भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए वे पांच टेस्ट मैच जो अलग-अलग वजहों से यादगार बन गए

क्रिकेट के मैदान में पाकिस्तान के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का दूसरा चिर प्रतिद्वंदी माना जाता है. भारत ने ऑस्ट्रेलिया के साथ अपना पहला आधिकारिक टेस्ट मैच 1947 में खेला था. हालांकि, टेस्ट क्रिकेट में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दिलचस्प मुकाबले तब से ज्यादा देखने को मिले हैं, जब से दोनों के बीच बॉर्डर-गावस्कर सीरीज शुरू हुई.

यह सीरीज ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान एलन बॉर्डर और पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर के नाम पर शुरू की गई थी. इसकी वजह यह थी कि ये दोनों टेस्ट क्रिकेट में सबसे पहले दस हजार रनों का आंकड़ा पार करने वाले बल्लेबाज हैं. गावस्कर ने यह कारनामा 1987 में तो एलन बॉर्डर ने साल 1993 में किया था.

बहरहाल, भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच 1996 से शुरू हुई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में कई ऐसे मुकाबले हुए हैं, जो अलग-अलग वजहों के चलते यादगार हो गए. यहां हम जिन पांच मुकाबलों का जिक्र कर रहे हैं वे कई मायनों खास हैं.

चेन्नई टेस्ट 1998 – सचिन तेंदुलकर बनाम शेन वॉर्न

क्रिकेट के इतिहास में सचिन तेंदुलकर और शेन वॉर्न के बीच मुकाबला हमेशा ही दिलचस्प रहा है. उस दौर में जहां सचिन सबसे बड़े बल्लेबाज थे तो वहीं वॉर्न को स्पिन किंग कहा जाता था. इनकी आपसी प्रतिस्पर्धा के कई उदाहरण मौजूद हैं जिनमें से एक 1998 में बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के दौरान हुआ चेन्नई टेस्ट भी है.

उस समय चेन्नई के चिदंबरम स्टेडियम में हर कोई सचिन और वॉर्न के बीच मुकाबला देखने को उत्सुक था. पहली पारी में सचिन मैदान पर उतरे तो वॉर्न ने उन्हें चार रन पर ही स्लिप में कैच कराकर चलता कर दिया. इस ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर की शानदार गेंदबाजी के सामने भारतीय टीम पहली पारी में 257 रन पर सिमट गई. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने इयान हैली के 90 रनों की मदद से पहली पारी में 328 रन बनाए.

भारत के दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरने से पहले ही एक आम राय बन चुकी थी कि यह मैच अब उसकी पकड़ से बाहर जा चुका है. ऐसा सोचने की वजह तीसरे-चौथे दिन की पिच थी, जो शेन वॉर्न की गेंदबाजी के लिए मुफीद हो चुकी थी. लेकिन, मैच की दूसरी पारी में सचिन कुछ और ही सोचकर मैदान में उतरे थे. इस बार उन्होंने वॉर्न को कोई मौका नहीं दिया और एक ऐसी पारी खेली जिसने मैच का रुख ही पलट कर रख दिया. सचिन ने 191 गेंदों में नाबाद 155 रन बनाए.

भारत ने दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया को 348 रनों का लक्ष्य दिया. मैच के अंतिम दिन चिदंबरम की पिच पर ऑस्ट्रेलिया के लिए यह लक्ष्य लगभग नामुमकिन जैसा था, लिहाजा पूरी टीम 168 रन ही बना सकी.

वीवीएस लक्ष्मण की वह पारी जिसने मैच को सर के बल पलटकर रख दिया

2001 में कोलकाता के ईडन गार्डन के मैदान पर खेले गए इस मैच को टेस्ट क्रिकेट के इतिहास का सबसे चौंकाने वाला मैच कहा जाता है. बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के इस मैच की पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया ने मैथ्यू हेडन की 97 और स्टीव वॉ की 110 रनों की पारी की बदौलत 445 रन का बड़ा स्कोर खड़ा किया था. भारत के लिए स्थिति तब और खराब हो गई जब पूरी टीम महज 171 रन पर ही सिमट गयी और फॉलोऑन भी नहीं बचा सकी.

ऑस्ट्रेलिया की धारदार गेंदबाजी और बल्लेबाजी को देखते हुए अब कोई चमत्कार ही भारत को यह मैच जितवा सकता था. इस मैच में आगे ऐसा ही हुआ. फॉलोऑन खेलने उतरी भारतीय टीम ने वह कारनामा कर दिखाया जो टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहले कभी शायद ही हुआ हो. फॉलोऑन के दौरान भारतीय बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण ने 281 और राहुल द्रविड़ ने 180 रनों की पारियां खेली. भारत ने 657 रनों पर अपनी दूसरी पारी घोषित की. ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 384 रनों का लक्ष्य मिला, लेकिन भारतीय स्पिनर हरभजन सिंह ने छह विकेट लेकर ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी. पूरी मेहमान टीम महज 171 रनों पर ढ़ेर हो गई.

