ट्रेड यूनियन हड़तालः ओडिशा में हिंसक प्रदर्शन, प. बंगाल में TCM-CPM कार्यकर्ताओं में भिड़ंत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ‘जन-विरोधी’ नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए मंगलवार से 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 48 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है. देश के कई हिस्सों विरोध की अलग-अलग तस्वीरें सामने आ रही हैं. कई बस सेवाएं बाधित हैं तो कहीं रेलवे ट्रैक रोककर प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी बीच पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कई जगहों से हिंसा की खबरें भी आई है. बता दें कि 48 घंटों की इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी शामिल हो रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ इसमें भाग नहीं ले रहा है.

श्रमिक संघों ने ट्रेड यूनियन अधिनियम-1926 में प्रस्तावित संशोधनों का भी विरोध किया है.आज सुबह से ही देश के कई राज्यों से हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है. ओडिशा के भुवनेश्वर में ट्रेन यूनियनों का हिंसक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. राजधानी में कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने गाड़ियों को लाठी डंडों के साथ रोका और टायर जलाकर रास्ता जाम किया.

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से भी कुछ ऐसी ही तस्वीरें सामने आई. यहां बेस्ट की बसें डिपो में खड़ी दिखाई दी और बस स्टैंड पर लोग बस का इंतजार करते दिखे.

असम के गुवाहाटी से प्रदर्शन की तस्वीरें सामने आई. यहां ट्रेड यूनियन श्रमिकों ने ट्रेन रोककर विरोध प्रदर्शन किया.

पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भी ट्रेन यूनियनों ने सीटू (CITU) के बैनर तले रेलवे ट्रैक रोककर प्रदर्शन किया.

राजधानी दिल्ली में भी एआईसीसीटीयू के कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया.

केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम में भी ट्रेड यूनियन कार्यकर्ताओं ने ट्रेन रोककर विरोध प्रदर्शन किया.

सोमवार को में 10 केंद्रीय श्रमिक संघों प्रेस वार्ता में एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने मीडिया को बताया था कि दो दिन की इस हड़ताल के लिए 10 केंद्रीय श्रमिक संघों ने हाथ मिलाया है. हमें इस हड़ताल में 20 करोड़ श्रमिकों के शामिल होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया ‘हमने सरकार को श्रम संहिता पर सुझाव दिए थे. लेकिन चर्चा के दौरान श्रमिक संघों के सुझाव को दरकिनार कर दिया गया. हमने दो सितंबर 2016 को हड़ताल की. हमने नौ से 11 नवंबर 2017 को ‘महापड़ाव’ भी डाला, लेकिन सरकार बात करने के लिए आगे नहीं आई और एकतरफा श्रम सुधार की ओर आगे बढ़ गई.’’

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