सत्ता की चाबी है किसानों का कर्ज माफी, लेकिन नहीं है कृषि समस्या का हल : नीति आयोग

नई दिल्ली। नीति आयोग ने बुधवार को कहा कि कृषि ऋण माफी से किसानों के एक तबके को ही लाभ होगा और कृषि समस्या के हल के लिये यह कोई समाधान नहीं है. कृषि कर्ज माफी को लेकर जारी बहस के बीच नीति आयोग ने यह कहा. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सरकार पर किसानों का कर्ज माफ करने के लिये दबाव दे रहे हैं. उन्होंने कहा है कि वह तबतक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आराम से बैठने नहीं देंगे जबतक सभी किसानों का कर्ज माफ नहीं हो जाता.

‘नये भारत के लिये रणनीति @75’ दस्तावेज जारी करने के मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘‘कृषि क्षेत्र में संकट के लिये कृषि ऋण माफी कोई समाधान नहीं है बल्कि इससे केवल कुछ समय के लिये राहत मिलेगी.’’ नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने भी कुमार की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि कर्ज माफी की सबसे बड़ी समस्या यह है कि इससे किसानों के केवल एक तबके को लाभ होगा.

उन्होंने कहा, ‘‘जो गरीब राज्य हैं, वहां केवल 10 से 15 प्रतिशत किसान कर्ज माफी से लाभान्वित होते हैं क्योंकि ऐसे राज्यों में बैंकों या वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है. यहां तक कि 25 प्रतिशत किसान भी संस्थागत कर्ज नहीं लेते.’’ चंद ने कहा कि किसानों के कर्ज लेने के मामले में संस्थागत पहुंच को लेकर जब राज्यों में इस तरह का अंतर हो, तब ऐसे में बहुत सारा पैसा कृषि कर्ज माफी पर खर्च करने का कोई मतलब नहीं है.उन्होंने कहा, ‘‘कैग की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि कृषि कर्ज माफी से मदद नहीं मिलती.

कृषि क्षेत्र में किसानों की समस्या के हल के लिये कर्ज माफी समाधान नहीं है.’’ कुमार और चंद दोनों ने कहा कि आयोग कृषि मंत्रालय को राज्यों को आबंटन कृषि क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये सुधारों से जोड़ने के लिये सुझाव देगा. जीएसटी पर एक सवाल का जवाब देते हुए कुमार ने कहा कि संसाधन बढ़ने तथा कर आधार में वृद्धि के साथ औसत दर 15 प्रतिशत की ओर जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि नये भारत के लिये रणनीति दस्तावेज जारी करने के बाद आयोग अब 15 साल के दृष्टिकोण पत्र पर काम शुरू करेगा.

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