रिकी पोंटिंग की सबसे बेहतरीन पारी पर राहुल द्रविड़ और अजित अगरकर ने पानी फेरा

2003 में ऑस्ट्रेलिया में खेली गई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के एडिलेड टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया था. मैच की पहली पारी में कप्तान रिकी पोंटिंग ने अपने जीवन की सबसे बेहतरीन पारी खेली. पोंटिंग के 242 रनों की मदद से ऑस्ट्रेलिया ने 556 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया.

इसके जवाब में भारतीय टीम 85 रन पर चार विकेट खोकर लड़खड़ाने लगी. इसके बाद वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने पारी को संभाला. दोनों दिग्गजों ने 303 रनों की साझीदारी की. लक्ष्मण के 148 और द्रविड़ के 446 गेंदों में 233 रन की मैराथन पारी ने भारत का स्कोर 523 पर पहुंचा दिया यानी ऑस्ट्रेलिया से महज 33 रन पीछे.

जानकारों के मुताबिक द्रविड़ की इस शानदार बैटिंग का ही असर था कि दूसरी पारी में आत्मविश्वास खो चुकी ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम सिर्फ 196 रनों पर धराशाई हो गयी. अजित अगरकर ने 41 रन देकर छह विकेट लिए. इसके बाद दूसरी पारी में 233 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए एक बार फिर राहुल द्रविड़ ने नाबाद 72 रन बनाए और भारत को जीत की देहरी तक ले गए.

मंकीगेट कांड -सिडनी 2008

2008 में सिडनी में हुआ यह मुकाबला काफी रोमांचक रहा जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने यह मैच महज सात गेंद पहले जीता था. इस जीत में इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि पार्ट टाइम स्पिनर माइकल क्लार्क ने आखिरी पांच गेंदों में तीन विकेट लेकर ड्रॉ की ओर बढ़ रहा यह मैच ऑस्ट्रलिया को जितवा दिया था. मेजबान टीम ने यह मैच जीतकर लगातार 16 टेस्ट मैच जीतने का रिकॉर्ड भी अपने नाम किया था.

लेकिन, इस टेस्ट के यादगार बन जाने की वजह कुछ और ही है. इस मैच को ‘मंकीगेट कांड’ और अंपायर द्वारा दिए कुछ गलत फैसलों के चलते आज भी याद किया जाता है. क्रिकेट इतिहास में इसे भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ सबसे विवादस्पद मैच भी कहा जाता है.

दरअसल, मैच के तीसरे दिन के खेल के दौरान हरभजन सिंह और एड्रंयू साइमंड्स के बीच कहा सुनी हो गई थी. इसके बाद सायमंड्स ने आरोप लगाया कि हरभजन ने नस्लीय टिप्पणी करते हुए उन्हें ‘मंकी’ कहा. मैच के बाद हुई सुनवाई में हरभजन ने इससे साफ़ इनकार कर दिया. इसके बावजूद भारतीय स्पिनर पर तीन मैचों का प्रतिबंध लगा दिया गया. लेकिन जब भारतीय टीम ने दौरे से हटने की धमकी दी तो यह फैसला बदल दिया गया.

2017 बेंगलुरु टेस्ट- गेंदबाजों का अद्भुत रिकॉर्ड

2017 में भारत में हुई बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया ने 333 रनों से बड़ी जीत हासिल की थी. अब भारत के लिए बेंगलुरु में होने वाला दूसरा मैच जीतना जरूरी था. लेकिन, इस टेस्ट की पहली पारी में ऑस्ट्रेलियाई स्पिनर नैथन लॉयन ने आठ विकेट लेकर भारत को 189 के स्कोर पर समेट दिया.

इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने अच्छी शुरुआत की और तीन विकेट पर 159 रन बना लिए. माना जा रहा था कि ऑस्ट्रेलिया बड़ी बढ़त ले लेगी. लेकिन, दूसरे दिन लंच के बाद भारतीय स्पिनर रविंद्र जडेजा की फिरकी ने कमाल कर दिया और ऑस्ट्रेलिया केवल 276 रन ही बना सका. जडेजा के छह विकटों के चलते ऑस्ट्रेलिया को केवल 87 रनों की ही बढ़त मिल सकी.

भारतीय बल्लेबाज दूसरी पारी में भी कुछ ख़ास नहीं कर पाए और ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जोश हेजलबुड ने छह विकेट लेकर भारत को 274 रनों पर समेट दिया. इस तरह भारत ऑस्ट्रेलिया को केवल 188 रनों का लक्ष्य ही दे सका. इस टेस्ट मैच के लगातार चौथे दिन भी ऑस्ट्रेलिया का ही पलड़ा भारी था. लेकिन भारतीय स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने मैच के चौथे दिन लंच के बाद खेल का रुख पलट दिया. अश्विन ने छह विकेट लेकर ऑस्ट्रेलिया को 112 रनों पर समेट दिया.

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में यह पहला ऐसा मैच था जिसमें चार गेंदबाजों ने छह या इससे ज्यादा विकेट झटके थे. इसी वजह ने इसे यादगार बना दिया.

 

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