नई दिल्ली। बीजेपी ने कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीडन बेंच के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है. दरअसल, कोलकाता में बीजेपी की प्रस्तावित गणतंत्र बचाओ रथयात्रा पर कलकत्ता हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने रोक लगा दी थी. वहीं, इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने बीजेपी की प्रस्तावित गणतंत्र बचाओ रथयात्रा को मंजूरी दे दी थी, जिसे राज्य सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा था. इसके बाद ममता सरकार हाईकोर्ट के एकल बेंच के इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच के पास पहुंची थी.
बता दें ममता सरकार ने राज्य में सांप्रदायिक शांति व्यवस्था का हवाला देते हुए राज्य में बीजेपी की गणतंत्र रथयात्रा को अनुमति देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद बीजेपी ने हाईकोर्ट में राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को रद्द कर दिया था. जिसके बाद अब ममता सरकार ने हाईकोर्ट के एकल बेंच के इस फैसले को चुनौती दी थी. जिस पर हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ सुनवाई की और रथयात्रा पर फिर से रोक लगा दी थी.
इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में बीजेपी की गणतंत्र रथयात्रा को अनुमति नहीं देने संबंधी राज्य सरकार के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि रथ यात्रा से होने वाला खतरा काल्पनिक आधार पर नहीं हो सकता है. साथ ही यात्रा को अनुमति देते हुए कोर्ट ने यह भी कहा था कि प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि यात्रा के दौरान राज्य में किसी भी तरह से कानून व्यवस्था का उल्लंघन न हो और यह यात्रा शांतिपूर्ण रूप से संपन्न हो.
इससे पहले पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने एक खूफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए बीजेपी की गणतंत्र बचाओ रैली को अनुमति देने से इंकार किया था. राज्य सरकार का कहना था कि खूफिया एजेंसी से मिली एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस रैली के दौरान सांप्रदायिक दंगों का अंदेशा है. जिसके बाद भाजपा सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट में राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी.
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की ‘गणतंत्र बचाओ यात्रा’ के लिए तीन तारीखें निर्धारित की गई हैं. जिसमें भाजपा ने 22 दिसंबर को यह यात्रा बिहार से होते हुए यह यात्रा 24 दिसंबर को परगना जिले के काकद्वीप और 26 दिसंबर को बीरभूमि जिले के तारपीठ से निकालने की योजना बनाई गई है.