अहमदाबाद। सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति एनकाउंटर मामले में शुक्रवार को मुंबई की सीबीआई कोर्ट द्वारा सभी 22 आरोपियों के बरी कर दिया. वर्ष 2005 के इस मामले में ये 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे. इनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं. कोर्ट के इस फैसले पर पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात पुलिस के तत्कालीन डीजी, डीजी वंजारा ने शुक्रवार को दावा किया कि अगर गुजरात एटीएस सोहराबुद्दीन को नहीं मारती तो वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या कर सकता था. आज यह साबित हो गया कि मैं और मेरी टीम सही थी. हम सच के साथ खड़े थे.’
इस एनकाउंटर केस में पूर्व आरोपी रहे वंजारा ने कहा यदि गुजरात पुलिस यह मुठभेड़ न होती तो पाकिस्तान नरेंद्र मोदी की हत्या करने की साजिश में कामयाब हो जाता और गुजरात एक और कश्मीर बन जाता. वंजारा ने कहा, ‘गुजरात, आंध्र प्रदेश और राजस्थान पुलिस को गुजरात की बीजेपी सरकार और केंद्र की कांग्रेस सरकार की राजनीतिक लड़ाई के बीच में बलि का बकरा बनाया गया था.’
वंजारा को सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 3 साल पहले बरी कर दिया था. उन्होंने कहा कि “राष्ट्रविरोधी तत्वों” ने आतंकवादी समूहों की सहायता और ईमानदार पुलिस अधिकारियों को परेशान करने के लिए वास्तविक मुठभेड़ की घटनाओं को नकली में बदलने की कोशिश की थी.
सोहराबुद्दीन मामले में नहीं मिला है आदेश : सीबीआई
सीबीआई का कहना है कि जांच एजेंसी को सोहराबुद्दीन-कौसर बी मुठभेड़ मामले में अभी आदेश की प्रति नहीं मिली है. जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने शुक्रवार को मामले में आगे की कार्रवाई से जुड़े सवाल पर यह प्रतिक्रिया दी. सीबीआई की एक विशेष अदालत ने यहां गैंगेस्टर सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी तुलसी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में 22 आरोपियों को साक्ष्यों के आभाव में शुक्रवार को बरी कर दिया.
प्रवक्ता ने बेहद कम शब्दों और सधे अंदाज में अपनी बात रखी. उन्होंने सीबीआई की सामान्य तौर पर की जाने वाली प्रतिक्रिया कि वह मामले में अपील दायर करने पर फैसला लेने से पहले आदेश का अध्ययन करेगी, को लेकर भी प्रतिबद्धता जाहिर करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि उनका बयान सिर्फ इस वाक्य तक सीमित है, ‘‘सीबीआई को आदेश मिलना अभी बाकी है.’’
2जी घोटाले पर फैसला आने के कुछ ही मिनटों बाद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की बात कहने वाली एजेंसी 13 साल पुराने फर्जी मुठभेड़ मामले में 22 आरोपियों को बरी करने के विशेष सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने को लेकर कोई प्रतिबद्धता जताती नहीं दिखी. आरोपियों में अधिकतर गुजरात और राजस्थान के अधिकारी है और वे जमानत पर है. इस मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन के 210 में से 92 गवाह पलट गए थे.