NDA में अब तम‍िलनाडु में फंसा पेंच, अन्‍नाद्रमुक BJP के साथ दोस्‍ती पर नहीं खोल रही पत्‍ते!

नई दिल्ली। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्नाद्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्नाद्रमुक)के बारे में कहा जा रहा है कि वह आगामी लोकसभा चुनावों में तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन करने को लेकर पसोपेश में है. राज्य में कांग्रेस और अन्य दलों सहित द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) की अगुवाई वाले विपक्षी मोर्चे के साथ अन्नाद्रमुक की दिलचस्प लड़ाई होने की उम्मीद की जा रही है.

दिवंगत जयललिता के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली अन्नाद्रमुक में उनके निधन के बाद फूट पड़ गई. कहा जा रहा है कि बीजेपी को राज्य में एक ऐसे गठबंधन सहयोगी की तलाश है, जहां द्रविड़ राजनीति ने भगवा पार्टी को ऐसे समय में पीछे छोड़ा हुआ है, जब इसने देश के अन्य हिस्सों में अच्छी पकड़ बनाई है.

बीजेपी, द्रमुक को उस समय पटाने की कोशिश करती नजर आई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के दिवंगत नेता एम. करुणानिधि के घर का दौरा किया था और उनके बीमार होने पर दिल्ली में अपने सरकारी आवास पर उन्हें आराम मुहैया कराने की पेशकश की थी. हालांकि, चक्रवात गाजा द्वारा में तबाही मचाने के बाद सहायता देने को लेकर और कावेरी जैसे मुद्दों  के बाद बीजेपी के साथ र‍िश्‍तों तल्‍खी आ गई.

बीजेपी तम‍िलनाडु में चाहती है 20 सीटें
2014 के लोकसभा चुनाव में इसके सहयोगी रहे मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) और देसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) जैसे कुछ दल भाजपा से अलग हो चुके हैं, जो अब अन्नाद्रमुक में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं. अन्नाद्रमुक के सूत्रों ने कहा कि भाजपा 40 सीटों में से 20 सीटें पाने की इच्छुक है, जिसमें पुडुच्चेरी की एक सीट शामिल है, जबकि बाकी सीटें अन्नाद्रमुक और इसकी अगुवाई में लड़ने वाले अन्य दलों के लिए छोड़ना चाहती है.

तमिलनाडु के मंत्रियों की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्री अरुण जेटली और केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णन के साथ चेन्नई में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडाप्पडी पलनीस्वामी के साथ चेन्नई में हाल ही में हुई बैठकों के बाद यह अटकलें लगाई जाने लगी कि दोनों पक्षों के बीच गठबंधन के लिए बातचीत चल रही है.

2014 में नारा था मोदी या लेडी
2014 के चुनाव में जयललिता द्वारा ‘मोदी या लेडी’ के नारे के साथ लड़ा गया और उनकी पार्टी ने तमिलनाडु में अपने दम पर 39 सीटों में से 37 सीटें जीती थीं. कन्याकुमारी में भाजपा ने एक सीट जीती और दूसरी सीट पर उसके सहयोगी पट्टाली मक्कल कॉची (पीएमके) ने जीत हासिल की थी. अन्नाद्रमुक के सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब गंभीर दुविधा में है कि भाजपा के साथ गठबंधन किया जाए या नहीं, क्योंकि उसे इस बात की चिंता है कि क्या इससे कोई फायदा होगा, खासतौर पर हिंदीभाषी क्षेत्रों में चुनावों में उसकी हार के बाद.

जयललिता के निधन के बाद से पार्टी फूट पड़ने के बाद खुद को मजबूत स्थिति में नहीं पा रही है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी संसद में तमाम मौकों पर और राष्ट्रपति व उप राष्ट्रपति चुनावों में भाजपा सरकार का समर्थन कर चुकी है, लेकिन अब गठबंधन करने को लेकर सावधान है. पार्टी ने संसद में तीन तलाक विधेयक का विरोध किया क्योंकि उसे डर है कि जयललिता ने मुसलमानों का जो समर्थन हासिल किया था, उससे वह हाथ धो बैठेगी.

अन्नाद्रमुक के नेताओं ने द्रमुक, कांग्रेस, एमडीएमके, वीसीके और वामपंथी दलों का मजबूत गठबंधन अन्नाद्रमुक व भाजपा के बीच गठबंधन होने की स्थिति में शासन के मुद्दों को उठा सकता है और राज्य और केंद्र दोनों सरकारों को निशाना बना सकता है. यहां तक कि द्रमुक अध्यक्ष एमके स्टालिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को संप्रग के प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में भी घोषित कर चुके हैं.

पार्टी नेताओं ने कहा कि भाजपा को यह आश्वासन देना पार्टी के लिए समझदारी होगी कि जरूरत पड़ने पर दोनों दलों के बीच चुनाव के बाद गठबंधन हो सकता है. अन्नाद्रमुक को लगता है कि भाजपा के साथ गठबंधन करने के बजाय अलग-अलग चुनाव लड़ना ज्यादा उचित होगा. हालांकि, पार्टी के नेता तमिलनाडु के कुछ मंत्रियों द्वारा सीबीआई और आयकर विभाग जैसी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में आने वाली कठिनाइयों से भी अवगत हैं, जिसका लाभ उठाकर इसे निशाने पर लिया जा सकता है. सूत्रों ने कहा कि लोकसभा चुनाव घोषित होने के बाद स्थिति स्पष्ट होने की संभावना है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *