि किसान आंदोलन, जाटों के गुस्से का एक SOLUTION मोदी सरकार ने निकाल लिया है- चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न।
पिछड़ों को साथ लाने की रणनीति
अब मोदी सरकार के सामने एक दूसरी चुनौती सिर उठा रही थी…जातिगत जनगणना का कोई तोड़ नजर नहीं आ रहा था… विपक्ष का नेरेटिव हावी होता जा रहा था, राहुल गांधी की मांग देश की मांग बनती दिख रही थी… लेकिन तभी पिछड़ों के बड़े नेता माने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को याद किया गया और समाधान मिल गया। एक तीर से दो निशाने साधे गए- पूर्व सीएम को भारत रत्न देकर पिछड़ों का मसीहा बना गया, वहीं नीतीश को खुश कर NDA के पाले में भी लाया गया। यही पीएम मोदी की सियासत है जहां पर विरोधियों का भी दिल जीतना जरूरी हिस्सा रहता है।
दक्षिण का दुर्ग साधने की कवायद
लोग सोच रहे हैं कि नेताओं को मिला भारत रत्न तो सियासत का हिस्सा हो सकता है, लेकिन स्वामीनाथन को आखिर ये सम्मान क्यों दिया गया? इसका जवाब इस महान कृषि वैज्ञानिक के जन्म स्थाली में छिपा हुआ है। तमिलनाडु में MS स्वामीनाथन का जन्म हुआ था, बीजेपी को दक्षिण में एक बड़े पुश की जरूरत है। ऐसे में अगर मंदिर पॉलिटिक्स के साथ साउथ की अस्मिता को जोड़ दिया जाए, तो कुछ हद तक बीजेपी सेंधमारी कर सकती है। यानी कि इस सियासत में एक वैज्ञानिक भी अपनी अहम भूमिका दर्ज करवा सकता है।
कांग्रेस को गांधी परिवार तक सीमित करना
वैसे अपनी भूमिका नरसिम्हा राव ने भी दर्ज करवा दी है… कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री को भारत रत्न देकर पीएम मोदी ने साफ कर दिया… वे हर तरह की सियासत में महारत रखते हैं। समझने वाली बात ये है, राव को ये सम्मान देकर किसी भी वोटबैंक को नहीं साधा जा रहा, लेकिन कांग्रेस को घेरने का एक बड़ा मौका जरूर मिल रहा है… बीजेपी क्या आरोप लगाती है- कांग्रेस ने नरसिम्हा राव का अपमान किया… अब भारत रत्न देकर क्या नेरेटिव सेट होगा… पीएम मोदी ने अपने विरोधी का भी सम्मान किया, उनके योगदान को भी पहचान दी।
राम लहर को भुनाने का प्लान
इसके ऊपर जानकार तो ये भी मानते हैं कि नरसिम्हा राव को भारत रत्न देकर मोदी सरकार ने असल में कांग्रेस को सिर्फ गांधी परिवार तक सीमित कर दिया है। ये बात समझने वाली है कि नरसिम्हा राव गांधी परिवार से बाहर वाले कांग्रेस पीएम थे। इससे पहले जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सभी एक ही परिवार से रहे। ऐसे में राव को भारत रत्न देकर कांग्रेस को सिर्फ एक ही परिवार तक सीमित दिखाने की एक बड़ी लकीर भी खीचने की कवायद की गई है।