नई दिल्ली। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल मामले में सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधा और कहा कि ‘‘खानदान का नाम पीछे जुड़ा होने से प्रधानमंत्री को अपशब्द कहने का हक नहीं मिल जाता।’’ सदन में राफेल मुद्दे पर हुई चर्चा के जवाब में सीतारमण ने कांग्रेस और कांग्रेस अध्यक्ष के सभी आरोपों को खारिज कर दिया। रक्षा मंत्री के जवाब के बाद राहुल गांधी को दोबारा स्पष्टीकरण का मौका नहीं दिए जाने और सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने पर असंतोष जताते हुए कांग्रेस सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया।
सदन में रक्षा मंत्री के बयान पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ‘मैं रक्षा मंत्री सीतारमण या पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर पर आरोप नहीं लगा रहा हूं। मेरा सीधा आरोप प्रधानमंत्री मोदी पर है और मैं स्पष्ट कहता हूं कि वह इस मामले में शामिल हैं।’ उन्होंने पूछा कि रक्षा मंत्री इस सवाल का जवाब दें कि एचएएल के बजाय अनिल अंबानी को सौदा दिलाने का निर्णय किसने लिया। संप्रग के समय जिन एल-1 श्रेणी के विमानों का दाम 560 करोड़ रुपये था, वह आपके समय 1600 करोड़ रुपये कैसे हो गया।
उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से अपनी निजी बातचीत और पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद के बयान का जिक्र किया। राहुल ने कहा कि ओलांद ने अपने बयान में कहा था कि ऑफसेट साझेदार के लिए अनिल अंबानी का नाम भारत के प्रधानमंत्री और भारत सरकार की ओर से दिया गया और मैंने प्रधानमंत्री से सिर्फ यह अनुरोध किया था कि अगर ओलांद गलत कह रहे हैं तो वह उन्हें फोन कर ऐसे बयान नहीं देने को कहें।
रक्षा मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी यहां अपना नाम लिए जाने पर चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि मुझे इस सदन में झूठा कहा गया, प्रधानमंत्री को जगह-जगह अपशब्द कहा गया। तब कांग्रेस के लोगों को कोई अफसोस नहीं था। हमारा कोई सम्मान नहीं है क्या? उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘पीछे खानदान का नाम होने से किसी को प्रधानमंत्री को अपशब्द कहने का हक नहीं मिल जाता। मैं सामान्य पृष्ठभूमि से आती हूं और मुझे अपने सम्मान का बचाव करने का हक है।’’ सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री भी गरीब पृष्ठभूमि से यहां पहुंचे हैं और उनकी छवि बेदाग है।
रक्षा मंत्री ने विपक्ष के कुछ सदस्यों के उठाए सवालों के जवाब में कहा कि इस तरह के महत्वपूर्ण निर्णयों में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को हर स्तर पर निगरानी का अधिकार है और इसे हस्तक्षेप नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा है तो संप्रग सरकार के समय के ऐसे कथित हस्तक्षेप के कई मामले सामने आ जाएंगे। संप्रग के समय की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) तो समांतर कैबिनेट चला रही थी। उन्होंने जोर दिया कि वर्तमान सरकार के समय किया गया सौदा संप्रग सरकार की तुलना में बेहतर और सस्ता है और कांग्रेस गुमराह करने का अभियान चला रही है।