नई दिल्ली/लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियों में जुटे विपक्षी दलों में ‘महागठबंधन’ बनाने के लिए लगातार बैठकों का दौर जारी है. वहीं, कुछ विपक्षी दल इससे अलग राय रखते हुए कांग्रेस और बीजेपी से अलग क्षेत्रीय पार्टियों (क्षत्रप) को एकत्रित कर ‘तीसरा मोर्चा’ बनाने की कवायद में जुटे हैं. इन सबके बीच देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (एसपी) और बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) के बीच अभी गठबंधन के आसार नहीं दिख रहे हैं. वहीं, बीएसपी प्रमुख मायावती भी गठबंधन पर अपने पत्ते खोलने के मूड में नही हैं.
इस बारे में सोमवार को समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि महागठबंधन बनने जा रहा है. यूपी में सपा और बसपा सबसे ज्यादा महत्व रखती हैं. अखिलेश जी और मायावती जी तय करेंगे कि गठबंधन किसके साथ करना है.”
अखिलेश की केसीआर के साथ बैठक टली
2019 के लोकसभा चुनावों से पहले गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी गठबंधन बनाने के प्रयास के तहत तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता के. चंद्रशेखर राव की बीएसपी सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के साथ यहां प्रस्तावित बैठक मूर्त रूप नहीं ले सकी.
अखिलेश यादव ने बुधवार को लखनऊ में कहा था कि वह 6 जनवरी के बाद हैदराबाद में राव से मुलाकात करेंगे. वहीं मायावती ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री को मिलने का वक्त अभी नहीं दिया है. यादव ने कहा कि गठबंधन बनाने के राव के प्रयासों की वह प्रशंसा करते हैं लेकिन वह उनसे दिल्ली में नहीं मिल सकेंगे. इससे पहले सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के आवास पर दोनों के बीच बैठक प्रस्तावित थी.
मायावती ने नहीं खोले अभी तक अपने पत्ते
मायावती रविवार से ही दिल्ली में हैं लेकिन उन्होंने प्रस्तावित बैठक के समय की पुष्टि नहीं की है. मायावती नीत बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और समाजवादी पार्टी (एसपी) राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उतरप्रदेश में मुख्य क्षेत्रीय दल हैं. एसपी ने कहा है कि मोर्चा में उन्हें शामिल किए बगैर गैर बीजेपी गठबंधन कामयाब नहीं होगा.