नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल की शुरुआत में दिए अपने पहले इंटरव्यू में केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ बन रहे महागठबंधन को खारिज करते हुए कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव जनता बनाम महागठबंधन होगा. प्रधानमंत्री मोदी ने इस तरह के दावों को भी खारिज किया जिसमें कहा जा रहा था कि बीजेपी को 543 में से 180 सीटें मिलेंगी. उन्होंने कहा कि इसी तरह के लोग 2014 के चुनावों में भी ऐसी ही बाते कर रहे थे.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार के काम को देखते हुए बीजेपी को एक बार फिर जनता का आशिर्वाद प्राप्त होगा. पीएम मोदी ने कहा कि मुझे भरोसा है कि यह चुनाव जो जनता की उम्मीदों पर पूरा करते है और जो उनकी आकांक्षाओं को रोकते हैं उनके बीच होगा. यह 70 साल का तजुर्बा है कि जनता ही निर्णायक है. उन्होंने कहा कि यह चुनाव जनता बनाम गठबंधन होगा. और मोदी तो सिर्फ लोगों के प्यार और आशीर्वाद की अभिव्यक्ति है.
बीजेपी के खिलाफ बन रहे गठबंधन को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जनता जानती है कि पहले भ्रष्टाचार का विकेंद्रीकरण था, जो राज्य था वो वहां लूटता था, जो केंद्र में था वो वहां लूटता था. जनता तय करेगी कि क्या उसे उन्हें उन भ्रष्ट ताकतों से साथ जाना है जो एक साथ आ रहे हैं.
हाल में कुछ सर्वे में कहा गया कि 2019 में बीजेपी 180 सीटों पर सिमट जाएगी इसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा कि ऐसी ही कहानी 2013 से गढ़ी जा रही थी. उन्होंने सवाल किया कि क्या इसमें कोई वैज्ञानिक अध्ययन किया गया? प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि इस तरह की बातें नहीं फैलाई जाएंगी तो लोग गठबंधन से कैसे जुड़ेंगे.
बीजेपी के खिलाफ बन रहे गठबंधन पर हमला बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इन दलो में एकता नहीं है और न ही कोई संयुक्त विजन है कि वे देश के लिए क्या करना चाहते हैं. अपनी बात पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों की मीडिया रिपोर्ट्स का विश्लेषण किया जाए तो पाएंगे कि गठबंधन में कुछ ठोस नहीं है. वे अभी भी अलग-अलग आवाज में बात करते हैं. वे एक दूसरे की तरफ खुद को बचाने के लिए देख रहे हैं. वो एक दूसरे से हाथ मिलाते हैं ताकि खुद को बचा सकें. असली खेल यही है.
एनडीए की सहयोगी दल शिवसेना और हाल में गठबंधन छोड़कर अलग हुई टीडीपी के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि कभी-कभी कुछ लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं होती हैं और कुछ यह समझते हैं कि दबाव बनाने से उनका फायदा होगा. हमारे कुछ सहयोगियों का मानना है कि इस तरह के मतभेदों को बातचीत से सुलझाया जा सकता है. लेकिन हमारी कोशिश सभी को सुनते हुए साथ लेकर चलने की है.